DIGITAL POWER
- मार्च 5, 2021
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Now is the perfect time for Indian Entrepreneurs to be digital
Mass Production with low costing and high value should be the motive. China has proved this. After Covid, if foreign companies intends to divert themselves, India should be prepared to receive them.
The first step should be that the plant should be up graded technologically. At the same time, it has to be looked how costing can be lowered to be competitive. Digitalization will be the most effective step to achieve it.
Industrialist will have to make the products more reliable and world class. So that the customer is much more assured for the quality of Indian Product. The use of robots may be better option to keep costing down. Going through this line, the quality of the product can be better, whereas the cost of labour can be minimized. China has occupied the world market by working on this angle.
Labour is cheaper in China and it was used smartly in the industry. But, even after this, smart machine and robots were developed to be used in manufacturing process. Demand and use for industrial robotics has grown rapidly in China in these years. Entrepreneurs in India should have to move ahead in the same direction, with a long term policy. We can lag behind, if we do not go for advanced technology, digitalization and robotic system in the industry.
The world standing at the cusp of the Fourth Industrial Revolution is being divided into two camps, one of which is of countries that are inventing new technology. The second camp is of countries who are depended on others for new technology.
As economic reforms began in 1991, governments was focused mainly on economic problems more than technological development. The private sector was also busy seeking technology from outside rather than developing the technology indigenously.
It is not that India cannot develop state-of-the-art technology when needed. If India wants to get out of the list of countries dependent on other countries for technology, then our attitude has to be changed. However, where it had easy access to technology, it did not show much interest in competing with other countries. Only GDP (Gross Domestic Product) will not make it in to the platform of global trade.
तकनीक में प्रगति
अब वक्त आ गया है भारतीय उद्योगपतियों को अपने उत्पादों के लिए डिजिटल तकनीक अपना कर गुणवत्ता बढ़ाने का!
कम लागत और उत्पाद की गुणवत्ता बेहतर हो, इस दिशा में काम करना अब वक्त की जरूरत है। चीन में यही हुआ था। कोविड के बाद चीन से यदि उद्योग पलायन करते हैं, तो यदि वह भारत का रूख करतें भी हैं, तो भारतीय उद्योग जगत को इसके लिए तैयारी करनी होगी। इसमें सबसे पहला कदम यही होना चाहिए कि अब संयंत्र को दिर्घावधी में उन्नत तकनीकी दक्ष किया जाए। इसके साथ ही काॅस्ट कटिंग कहां और कैसे हो सकती है, इस पर भी ध्यान देना होगा। इस दिशा में डिजिटलाइजेशन अपने आप में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।
अब उद्योगपतियों को अपने उत्पादों को और ज्यादा विश्वनीय एवं विश्वस्तरीय बनाना होगा। जिससे कस्टमर के साथ विश्वसनीयता का रिश्ता और ज्यादा मजबूत हो। उत्पाद की लागत कम रखने के लिए रोबोट का इस्तेमाल बेहतर कदम हो सकता है। इससे जहां उत्पाद की गुणवत्ता अच्छी हो सकती है, इसके साथ ही श्रम पर होने वाले अतिरिक्त खर्च को भी रोका जा सकता है। चीन ने इस एंगल से काम करते हुए विश्व की मार्केट पर कब्जा जमा रखा है।
चीन में यू तो श्रम काफी सस्ता है। यहां उद्योग में इसका बेहतर इस्तेमाल भी किया गया। लेकिन इसके बाद भी औद्योगिक कार्यों में मशीनों एवं रोबोट के अधिक इस्तेमाल करने पर जोर दिया जाने लगा। आटोमैटिक सिस्टम पर जोर दिया गया। कई सालों से चीन में औद्योगिक रोबोटिक्स की डिमांड तेजी से बढ़ाई गयी है। ऐसे में भारत के उद्योगपतियों को भी यही तरीका अपनाना होगा। क्योंकि अब समय है कि हमें अपनी नीतियां लंबे समय को ध्यान में रख कर तैयार करनी होगी। तभी हम तेजी से आगे बढ़ सकते हैं। यदि हम वक्त के साथ कदम मिला कर नहीं चल पाए, हम उदयोग में तकनीक, डिजिटलाइजेशन और रोबोटिक सिस्टम पर तेजी से नहीं गए तो पिछड़ सकते हैं।
चौथी औद्योगिक क्रांति के मुहाने पर खड़ी दुनिया दो खेमों में बटती जा रही है। इसमें एक खेमा उन देशों का है, जो नई तकनीक इजाद कर रहे हैं। दूसरा खेमा उन देशों का है जो नई तकनीक के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं।
1991 में आर्थिक सुधार शुरू होने के साथ सरकारों ने तकनीकी विकास से अधिक आर्थिक समस्याओं पर ध्यान दिया। निजी क्षेत्र भी तकनीक स्वयं विकसित करने के बजाय बाहर से मंगाने में व्यस्त है।
ऐसा नहीं है कि भारत आवश्यकता पड़ने पर अत्याधुनिक तकनीक विकसित नहीं कर सकता। अगर भारत तकनीक के लिए दूसरे देशों पर रहने वाले देशों की फेहरिस्त से निकलना चाहता है, तो अपना नजरिया बदलना ही होगा। हालांकि जहां तकनीक तक इसकी पहुंच आसानी से हो गई वहां इसने दूसरे देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में खास दिलचस्पी नहीं दिखाई। केवल जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) अधिक रहने से वैश्विक व्यापार के मंच पर इसे जगह नहीं मिलेगी।