Festive Season have seen a robust recovery – Mahabir Agarwal
- दिसम्बर 29, 2021
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How was the festive season?
India cloaked an impressive GDP growth in the second quarter and is expected to do well in the long term. It is the fact that, the festive season coincided with the reopening, and we have seen a robust recovery, as always. There is enough reason to believe that the kind of traction we saw in Q2 will continue to a degree. However third wave of pandemic is the biggest risk at present. It is said that the third wave is not so harmful, yet we have to watch the situation till the time passes.
How do we look at the problems?
I feel that supply issues of raw material will continue and that could lead to some constraints in terms of inputs. Although input prices have come down a bit, they still remain high. This could hamper the growth in some sense. We are on the right track but with pandemics, you really cannot guess exactly. It would depend entirely upon the intensity of the spread. We hope it does not happen, but if it is as virulent as second wave, it would be a different story.
What fiscal support did we get?
One of the problems with our economic management of COVID is that in comparison to other countries, the fiscal support was lower than the developed economies and also in comparison to some of our peer emerging economies. So, absence of fiscal support have created problems in the large informal sector that we have.
What was the effect of stimulus package?
Fiscal policy has two components-support and stimulus. The way the government thought about fiscal expansion was largely as a stimulus.
I would argue that MSME’s could have been provided better fiscal support.
One can’t entirely blame the government for going slow on fiscal expansion during COVID. We do not have the kind of fiscal space that others have and that is a big constraint.
How do you see the future?
If you are looking at the pyramid, you are seeing a lot of growth at the top of the pyramid but as you go at the bottom, there are issues. Still there are several issues regarding income in the lower end. Which are to be sorted out. We hope industrialists with the support of government machineries, has the ability to solve the issues brilliantly and successfully.
इस त्योहारी सीजन में बाजार का क्या प्रदर्शन रहा ?
भारत ने दुसरी तिमाही में सकल GDP में प्रभावशाली वृद्धि देखी है। उम्मीद की जा रही थी कि लंबी अवधि मे यह उत्साहजनक वृद्धि का प्रदर्शन जारी रहेगा। त्योहारी सीजन में हमेशा ही बाजार अच्छा प्रदर्शन करता है। इस बार भी यह उम्मीदों पर खरा उतरा है और हमने एक मजबूत रिकवरी देखी है। यह मानने का पर्याप्त कारण है कि जिस तरह की मांग हमने दुसरी तिमाही में देखी वह एक हद तक जारी रहेगी। हालांकि हमारे सामने महामारी की तीसरी लहर की आशंका गहराती जा रही है। यह भी कहा जा रहा है कि तीसरी लहर इतनी भयावह ना हो लेकिन जब तक यह समय गुजर नहीं जाता जोखिम तो है ही।
इस समस्या को कैसे देखे ?
मुझे यह लगता है कि कच्चे माल की आपूर्ति की समस्या जारी रहेगी और इससे इनपुट के मामले में बाधाएं भी आ सकती हैं। यद्यपि कच्चे माल की कीमतें कुछ स्थिर हुई हैं लेकिन अभी भी उच्च बनी हुई हैं। यह स्थिति विकास में बाधा डालने में पर्याप्त है।
हालांकि हम सही ट्रैक पर चल रहें है। लेकिन महामारी का वास्तविक स्वरुप का अंदाज सही-सही नही लगा सकते। महामारी के प्रसार की तीव्रता पर सब कुछ निर्भर रहेगा। भगवान न करें, लेकिन अगर यह दुसरे लहर की तरह विषैला है तो एक अलग कहानी होगी।
राजकोषीय समर्थन कितना मिला
Covid के हमारे आर्थिक प्रबंधन के साथ एक समस्या यह भी है कि अन्य देशों की तुलना में, राजकोषीय समर्थन विकसीत अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में कम था और कुछ उमरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में थी। इसलिए राजकोषीय समर्थन के अभाव में हमारे जैसे Unorganised क्षेत्रों में समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
सरकारी प्रोत्साहन पैकेज और उसके प्रभाव क्या रहे
राजकोषीय नीति के दो घटक हैं- समर्थन और प्रोत्साहन। जिस तरह से सरकार ने राजकोषीय विस्तार के बारे में सोचा वह काफी हद तक प्रोत्साहन के रूप में था। यहां मेरा मानना है कि MSME इकाइयों को अधिक वित्तीय सहायता प्रदान की जा सकती थी।
यह भी है कि COVID के दौरान राजकोषीय विस्तार पर धीमी गति से चलने के लिए सरकार को पूरी तरह से दोष नहीं दिया जा सकता है। शायद हमारे पास उस तरह की राजकोषीय गुंजाइश नही है जो दुसरो के पास है और यह एक बड़ी बाधा है।
निकट भविष्य में आर्थिक वृद्धि के आसार
यदि हम बाजार के पीरामीड को देखें तो लगता है पीरामीड के शीर्ष पर बहुत अधिक वृद्धि दिखाई पड़ रही है लेकिन जैसे जैसे आप नीचे जाते है वहां कई तरह के मुद्दे हैं. अभी भी निचले स्तर पर आमदनी से संबधित समस्याएं हैं जो कि सुलझानी जरुरी है। उम्मीद की जानी चाहिए कि प्रशासन और उद्योगपति मिलकर इन समस्याओं को सफलतापूर्वक सुलझा लेंगे।