Editorial August 21
- अगस्त 26, 2021
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Anxiety is playing on everybody’s mind as we are still not out of the woods. More waves, more variants and the consequent fear of uncertainty remains with everyone. What will tomorrow bring? This had earlier been quite certain. Now it is not.
Change is difficult for most people adjusting on new realities and finding ways of satisfying one’s needs in a changed environment, is quite disturbing.
Many of us who have settled too well will find it too much difficult to start all over again, with a new perspective.
We are all on a spectrum between excellent mental health and very bad mental health. We move from one end to the other in no time. So some body in excellent mental health today may be in poor shape tomorrow.
In the pandemic, we have to be strong enough to act wisely and cautiously. Hence, take the word “Wellness” seriously. Wellness is not just physical; it can be more mental than physical.
This is a misconception, that money is the only factor driving any economy forward. Rather, products and services at reasonable prices, cordial atmosphere, dedication to customer satisfaction and generous attitude of both sellers as well as buyers are also factors that accelerate the economy. Money is just engine oil, which alone cannot propel the economy to make a happy nation. Happiness is the result of the good physical and financial condition of its citizens. You need money, but good health is also important to enjoy those money. And for this be faithful to your inner voice and act according to his instructions.
Plywood sector has come to a stage where altogether change is the only solution. Working with old style only will not good to the sector.
There are indications that the process of de-licensing the agro- forestry based industry is going on. This will simply mean that the existing units will get an opportunity to increase their capacity, while new players will also be attracted to take advantage of this opportunity.
It was eminent in the virtual discussion held in virtual meeting of DNPMAI. Active participation of young brigade in the management of industries as well as policy making of association was the conclusion.
We can define it like this. – Defensive and offensive. Instead of surrendering yourself to the circumstances by adopting defensive methods, aggressive methods are to be adopted with new skills and ideas. However, this experiment can be both successful and unsuccessful. But surely it will pave new paths for the future.
Decision for change will be really tough for the experienced who have hard earned the position. Yet certainly the younger ones will have to broad their shoulders to take the burden. Systematically shifting of Powers for active management is what sought for amid the guidance of elders.
कठोर परिस्थितीयों की वजह से अभी तक हम चिन्ता मुक्त नही हो पाये है। महामारी की नई लहरे, नये आकार प्रकार और उससे उपजी अनिश्चितता से भय का वातावरण बना हुआ है। पहले तो यह निश्चित बता भी सकते थे कि कल क्या होगा । लेकिन अब नहीं।
बदलाव किसी के लिए भी बहुत तकलीफ देह होता है । नई चुनौतियों में अपने आपको ढालना और नये वातावरण में अपनी जरूरतों को पूरा करने की कोशिस अपने आप में बेहद असहज करने वाला है।
हममे में से उन सभी को जिन्होंने अपने आपको सहज व्यवस्थित मान लिया था और अब फिर से नये सिरे से नये तरीके से काम करना काफी मुश्किल भरा प्रयोग होगा।
हम ऐसे क्षीतिज मे हैं जहां बहुत अच्छी और बहुत खराब मानसिक स्वास्थ्य के बिच का अन्तर कोई अधिक नहीं रह गया है। हमें एक अवस्था से दुसरी अवस्था में जाने में कोई अधिक समय नहीं लगता। अतः जो आज एक मजबुत मानसिक स्वस्थ इंसान है वह कल ही मानसिक अस्वस्थ हो सकता है।
इस महामारी में हमें इतना मजबुत होना पड़ेंगा कि हम अपने काम बुद्धिमानी और सावधानी पूर्वक कर सके । अत “स्वस्थ” शब्द को गंभीरता पूर्वक लें । क्योंकि शारीरिक स्वस्थता के साथ-साथ मानसिक स्वस्थता भी उतनी ही जरूरी है।
ये गलत धारणा है कि किसी भी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने वाला पैसा ही इकलौता कारक है। बजाय इसके बाजिव दामों पर उत्पाद व सेवाएं, सौहार्दपूर्ण माहौल, ग्राहकों की संतुष्टि के प्रति समर्पण और विक्रेताओं के साथ खरीदार, दोनों का उदार रवैया भी वो कारक हैं, जो अर्थव्यवस्था में तेजी लाते हैं। पैसा सिर्फ इंजिन ऑइल है, जो खुशहाल राष्ट्र बनाने के लिए अर्थव्यवस्था को अकेले गति नहीं दे सकता। खुशी तो उसके नागरिकों की अच्छी शारीरिक और माली हालत का परिणाम है। आपको पैसों की जरूरत होती है, लेकिन उन कमाए पैसों का आनंद लेने के लिए अच्छी सेहत भी जरूरी है। और उसके लिए अपने अंदर की आवाज के प्रति वफादार रहें और उसके निर्देशानुसार काम करें।
प्लाइवुड उद्योग अब एक ऐसे दौर में पहुंच गया है जहां आमुल-चुल परिवर्तन की आवश्यकता है। पुराने तौर तरीके से काम करना अब इस क्षेत्र विशेष का भला नहीं कर सकता ।
लगातार यह संकेत आ रहे हैं कि कृषि वाणिकी आधारित उद्दोग के लायसेंस मुक्त करने की प्रक्रिया चल रही है। इसका सीधा तात्पर्य होगा कि वर्तमान में मौजुद इकाईयों को आपनी क्षमता बढ़ाने का अवसर प्राप्त होगा, वही नये खिलाड़ी भी इस मौके का फायदा उढाने के लगातार यह संकेत आ रहे हैं कि कृषि वाणिकी आधारित उद्दोग के लायसेंस मुक्त करने की प्रक्रिया चल रही है। इसका सीधा तात्पर्य होगा कि वर्तमान में मौजुद इकाईयों को आपनी क्षमता बढ़ाने का अवसर प्राप्त होगा, वही नये खिलाड़ी भी इस मौके का फायदा उढाने के लिए आकर्षित होंगे।
DMPMAI की हाल ही में हुई वर्चुअल मीटींग में यह बात उभर कर आई । नवजवानों के हाथो में उद्योग और संगठनों की जिम्मेवारी सौंपी जाये यह निष्कर्ष निकाला गया।
इसको हम ऐसे परिभाषित कर सकते है. -रक्षात्मक और आक्रामक। अपने आपको रक्षात्मक तरीके अपनाते हुए परिस्थितीयों के आगे समर्पण करने की बजाय आक्रमक तरीके से नयी नितीयों के साथ नये प्रयोग किये जाएं। हालांकि यह प्रयोग सफल-असफल दोनों हो सकते है। लेकिन निश्चीत ही यह आगे के लिए नये मार्ग प्रशस्त करेगा।
नये हाथों में सत्ता सौंपने का निर्णय उनके लिए कोई आसान काम नही है, जिन्होनें कडी मेहनत से यह मुकाम पाया है। फिर भी नई पौध को भार उठाने के लिए अपने कंधे मजबूत तो करने ही होंगे । योजना-पुर्वक वरिष्ठों के मार्गदर्शन में सक्रिय भागीदारी सौपने का प्रयास करने की आवश्यकता है।
सुरेश बाहेती
9050800888