G Vishnu Prasad – Krishna Plywoods
- फ़रवरी 11, 2023
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Indian Plywood industry is upset
due to lack of demand and raw material scarcity
But since farmers are now taking more interest in planting other fruit trees instead of rubber, as the rubber crop has not been that attractive at present.
Present market of Plywood
Indian Plywood industry either in North or South India is worried by two aspects of problems. Firstly, the availability of timber as raw material is continuously decreasing. The second one is that there is a persistent shortfall in demand The effort should be to timely resolve the problem. So that the industry can reach its everlasting hight.
What is the status of raw material?
We mainly consume Eucalyptus and Millia dubia as core veneer in the ply. Eucalyptus is available for around seven thousand rupees. Although the rate of rubber is also equal to this. But since farmers are now taking more interest in planting other fruit trees instead of rubber, as the rubber crop has not been that attractive at present. Apart from this, due to the additional benefit of it’s red colour, eucalyptus is consumed almost 90 percent of the total requirement. But at present there is a shortage of quality timber. This is a big crisis. This should be resolved as soon as possible.
What solution do you see?
Doing contract farming for this. So that farmers can be encouraged towards maximum wood cultivation. Till the farmers are not encouraged to cultivate trees, the industry will face the shortage of timber. That’s why we are working on contract farming. So that the area under tree plantation should be increased sufficiently by taking the farmers into confidence.
What is the market situation?
Market condition is not very enthusiastic. That’s why we have reduced production. So that the cost of production can be balanced. The point to be noted is that the sales at the dealers end have also decreased. All our existing dealers are standing firm with us, but their sales have also been affected by 30-40 per cent.
Payment status
Definitely the payment condition deteriorates, when there is a lack of demand in the market. The producers are also under pressure along with the dealers. There is no visible solution to this at the moment.
Which quality you are producing
We are focusing only on the southern market as of now. Although we produce premium products. But this sector is facing with lesser demand at present. Although we manufacture fire retardant and calibrated ply, yet demand for BWP 710 and PF shuttering ply is persistent, which account for about sixty percent of our production.
Where is your market?
We are currently focusing on Tamil Nadu, Karnataka, Kerala and Andhra Pradesh market only. Going further than this increases the freight. It is thus negatively competitive.
Marketing prospect in North India
There is not much difference between the products of North India and South India as of now. Almost same quality is produced everywhere. Now it depends on the individual that how much one wants to expand himself. It also depends on his individual capability and family manpower.
भारतीय प्लाइवुड उद्योग मांग की कमी
और कच्चे माल की समस्या से परेशान है
लेकिन चुंकि किसान आजकल रबर की बजाय दूसरे फलदार वृक्ष लगाने में ज्यादा रुचि ले रहे हैं, क्योंकि रबर की फसल उतनी आकर्षक नहीं रही।
प्लाईवुड़ का वर्तमान बाजार
उत्तर हो या दक्षिण भारत हर जगह प्लाइवुड इंडस्ट्री दो तरह की समस्या से परेशान है। पहली तो यह है कि कच्चे माल के तौर पर लकड़ी की उपलब्धता लगातार कम हो रही है। दूसरी समस्या यह है कि मांग में लगातार कमी बनी हुई है। कोशिश यह होनी चाहिए कि समय रहते समस्या का समाधान हो सके। जिससे उद्योग पुनः अपनी उचाइयों तक पहुंच सके।
कच्चे माल को लेकर क्या स्थिति है?
हम युकेलिप्टस और मिलिया दुबिया की कोर का प्लाई में इस्तेमाल करते हैं। युकेलिप्टस सात हजार रुपए में मिल रहा है। हालांकि रबर के रेट भी इसके बराबर है। लेकिन चुंकि किसान आजकल रबर की बजाय दूसरे फलदार वृक्ष लगाने में ज्यादा रुचि ले रहे हैं, क्योंकि रबर की फसल उतनी आकर्षक नहीं रही। इसके अलावा लाल रंग के अतिरिक्त गुण के कारण भी, 90 प्रतिशत युकेलिप्टिस ही प्रयोग हो रहा है। लेकिन इस वक्त अच्छी लकड़ी की कमी हो रही है। यह बड़ा संकट है। जिसका समाधान जितनी जल्दी हो सके होना चाहिए।
क्या समाधान देख रहे हैं?
इसके लिए कांट्रेक्ट फार्मिंग कर रहे हैं। जिससे किसानों को ज्यादा से ज्यादा लकड़ी की खेती के प्रति प्रोत्साहित किया जा सके। जब तक किसान लकड़ी की खेती में उत्साहित नहीं होंगे, तब तक इंडस्ट्री को लकड़ी की समस्या रहेगी। इसलिए कांट्रेक्ट फार्मिंग पर काम किया जा रहा है। जिससे किसानों को विश्वास में लेकर वृक्षारोपण का एरिया बढ़ाया जाए।
बाजार की स्थिति क्या है?
बाजार की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। इसलिए हमने उत्पादन भी कम कर दिया है। जिससे खर्च कम हो सके। ध्यान देने वाली बात यह है कि डीलरों के पास भी बिक्री कम हुई है। पुराने सभी डीलर हमारे साथ मजबूती से खड़े हैं, लेकिन उनकी बिक्री भी 30-40 प्रतिशत तक प्रभावित हुईं है।
पेमेंट की स्थिति
बाजार में मांग की कमी होती है तो निश्चित रूप से भुगतान संतुलन बिगड़ता है। डीलर के साथ उत्पादक भी दबाव में है। इसका फिलहाल कोई हल दिखाई नहीं दे रहा है।
किस तरह के माल के उत्पादन पर जोर है ?
हम अभी तक दक्षिण के बाजार पर ही फोकस कर रहे हैं। हालांकि हम प्रीमियम प्रोडक्ट बना रहे हैं। लेकिन इसमें फिलहाल मांग कम है। हालांकि हम फायर रिटार्डेंट और केलीब्रेटेड प्लाई भी बनाते हैं, लेकिन बी डब्ल्यू पी 710 और पी एफ सटरींग प्लाई की मांग बरकरार है, जिनकी हिस्सेदारी हमारे उत्पादन में लगभग साठ प्रतिशत तक हो जाती है।
आपका बाजार कहां है ?
हम अभी तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश के बाजार पर ही ध्यान दे रहे हैं। इससे ज्यादा दूर जाने से किराया खर्च बढ़ जाता है। जिससे प्रतिस्पर्धा की क्षमता नकारात्मक हो जाती है।
उत्तर भारत में मार्केटिंग की कोशिश नहीं कर रहे हैं
अब उत्तर भारत और दक्षिण भारत के उत्पादों में ज्यादा अंतर नहीं रह गया है। हर जगह एक समान गुणवत्ता का उत्पादन ही तैयार हो रहा है। अब यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है कि वह अपना कितना विस्तार करना चाहते हैं। यह उनके व्यक्तिगत सामथ्र्य और पारिवारिक जन संसाधन पर भी निर्भर करता है।