Efforts to find solutions to the scarcity of wood and other challenges
- मई 20, 2023
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What can be the logical solution to the shortage of wood faced by the plywood industrialists of Haryana. Regarding this, a seminar of the Forest Department, Agriculture Department, farmers and industrialists was organized in Panchkula.
Devendra Chawla President of All India Plywood Association, said in the seminar, that now the time has come to think about how the raw material (i.e. wood) can be made available in sufficient quantities on a regular basis to the industry.
Devendra Chawla stressed that the Forest Department and Agriculture Department will have to accelerate their efforts. Because the problem of wood is becoming a big problem. A solution has to be found for this. Industrialists are also making efforts. But these efforts cannot be fruitful until the concerned departments make a concrete strategy for this.
Mrs. Kesni Anand Arora Chairperson, Haryana Water Resources Authority questioned in the seminar, how to reduce pollution by plywood units? We must think in this direction.
JK Bihani President Haryana Plywood Manufacturers Association said on this occasion, that there are many Industrialists who do not have space to install pit bores for rainwater harvesting. He said that plywood industrialists want to fulfill every rule and norm, and implement it. But sometimes practical problems arise. Due to which they cannot do anything, even if they want to. That’s why there should be a plan regarding bore wells. Every aspect should be considered in this plan, which should be prepared in such a way that industrialists can make their full contribution in the implementation.
On this occasion Mr. Satish Chaupal, Mr. Amit Goyal, Mr. Shivkumar Kamboj, Mr. Satish Saini also shared their views.
Manoj Dabas Deputy Chief TOFI said in the seminar, that now we also have to see where saplings can be planted. We have to find such land, which is not yet being put to use. We can plant more and more trees on this type of land.
Jagdish Chandra PCCF, Haryana said in the seminar, that the department is constantly working towards promoting agro forestry. Every year, farmers are being provided with high quality eucalyptus saplings, as well as other saplings. Our effort is to plant saplings on maximum land. But along with this, he also urged that the industrialists should think about the benefits of agro forestry to the farmers. If the farmers get an assurance that they will get a reasonable price for their Plantations, then it can prove to be an effective step towards tackling the problem of timber in the state. Only industrialists can take initiative in this direction.
IFS officer Raman, Shri P P Bhoj Ved ji retired IFS, Shri Rampal ji also shared their views in the program.
At the end of the seminar, everyone was of the same opinion that an effective policy should be made to deal with the problem of raw wood. Along with this, what other strategies should be considered, such that the plywood industry can flourish. So that all the challenges faced by the industry can be resolved in time.
लकड़ी की दिक्कत और अन्य समस्याओं का समाधान तलाशने की कोशिस
हरियाणा के प्लाईवुड उद्योग संचालकों को आ रही लकड़ी की दिक्कत का तार्किक समाधान क्या हो सकता है। इसे लेकर पंचकूला में वन विभाग, कृषि विभाग किसान, एवं उद्योगपतियों का एक सेमिनार आयोजित किया गया।
ऑल इंडिया प्लाईवुड एसोसिएशन के अध्यक्ष देवेंद्र चावला ने सेमिनार में बताया कि अब यह सोचने का वक्त आ गया कि किस तरह से उद्योग को नियमित तौर पर कच्चा माल यानी लकड़ी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो।
देवेंद्र चावला ने जोर देकर कहा कि इसके लिए वन विभाग व कृषि विभाग को अपने प्रयासों में और ज्यादा तेजी लानी होगी। क्योंकि लकड़ी की समस्या बड़ी दिक्कत बनती जा रही है। इसका हल खोजना होगा। इसके लिए उद्योगपति भी प्रयास कर रहे हैं। लेकिन यह प्रयास तब तक फलीभूत नहीं हो सकते, जब तक कि संबंधित विभाग इसके लिए कोई ठोस रणनीति न बना लें।
श्रीमती केसनी आनंद अरोड़ा अध्यक्ष हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण ने सेमिनार में कहा कि प्लाईवुड इकाइयों से प्रदूषण कैसे कम हो? इस दिशा में सोचना होगा।
जे के बिहानी अध्यक्ष हरियाणा प्लाईवुड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने इस मौके पर कहा कि कई ऐसे यूनिट संचालक है, जिनके पास बरसाती पानी को भूमिगत जल से मिलाने के लिए पिट बोर इन्स्टाल करने की जगह नही है, या पर्याप्त जगह नही है उनके लिए कोई योजना बनाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्लाइवुड उद्योगपति हर नियम व मापदंड को पूरा करना चाहते हैं, वह कर भी रहे हैं, लेकिन कई बार व्यवहारिक दिक्कत आ जाती है। इस वजह से चाहते हुए भी वह कुछ नहीं कर पाते। इसलिए बोर वेल की बाबत कोई योजना बननी चाहिए। इस योजना में हर पहलू पर विचार किया जाना चाहिए, इस तरह से योजना तैयार हो कि उद्योगपति इसे अमली जामा पहनाने में अपना भरपूर योगदान दे सके।
इस मौके पर श्री सतीश चैपाल जी, श्री अमित गोयल जी श्री शिव कुमार कम्बोज जी, श्री सतीश सैनी जी ने भी अपने विचार रखे।
ज्व्थ्प् के डिप्टी चीफ मनोज डबास ने सेमिनार में कहा कि अब हमें यह भी देखना होगा कि कहां कहां पौधा रोपण किया जा सकता है। हमें इस तरह की जमीन तलाशनी होगी, जो अभी तक प्रयोग में नहीं ला जा रही है। इस तरह की जमीन पर हम ज्यादा से ज्यादा पौधारोपण कर सकते हैं।
पीसीसीएफ जगदीश चन्द्र जी ने सेमिनार में कहा कि एग्रोफोरेस्ट्री को बढ़ावा देने की दिशा में विभाग लगातार काम कर रहा है। हर साल किसानों को उच्च गुणवत्ता के सफेदे के पौधों के साथ साथ दूसरे पौधे भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। हमारी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा जमीन पर पौधा रोपण हो। लेकिन उन्होंने इसके साथ ही एक आग्रह भी किया कि उद्योगपतियों को भी अब यह सोचना होगा कि कृषिवानिकी किसानों के लिए किस तरह से फायदेमंद हो सकती है। किसानों को यह आश्वासन यदि मिल जाए कि उन्हें तैयार पौधे का एक वाजिब दाम मिल जाएगा तो प्रदेश में लकड़ी की समस्या से निपटने की दिशा में एक कारगर कदम साबित हो सकता है। लेकिन इस दिशा में उद्योगपति ही पहल कर सकते हैं।
कार्यक्रम में आईएफएस अधिकारी रमन, श्री पी पी भोज वेद जी रिटायर्ड आईएफएस, श्री रामपाल जी ने भी अपने विचार रखे।
सेमिनार के अंत में सभी इस बात पर एक मत रहे कि कच्ची लकड़ी की समस्या से निपटने के लिए कारगर नीति बननी चाहिए। इसके साथ ही प्लाईवुड उद्योग किस तरह से फलफूल सकता है, इस दिशा में और क्या रणनीति हो सकती है, इस पर विचार किया जाना चाहिए। जिससे जो भी उद्योग में दिक्कत आ रही है, उसका समय रहते समाधान किया जा सके।