Govt Should Identify & Recognize Agro Forestry – Sajjan Bhajanka
- सितम्बर 5, 2022
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Sajjan Bhajanka President, Federation of Indian Plywood & Panel Industry is a well known Crusader in wood based industry. As usual he has contributed a lot for the climate change and wood based industry. He has participated in many government and non-government organisations and meetings which gave new direction to the industry. He has motivated the industry towards self reliance.
FIPPI has taken up one more challenge under his leadership and is determined to achieve success in it. That is to differentiate wood based industry dependance on agri wood and its entanglement with forest act.
He has strongly put the case in front of Prime Minister Narendra Modi in his letter dated August 10, 2022 for creating a new agri wood act which should be totally independent of forest act.
It has been found that agro wood is trapped in agriculture and forest ministries which has created many problems for the healthy growth and success of the wood based industry of India. If it was not under the forest act, the Indian wood based industry would have been a world leader. Farmers would have been rich. Employment would have been much higher. Allied industries would have grown in double digits.
Considering all these factors and many more Shri Sajjan Bhajanka had earlier asked the government to exclude agri Wood from forest. The reply received from the Ministry of Environment Forest and Climate, New Delhi over two years back (11.09.2020) had been positive and taken in consideration. But after that nothing was done. Hence the frustration has mounted a lot in the industry, which is facing hardships on all parameters.
Sajjan Bhajanka has written a letter and requested PM Narendra Modi for a strong stance to immediately start acting on creating a new Agriwood act,
- To drop the word forestry.
- To use the word Agriwood.
- To expedite the process.
सरकार कृषि वाणिकी को
पहचान कर मान्यता दें : FIPPI
सज्जन भजनका, अध्यक्ष, फेडरेशन ऑफ इंडियन प्लाइवुड एंड पैनल इंडस्ट्री (FIPPI), लकड़ी आधारित उद्योग में एक अग्रणी योद्धा हैं। हमेशा की तरह उन्होंने जलवायु परिवर्तन और लकड़ी आधारित उद्योग के लिए बहुत योगदान दिया है। उन्होंने कई सरकारी और गैर सरकारी संगठनों और बैठकों में भाग लिया जिन्होंने उद्योग को नई दिशा दी। उन्होंने उद्योग को आत्मनिर्भरता की ओर प्रेरित किया है।
FIPPI ने उनके नेतृत्व में एक और चुनौती ली है और उसमें सफलता हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यानी उद्योग की कृषि लकड़ी पर आधारित निर्भरता और वन अधिनियम के साथ इसके उलझाव में अंतर करना।
उन्होंने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का अपने पत्र दिनांक 10 अगस्त 2022 में एक नया कृषि लकड़ी अधिनियम बनाने के लिए दृढ़ता से मामला रखा है जो वन अधिनियम से पूरी तरह स्वतंत्र होना चाहिए।
यह पाया गया है कि कृषि वाणिकी कृषि और वन मंत्रालयों में फंस गई है जिसने भारत के लकड़ी आधारित उद्योग की स्वस्थ वृद्धि और सफलता में समस्याएं पैदा की हैं। यदि यह वन अधिनियम के तहत नहीं होता तो भारतीय लकड़ी आधारित उद्योग विश्व में अग्रणी होता। किसान अमीर होते। रोजगार बहुत अधिक होता। संबद्ध उद्योग दोहरे अंकों में विकसित होते।
इन सभी और कई अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुए श्री सज्जन भजनका ने पहले सरकार से कृषि लकड़ी को जंगल से बाहर करने और इसे कृषि के तहत लाने के लिए आग्रह किया। पर्यावरण वन और जलवायु मंत्रालय नई दिल्ली से दो साल पहले 11.09.2020 को प्राप्त उत्तर सकारात्मक था और इसे संज्ञान में लिया गया था। लेकिन उसके बाद कुछ नहीं किया गया। इसलिए सभी मानकों पर मुश्किलों का सामना कर रहे उद्योग जगत में हताशा काफी बढ़ गई है।
सज्जन भजनका ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कड़ा रुख अपनाने का आग्रह किया है कि एक नया एग्रीवुड़ एक्ट बनाने पर त्वरित कार्रवाई शुरू करें।
- वानिकी शब्द को गिराने के लिए।
- एग्रीवुड़ शब्द का उपयोग करने के लिए।
- प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए।