गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों में शरूआती दिक्कतें लगातार रह सकती हैं। लेकिन भरोसा करना चाहिए कि सरकार इसे एक अच्छे उद्देश्य के लिए क्रियान्वित करने की चाह रखती है। उद्योग की परेशानियों को समझने और उसे दूर करने के लिए, लगातार संवाद किए जा रहें हैं। इससे यह समझ आता है कि इसे जबरदस्ती लागू नहीं किया जा रहा है।


भारतीय बाजारों में ब्रान्डेड उत्पादों की मांग क्यों बढ़ रही है, क्या हम सब ने इस ओर ध्यान दिया है? चाहे वह इलेक्ट्रनिक उत्पाद हों या खाद्य उत्पादए कार हो या मकान, महंगे उत्पादों की बिक्री, उपलब्ध सस्ते उत्पादों के अनुपात में अधिक हुई है। हम स्वयं बाजार जाते है तो इन बा्रंडेड उत्पादों पर ही भरोसा अधिक क्यों करते हैं?

निश्चित ही जनता अब अपने स्वास्थ्य और पर्यावरण का अधिक ध्यान रखने लगी है। इसलिए हम थोड़ा अधिक खर्च करने के लिए तैयार रहते हैं। इसके अलावा निम्नस्तर या हल्की गुणवत्ता के उत्पादों के साथ एक और दिक्कत जुड़ी रहती है। या तो यह जल्दी खराब हो जाते है या इन्हें ठीक करवाना या बदलवाना महंगा पड़ता है। प्लाइउड - पेनल जैसे उत्पादों के उपर अतिरिक्त खर्च सनमाइका, विनीयर और ग्लू के रूप में किया जाता है। कई बार इन अतिरिक्त वस्तुओं की कीमत मूल पेनल से कई गुना अधिक हो जाती है। अब अगर मूल पेनल ही हल्की गुणवत्ता का हो और वह स्वयं खराब हो जाए तो उसके उपर किए हुए खर्च भी बेकार हो जाते हैं। यह चिंता का विषय है, हमारे लिए भी और सरकार के लिए भी। अभी के लिए गए गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों का उद्देश्य इसी विषय को छुने और सुलझाने का प्रयास है।

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‘एक देश एक कर‘ के रूप में जीएसटी को जब लाया गया था, तब भी व्यापारियों के मन में दुश्चिंता थी। सालों से चले आ रहे व्यापार का तरीका बदलने का डर सबसे अधिक था। शुरूआती कार्यान्वयन की परेशानियों ने दुश्वारियों को और भी बढ़ाया। अब जबकि जीएसटी कार्यप्रणाली काफी हद तक स्वचालित हो गयी है, तो हम कह सकते हैं, कि व्यापार करना आसान हुआ है।

गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों में शुरूआती दिक्कतें लगातार रह सकती हैं। लेकिन भरोसा करना चाहिए कि सरकार इसे एक अच्छे उद्देश्य के लिए क्रियान्वित करने की चाह रखती है। उद्योग की परेशानियों को समझने और उसे दूर करने के लिए, लगातार संवाद किए जा रहें हैं। इससे यह समझ आता है कि इसे जबरदस्ती लागू नहीं किया जा रहा है।

अपनी चिंताए उचित मंच तक पहुंचाना, एसोसिएशन और व्यक्तिगत तौर पर सभी की जिम्मेवारी है। धीरे-धीरे धुंध हटती जाएगी और एक स्वस्थ औद्योगिक परिवेश तैयार होगा, जो आर्थिक और पर्यावरणीय दृष्टि से सभी के लिए हितकर होगा।

सुरेश बाहेती
9050800888

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