Inclusion of turnover of 20 Cr. In E- invoicing will be reflected in Stronger Tax collection
- मार्च 2, 2022
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Required electronic invoicing (e-invoicing) rules for companies doing business-to-business (B2B) transactions with a turnover of more than 20 caror are going to come into effect from April 1, 2022.
Impact of e-invoicing
- Invoice generated by the producer can be tracked in real time.
- Using e-invoice reduces the chances of fraud.
- Chances of tax evasion in small and medium businesses are reduced.
- – E-invoicing will reduce manual reporting process.
- The scope for manipulation will decrease and the actual input tax credit claims will increase.
1.80 lakh GST Identification Number (GSTIN) i.e. companies will be added. After the implementation of this rule from April 1 right now this number is 2.40 lakh. With the addition of new companies, the number of GSTINs will increase to 4.20 lakh. However, a company can have more than one GSTIN.
Under the GST law, companies with a turnover of more than 500 crore were first brought under the ambit of e-invoicing. From January 1, 2021, companies with a turnover of 100 crores were also included in this. After this, companies with a turnover of 50 crores were also brought under the ambit of e-invoicing from April 1, 2021.
The inclusion of small and medium companies in the e-invoicing system will not only increase the scope of GST but will also help in preventing tax evasion. The GSTIN is expected to increase by 75 to 80 per cent after the implementation of the Rs 20 crore range.
E-invoicing will help in improving compliance, which will be reflected in stronger tax collection. Tax collections exceeded Rs 1.3 lakh crore for the fifth time in February 2022 due to increase in the number of companies in the e-invoicing system. Which is 18 percent more than in February last year.
ई-इनवॉयस में 20 Cr. टर्नओवर शामिल होने से कर संग्रह में बढ़ोत्तरी की उम्मीद
20 करोड़ से ज्यादा टर्नओवर के कारोबार से कारोबार (बीटूबी) लेनदेन करने वाली कंपनियों के लिए आवश्यक इलेक्ट्रॉनिक इनवॉयसिंग (ई-इनवॉयस) का नियम 1 अप्रेल 2022 से लागू होने जा रहा है।
ई-इनवॉयसिंग का असर
- उत्पादक की ओर से तैयार इनवॉयस पर रियल टाइम नजर रखी जा सकेगी।
- ई-इनवॉयस के इस्तेमाल से धोखाधड़ी की संभावना कम रहती है।
- छोटे और मध्यम कारोबारों में कर चोरी की संभावना घट जाती है।
- – ई-इनवॉयसिंग से मैनुअल रिपोर्टिंग प्रक्रिया में कमी आएगी।
- – हेरफेर की गुंजाइश घटेगी और वास्तविक इनपुट टैक्स क्रेडिट के दावे बढ़ेंगे।
एक अप्रैल से यह नियम लागू होने के बाद 1.80 लाख जीएसटी आईडेंटिफिकेशन नंबर (जीएसटीआईएन) यानी कंपनियां जुड़ेंगी। अभी यह संख्या 2.40 लाख है। नई कंपनियों के जुड़ने के बाद जीएसटीआईएन की संख्या बढ़कर 4.20 लाख हो जाएगी। हालांकि, एक कंपनी के पास एक से अधिक जीएसटीआईएन हो सकते हैं।
जीएसटी कानून के तहत सबसे पहले ई-इनवॉयसिंग के दायरें में 500 करोड़ से ज्यादा टर्नओवर वाली कंपनियों को लाया गया था। एक जनवरी 2021 से 100 करोड़ के टर्नओवर वाली कंपनियों को भी इसमें शामिल किया गया। इसके बाद एक अप्रैल 2021 से 50 करोड़ के टर्नओवर वाली कंपनियां भी ई-इनवॉयसिंग के दायरे में लाई गईं।
ई-इनवॉयसिंग प्रणाली में छोटी और मध्यम कंपनियों को शामिल करने से ना केवल जीएसटी का दायरे बढ़ेगा, बल्कि कर चोरी रोकने में भी मदद मिलेगी। 20 करोड़ का दायरा लागू होने के बाद जीएसटीआईएन में 75 से 80 फीसदी बढ़ोतरी की उम्मीद है।
ई-इनवॉयसिंग से अनुपालन में सुधार लाने में मदद होगी, जो मजबूत कर संग्रह में दिखाई देगा। ई-इनवॉयसिंग प्रणाली में कंपनियों की संख्या बढ़ने से फरवरी 2022 में कर संग्रह पांचवी बार 1.3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा रहा। जो पिछले साल फरवरी की तुलना में 18 प्रतिशत ज्यादा है