वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रुपये को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के रूप में बढ़ावा देने की सरकार की मंशा दोहराई है। उन्होंने कहा कि सरकार भारत में एफडीआई और विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए नियमों को सरल बनाएगी, ताकि ऐसे लेन-देन में रुपए के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा सके।

इस साल केंद्रीय बैंक ने कहा कि वह भारत से बाहर रहने वाले लोगों (पीआरओआई) को देश के बाहर रुपए में खाते खोलने की अनुमति देगा और बैंक को पीआरओआई में अग्रणी बनाने की अनुमति देगा। इसने कहा कि यह गैर-निवासी रुपए और वोस्ट्रो खातों के माध्यम से एफडीआई और एफपीआई निवेश की अनुमति देगा।

लेकिन रुपए को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनाना जितना आसान दिखता है, हकीकत में उतना है नहीं। बैंकरों का कहना है कि डॉलर जैसी वैश्विक मुद्राएं तरल हैं और अमेरिका जैसे देश अभी भी वैश्विक व्यापार पर बहुत अधिक नियंत्रण रखते हैं।

‘‘ये मुद्राएं पूरी तरह से परिवर्तनीय हैं और बड़ी मात्रा में धन निकासी और लाना कहीं अधिक आसान और तेज़ है। पूंजी खाते पर रुपया पूरी तरह से परिवर्तनीय नहीं है। जबकि भारत का व्यापार बढ़ रहा है, यह अभी भी दुनिया के सबसे बड़े व्यापारों में से नहीं है। रुपये को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनाने के लिए वित्तीय ढांचे के साथ-साथ पूंजी खाते में भी कई बदलाव करने होंगे‘‘ एक बैंकर ने कहा।

आरबीआई के नियमों में जुलाई 2022 में घोषित उपाय शामिल हैं, जो स्थानीय मुद्रा में निर्यात/आयात के चालान, भुगतान और निपटान के लिए अतिरिक्त व्यवस्था की अनुमति देते हैं। निर्यात और आयात को रुपये में मूल्यांकित और चालान करने की अनुमति दी गई है। लेकिन बैंकों द्वारा कंपनियों को इन सुविधाओं का उपयोग करने की अनुमति देने से पहले आरबीआई से मंजूरी लेनी होगी।