Editorial September 21
- अक्टूबर 2, 2021
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Handle the mind
We all keep looking for ways to get out of negative emotions. It is not that everyone has negative thinking, but there are complications in everyone’s life and then it is necessary to have the means to keep the mind in control.
When the conditions are unfavorable, then the mind is not ready to get up and walk. Over and over again negative things repeat like a tape. Such a situation arises even when we commit mistakes two or four times in a row, such as loss of money, quarrel with people, entanglement in loved ones etc.
The mind starts telling, you are incompetent or you are a fool, that’s why people cheat you, people do not like you etc. Understanding and identifying any such situation will lead to the solution – an analysis of what caused this phenomenon and also the identification of people who constantly make negative comments.
Some people keep recalling and repeating bad situations from the past, reminding us that they are trying to make us feel good today, while the truth is that repeating bad things can never make us feel good. Stay away from such people or explain to them that it is better to leave behind what has passed. Also understand the words that lead to sadness. Keep a list of those word and activities, which immediately fill us with joy.
Negativity is associated with feedback, which usually includes what others say and also feedback from one’s own mind. Understanding this sequence is the path to diagnosis.
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It is true that there is a lot of gloom as the country is going through many tragedies like excessive rains in these days apart from pandemic. Which is reflecting in the market demand.
Production is toppling the current demand. Distributors are more interested in reducing their inventory instead of maintain their stock.
However, this is creating a vacuum in the market which is also pointing towards a possible strong demand as soon as the market opens.
Production costs have increased significantly mainly due to increase in the transportation cost of imported commodities. The unusual operation of container ships amid the pandemic has resulted in skyrocketing the transportation cost, which have seen an increase of 50-100 per cent in the past one year. Since production in industries can be reduced to some extent but cannot be stopped because the interest on capital and the families associated with the institution do not allow it to stop, apart from the continuous operating process.
Where as a section in the industry is disturbed by the present market situation, On the other hand many enthusiastic entrepreneurs are enhancing their production capacity and technical prowess in view of the upcoming demand. The contribution of capital and technology has relatively become more important in the economic growth in the fast changing global scenario. Capital expenditure has become as necessary as the focus on capital formation.
In the present disturbing and confusing circumstances, creating a strong base for future, by enhancing our skills tactfully is the best and significant use of the time.
मन को संभालेेेेें
हम सब नकारात्मक भाव से निकलने के रास्ते खोजते रहते हैं। ऐसा नहीं है कि सब नकारात्मक सोच रखते हैं लेकिन सभी के जीवन में उलझनें आती रहती हैं ओर तब के लिए मन को साधे रखने के उपाय पास होने जरुरी हैं।
जब स्थितियां विपरीत होती हैं, तब मन जैसे उठकर चलने को तैयार ही नहीं होता। बार-बार नकारात्मक बातें किसी टेप की तरह दोहराता हैं। ऐसी स्थिति तब भी पैदा होती है, जब लगातार दो-चार बार कोई गलती हो जाए, जैसे पैसों का नुकसान, लोगों से झड़प, अपनों में उलझाव आदि।
मन कहने लगता है, तुम झगड़ालू है या तुम मूर्ख हो इसलिए तुमको लोग ठग लेते हैं, तुम लोगों को पसंद नहीं। ऐसे किसी भी हालात को समझना और पहचानना हल की ओर ले जाएगा- किन वजहों से यह घटा उसका विश्लेषण और उन लोगों की भी पहचान जो लगातार नकारात्मक टिप्पणियां करते हैं।
कुछ लोग लगातार विगत के बुरे हालात को दोहराते रहते हैं, याद दिलाकर उन्हें लगता है कि वे आज के अच्छे हालात का अहसास करवाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि सच यह है कि बुरे का दोहराव, कभी अच्छा महसूस करवा ही नहीं सकता। ऐसे लोगों से दूर रहें या उनको समझाएं कि जो बीत गया, उसे पीछे छोड़ देना ही बेहतर है। उन शब्दों को भी समझें जो उदासी की ओर ले जाते हैं। उन शब्दों गतिविधियों की भी सूची रखें, जो तुरंत खुशी से भर देते हैं।
नकारात्मकता फीडबैक से जुड़ी होती हैं, जिसमें आमतौर पर दूसरों की बातें शामिल होती हैं और अपने मन की प्रतिक्रिया भी। इस क्रम को समझना निदान का मार्ग हैं।
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यह सही है कि देश इन दिनों स्वास्थ्य संबधी आपदा के अलावा भी अत्यधिक बारिश जैसी कई त्रासदियों से गुजर रहा है। इसे लेकर चारों ओर काफी निराशा का माहौल है। जो कि बाजार में मांग को प्रभावित कर रही है।
मांग से अधिक उत्पादन है। वितरक भी नया माल मंगाने की बजाय अपने पुराने स्टॉक को कम करते हुए अपनी इन्वेन्ट्री कम कर रहे हैं। हालांकि इस से बाजार में एक खालीपन भी आ रहा है जो वाजार के खुलते ही तेज मांग की ओर इशारा भी कर रहे हैं।
उत्पादन लागत काफी बढ़ गई हैं। जिसकी प्रमुख वजह आयातित जिन्सों के समुद्री परिवहन लागत में वृद्धि है। महामारी के बिच कंटेनर पोत के अस्वाभाविक परिचालन से परिवहन की कीमते आसमान छू रही हैं, जिसमें पिछले एक वर्ष में 50 से 100 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी गई है। स्वाभाविक तौर पर चूंकि उद्दयोग में उत्पादन कुछ कम तो किया जा सकता हैं, लेकिन रोका नहीं जा सकता क्योंकि सतत परिचालन प्रक्रिया के अलावा, पुंजी पर ब्याज एवं संस्था के साथ जुड़े हुए परिवार इसे रूकने की इजाजत नही देतें।
जहां एक ओर उद्दयोग का एक हिस्सा इस तंग बाजार से उद्वेलित है, वही दूसरी ओर कई उद्दमी भविष्य में आने वाली मांग के मद्देनजर अपनी क्षमता और तकनीकी कौशल बढ़ाने में लगे हुए हैं। पुंजी एवं तकनीक का योगदान, वर्तमान एवं आगत समय के आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण हो गया है। पुंजीगत खर्च भी उतना ही आवश्यक हो गया है, जितना कि पुंजी के निर्माण पर ध्यान देना।
इन मुश्किल परिस्थितीयों मे, आत्मसंयम का परिचय देते हुए, अपना कौशल बढ़ाते हुए, भविष्य के निर्माण की पृष्ठभूमि बनाने का प्रयास करना ही, वर्तमान समय की सार्थकता होगी।
सुरेश बाहेती
9050800888