नोटबंदी तब और अब
- नवम्बर 29, 2023
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यकीनन 8 नवंबर, 2016 को घोषित नोटबंदी की तुलना 19 मई, 2023 को लिए गए निर्णय से नहीं की जा सकती है। 2016 में 500 और 1,000 रुपये के नोटों की वैधता 8 नवंबर की मध्य रात्रि में तत्काल प्रभाव से समाप्त हो गई थी जबकि 2,000 रुपये का नोट वापसी की अवधि समाप्त हो जाने के बावजूद वैध बना हुआ है।
इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि 2016 में समाप्त किए गए नोट कुल प्रचलित मुद्रा का 86 फीसदी थे। जबकि मई 2023 में बंद की गई मुद्रा केवल 11 फीसदी। इसके अलावा दोनों घटनाओं के आकार में भी बहुत अंतर था। 2016 की कवायद में करीब 21 अरब नोट बदले या जमा किए गए जबकि 2023 में केवल 1.78 अरब नोट।
नवंबर 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश भी साफ और पारदर्शी था लेकिन उसकी वजह से लोग भयभीत हो गए क्योंकि कहा गया था कि यह कवायद काला धन बाहर निकालने के लिए है। लोगों को लगा कि बड़ी तादाद में नोट रखने वाले लोग जांच के दायरे में आ सकते हैं।
रिजर्व बैंक ने स्पष्टीकरण दिया था कि 2,000 के नोट को नवंबर 2016 में तत्कालीन मौद्रिक जरूरतें पूरी करने के लिए जारी किया गया था क्योंकि 500 और 1,000 रुपये के नोटों का चलन बंद किया गया था। उस लक्ष्य को हासिल करने और अन्य राशि की नकदी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के बाद 2018-19 में 2,000 रुपये के नोट को छापना बंद कर दिया गया।
बैंक में जमा करने या बदलने के लिए 140 दिन की अवधि दी गई। वहीं 2016 में 500 और 1,000 रुपये के नोट बदलने के लिए 52 दिनों का समय दिया गया था।
सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि बैंकिंग तंत्र को 140 दिनों में केवल 1.78 अरब नोटों को बदलने या जमा करने का काम करना था। जबकि 2016 में 52 दिनों में 21 अरब रुपये मूल्य के नोट बदलने पड़े थे।
2023 में इस काम के सहजता से पूरा होने की एक और वजह है। बीते कुछ वर्षों में देश का डिजिटल भुगतान नेटवर्क यूपीआई की बदौलत तेजी से विस्तारित हुआ है। 2016 की नोटबंदी ने इस प्रक्रिया को बहुत गति प्रदान की। इससे भी 2,000 के नोट वापस लेने का काम आसान हुआ।
अक्टूबर 2016 में 26 बैंक यूपीआई व्यवस्था से जुड़े थे और 48 करोड़ रुपये मूल्य के एक लाख लेनदेन यूपीआई से हुए थे। मई 2023 तक यूपीआई से जुड़े बैंकों की संख्या बढ़कर 445 हो गई और 15 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 9.4 अरब यूपीआई लेनदेन हुए। मोबाइल आधारित यूपीआई नेटवर्क के विस्तार ने 2,000 रुपये के नोट के मामले में किसी भी संभावित उथलपुथल की आशंका को कम कर दिया।
हालांकि रिजर्व बैंक ने कहा कि 2,000 रुपये के नोट इसलिए वापस लिए गए कि वे आमतौर पर लेनदेन में इस्तेमाल नहीं हो रहे थे। यह बात कारोबारियों, छोटे व्यापारियों और जनता के अनुभव के विपरित है। इससे यह लगता है कि 2,000 रुपये के नोट वापस लेने की वास्तविक वजह नहीं बताई गई।