Draft of Rights of Electricity Consumers Presented

Draft of Rights of Electricity Consumers Presented


The Union Ministry of Power has for the first time presented a detailed draft of the rights of electricity consumers under the Electricity Act 2003. While the Consumer Charter currently exists in the Act, the recent draft empowers customers and provides them with supply rights. Opinions have been sought from stakeholders on this draft. This draft details services and rights.

The new connection will take prepaid/ smart prepaid meters

The draft mandates that no new connections be made without meters. It will be prepaid or smart prepaid meter. There will be a facility to recharge prepaid meters as mobile phones beyond the existing meters. It can be remotely monitored and operated. This will enable consumers to pay as much as they use electricity. This will help in monitoring the usage of electricity and will not be a waste. By this, customers will get rid of late bills and wrong bill related problems.

Online bill payment

Where prepaid meters are not installed, electricity bill of more than s1,000 will be paid online. It proposes to give customers a discount on digital payments. All private sector companies offer online payment. This system may cause problems in rural areas, but will improve the revenue of distribution companies in urban areas.

Reliable supply

The draft has kept the principle of 24-hour power supply as the right of customers. It would, however, have the authority to reduce the hours of supply to the respective state power regulators for certain categories such as agriculture.

Compensation to customers

This power is the most important according to consumer rights. Some SERCs have made provision for compensation for discoms, but the draft paves the way for automatic compensation to customers. It is also a guideline for states that have not yet made compensation provision. Shantanu Dixit, group convenor of Prayas Energy Group, said, “If the proposal for automatic compensation is implemented, it will be a revolutionary step. If you have a prepaid or smart meter, the interruption and other service standards will be automatically detected. In this case, the distribution companies will be obliged to pay the customers automatic compensation. This will create a real accountability situation.’ Customers can ask for compensation if power supply is interrupted, stops coming, problems are not resolved.

Productive consumer

Globally productive consumers are common. This is new in India, where there will also be an electricity customer supplier. Any common consumer can set up a renewable power plant in their premises and transmit additional power to the grid. Any person can set up a renewable power plant and can produce electricity. Also, he can adjust it in the power supply made by the discom. The draft seeks to simplify the process of sale, metering and compensation to electricity distribution companies.


बिजली उपभोक्ताओं के अधिकार का मसौदा पेश


केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने पहली बार बिजली अधिनियम 2003 के तहत बिजली उपभोक्ताओं के अधिकारों का विस्तृत मसौदा पेश किया है। अधिनियम में जहां इस समय कंज्यूमर चार्टर है, वहीं हाल का मसौदा ग्राहकों को शक्ति देता है इसमें उन्हें आपूर्ति अधिकार दिए गए हैं। इस मसौदे पर हिस्सेदारों से राय मांगी गई है। इस मसौदे में सेवाओं और अधिकारों का ब्योरा है।

नए कनेक्शन में प्रीपेड/स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगेंगे

मसौदे में अनिवार्य किया गया हे कि कोई नया कनेक्शन बगैर मीटर के नहीं होगा। यह प्रीपेड या स्मार्ट मीटर होगा। मौजूदा मीटरों में इतर प्रीपेड मीटरों को मोबाइल फोन की तरह रीचार्ज करने की सहूलियत होगी। इसकी दूर से निगरानी व परिचालन किया जा सकेगा। इससे उपभोक्ताओं को उतना ही भुगतान की सहूलियत मिल सकेगी, जितनी बिजली का वे इस्तेमाल करते हैं। इससे बिजली के इस्तेमाल की निगरानी में मदद मिलेगी और बर्बादी नहीं होगी। इससे ग्राहकों को देरी से बिल आने व गलत बिल संबंधी समस्या से निजात मिलेगी।

ऑनलाइन बिल भुगतान

जहां प्रीपेड मीटर नहीं लगे हैं, 1,000 रुपये से ज्यादा के बिजली बिल का भुगतान ऑनलाइन होगा। इसमें डिजिटल भुगतान पर ग्राहकों को छूट देने का प्रस्ताव है। निजी क्षेत्र की तमाम कंपनियां आॅनलाइन भुगतान की पेशकश करती हैं। इस व्यवस्था से ग्रामीण इलाकों में समस्या हो सकती है, लेकिन शहरी इलाकों में वितरण कंपनियों के राजस्व में सुधार होगा।

विश्वसनीय आपूर्ति

मसौदे में चैबीस घंटे बिजली आपूर्ति का सिद्धांत ग्राहकों के अधिकार के रूप में रखा गया है। बहरहाल इसमें कुछ श्रेणियों जैसे कृषि के लिए संबंधित राज्य बिजली नियामकों को आपूर्ति के घंटे कम करने का अधिकार होगा।

ग्राहकों को हर्जाना

यह बिजली उपभोक्ता अधिकार के हिसाब से सबसे अहम है। कुछ एसईआरसी ने डिस्काॅम के लिए हर्जाने का प्रावधान रखा है, लेकिन मसौदे में ग्राहकों को आटोमेटिक मुआवजे की राह साफ की गई है। यह उन राज्यों के लिए भी दिशानिर्देश है, जिन्होंने मुआवजे का प्रावधान अब तक नहीं किया है। प्रयास एनर्जी ग्रुप के समूह संयोजक शांतनु दीक्षित ने कहा, ‘आटोमेटिक मुआवजे का प्रस्ताव लागू किया जाता है तो यह क्रांतिकारी कदम होगी। अगर आपके पास प्रीपेड या स्मार्ट मीटर है, व्यवधान व अन्य सेवा मानकों के बारे में स्वतः पता चल जाएगा। ऐसे में वितरण कंपनियां ग्राहकों को स्वतः हर्जाना देने को बाध्य होंगी। इससे वास्तविक जवाबदेही की स्थिति बनेगी।’ ग्राहक बिजली आपूर्ति बाधित होने, रूक रूककर आने, समस्याओं के समाधान न होने पर मुआवजा मांग सकते हैं।

उत्पादक उपभोक्ता

वैश्विक रूप से उत्पादक उपभोक्ता (प्रोस्यूमर) आम बात है। भारत में यह नया है, जहां बिजली ग्राहक आपूर्तिकर्ता भी होगा। कोई भी आम उपभोक्ता अपने परिसर में अक्षय ऊर्जा संयंत्र लगा सकता है और अतिरिक्त बिजली ग्रिड को भेज सकता है। कोई भी व्यक्ति अक्षय ऊर्जा संयंत्र लगा सकता है और वह बिजली उत्पादन कर सकता है। साथ ही वह डिस्काॅम द्वारा की गई बिजली आपूर्ति में इसका समायोजना कर सकता है। मसौदे में वितरण कंपनियों को बिजली की बिक्री, मीटरिंग और मुआवजे की प्रक्रिया सरल करने की बात कही गई है।