नये उद्यम (स्टार्ट अप) में असफलता
- दिसम्बर 7, 2024
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इस जमाने के ज्यादातर लोगों को लगता है कि स्टार्टअप सारी आधुनिक आर्थिक चुनौतियों का इलाज हैं। इनसे हमें ढेर अपेक्षाएं हैं। मसलन इन्हें अच्छा रोजगार तैयार करना चाहिए, अर्थव्यवस्था का विकास करना चाहिए, हमारी अर्थव्यवस्था को विदेशी टेक दिग्गजों से बचाना चाहिए।
सरकार भी उतने ही जोश के साथ इसमें शामिल हैः उसके स्टार्टअप इंडिया मिशन के तहत 2022-23 में करीब 23,000 इकाइयों ने पंजीकरण कराया और आंकड़ों से संकेत मिलता है कि इस साल और भी अधिक इकाइयों का पंजीकरण होगा।
ऐसा नहीं है कि हर स्टार्टअप कामयाब ही होगा और अपने संस्थापकों और निवेशकों को अमीर बना देगा। अमेरिका तथा भारत के आंकड़े बताते हैं कि 10 में से 9 स्टार्टअप अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच पाते। केवल 10 फीसदी स्टार्टअप ही बचते हैं और फल-फूल पाते हैं।
इसका मतलब है कि स्टार्टअप में नाकामी को स्वीकार करना सीखना भी उतना ही जरूरी है, जिसका उसकी कामयाबी का जश्न मनाना सीखना। ऐसा नहीं किया जाए तो स्टार्टअप संस्थापक और उसके परिवार को त्रासदी झेलनी पड़ सकती है।
आंकड़े बताते हैं कि स्टार्टअप की नाकामी की सबसे अहम वजह है उसके बनाए उत्पाद या सेवा का बाजार को लुभाने में असफल रहना यानी उत्पाद बाजार के माफिक नहीं बन पाता।
दूसरी सबसे बड़ी वजह है स्टार्टअप को शुरुआत में मिली पूंजी बहुत जल्दी इस्तेमाल हो जाना।
तीसरी सबसे महत्वपूर्ण वजह है सही लोगों को नौकरी पर नहीं रख पाना। ध्यान रहे कि दोस्तों या रिश्तेदारों का जमावड़ा इकट्ठा कर लेने से बात नहीं बनती। संस्थापकों के पास एक-दूसरो को सहारा देने वाले कौशल होने चाहिए। मसलन एक संस्थापक तकनीक का जानकार है तो दूसरे को मार्केटिंग का विशेषज्ञ होना चाहिए।
नाकामी की एक और वजह कोई ऐसी घटना होती है, जिस पर हमारा वश नहीं चलता मगर जिसका हमारे कारोबार या कामकाज पर बहुत असर पड़ता है। उदारहण के लिए रुपये में अचानक गिरावट आ जाना या आपके लिए जरूरी वस्तु के आयात पर अचानक बहुत अधिक शुल्क लग जाना।
अगर वर्तमान स्टार्टअप या पहले से जम चुके स्टार्टअप ऐसे बदलावों को पहले से नहीं भांप पाते हैं तो उनके सामने गंभीर संकट आ सकता है।
कंपनियों को सुनिश्चित करना चाहिए कि जल्दी मुनाफा हासिल करने की उनकी दौड़ से उनकी स्वयं की सुरक्षा की बलि न चढ़ जाए।
जो स्टार्टअप विकेंद्रीकृत मॉडल पर चलते हैं और जिनके यहां यूजर्स का अपनी जानकारी पर अधिक नियंत्रण होता है, उनके लिए विकेंद्रीकृत संगठनों तथा विश्वसनीय पहचान प्रबंधन पर जोर देना ही सफलता की कुंजी है।
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