Growing market of useful and durable goods

मार्केट का आकलन करने पर हम पाते हैं कि भारत की बड़ी आबादी अपनी जरूरतों के लिए बुनियादी चीजों पर ज्यादा खर्च करती है, उस वर्ग की तुलना में जो महंगी चीजों पर खर्च करता है। भारत में ऊंची आय वाले लोगों की आबादी कम होने के बावजुद भी भारत का बाजार महंगे ब्रांड या महंगी कारों का विश्व में दूसरा या तीसरे नंबर पर माना जाता है।    

इस समय कारोबारी जगत में हमारे उपभोग के खरीद के तरीके को लेकर असमंजस की स्थिति है। क्योंकि भारत में महंगी स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) की मांग इतनी ज्यादा है कि बुकिंग कराने के बाद गाड़ी का इंतजार करने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इससे समझ में आता है कि लोगों की खरीदने की क्षमता बढ़ रही है। लेकिन दूसरी ओर बाजार के तिमाही के नतीजे खासे निराश करने वाले हैं।

यह स्थिति असमान विकास को दर्शाती है। विशेषज्ञ इस स्थिति को ज्ञ शेप खपत का नाम देते हैं। जिसका मतलब होता है, इस तरह की स्थितियों में बाजार में तरक्की करने का एक ही मंत्र है, वह यह है कि खरीदारों के बड़े बाजार और ग्रामीण बाजार की अनदेखी करने की बजाय यहां महंगी चीजों को उतारा जाए।

 सर्वाधिक खर्च करने वाले शहरी भारतीयों में 5 प्रतिशत लोग उन परिवारों से ताल्लुक रखते हैं जो सालाना 11,24,000 लाख रुपये खर्च करते हैं।

बाजार ने काफी पहले ग्रामीण एवं शहर के खत्म होते अंतर को समझ लिया था। बेहतर सड़क नेटवर्क, मीडिया, और अर्ध शहरी क्षेत्र की वजह से गांव व शहर आपस में जुड़ने लगे हैं। इसका परिणाम यह हुआ है कि अर्द्ध शहरी व शहरी उपभोक्ता बढ़ रह हैं।

ग्रामीण क्षेत्र में सबसे कम आय वाले 10 प्रतिशत और शहरी क्षेत्र में सबसे अधिक आय वाले 5 प्रतिशत को यदि छोड़ दिया जाए तो बाकी बचे लोगों की आय लगभग बराबर है। अब अंततः औसत आय वाले उपभोक्ताओं की बड़ी आबादी के लिए बाजार तैयार होने लगा है।

हम अक्सर सुनते हैं कि आय का स्तर गिरने के बाद भी स्कूल फीस और किराये आदि पर होने वाले खर्च कम नहीं होते हैं। लोगों के जीवन स्तर में सुधार हो रहा है जो उन्हें भविष्य के प्रति आशावादी बना रही है। हालांकि फिर भी खर्च करने से पहले हर कोई दस बार सोच रहा है।

इसलिए कंपनियों के मार्केटिंग रणनीतिकार मान रहे हैं कि महंगे लेकिन उपयोगी और टिकाऊ उत्पाद तैयार करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। ये ऐसी कंपनियां हैं, जो भविष्य में बदलने वाली संभावित परिस्थितियों के अनुसार पहले ही अपनी रणनीति तैयार करती हैं।