
छूट और स्लैब में कमी करने से ही जीएसटी अधिक सफल हो सकता हैः आईएमएफ
- मार्च 11, 2025
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भारत में जीएसटी व्यवस्था काफी जटिल है। जीएसटी लागू करने वाले लगभग दो तिहाई देशों में, केवल एक या दो ही गैर शून्य दरें हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष में भारत, एशिया, और प्रशांत विभाग के सहायक निदेशक और मिशन प्रमुख हेराल्ड फिंगर ने कहा कि गैर शून्य दर की संख्या को कम करने के साथ साथ, छूट में कटौती करने से अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था अधिक कुशल हो पाएगी।
फिंगर का मानना है कि एकल जीएसटी दर लागू करने से इसका पालन और लागू करना अधिक आसान हो सकता है। इसके साथ ही चोरी के जोखिम को भी कम किया जा सकता है। क्योंकि हाल के दिनों में देखा गया है कि कम जीएसटी दर का लाभ उठाने के लिए उत्पाद या सेवा को गलत ढंग से वर्गीकृत किया जाता रहा है।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि कमजोर परिवारों पर यदि जीएसटी दर के बढ़ने से आर्थिक बोझ पड़ता है, तो उन्हे मौजूदा प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण तंत्र का उपयोग कर के आर्थिक मदद दी जा सकती है।
भारत में जीएसटी जुलाई 2017 में लागू हुआ था।इसके चार स्लैब है, हालांकि, कुछ वस्तुओं जैसे कीमती धातुओं के लिए विशेष दरों के साथ कई केंद्रीय व राज्य कर शामिल किए गए हैं। कई वस्तुओं पर उपकर भी लगाया जाता है।
जीएसटी में समय समय पर कई छूट दी गई, इसके साथ ही कई रोल आउट किए गए। जिससे शुरुआती 15.5 प्रतिशत की जीएसटी राजस्व तटस्थ दर 11.6 प्रतिशत तक गिर गई है।
कर ढांचे को तर्क संगत बनाने का काम जीएसटी परिषद ने मंत्रियों के एक समूह को सौंपा हुआ है। हालांकि इसमें बहुत कम काम हुआ है।
हेराल्ड फिंगर का मानना है कि वैश्विक उथल पुथल के बीच भी भारत को अपनी संरचनात्मक सुधारों से अपनी विकास क्षमता को बढ़ाने के काफी अवसर है। कर सुधार को तर्कसंगत बनाने के लिए राज्यों के साथ तालमेल भी बेहद जरूरी है ।
हालांकि उनका मानना है कि मौजूदा भारतीय वित्त व्यवस्था में जोखिम काफी हद तक निंयत्रित है। लेकिन जहां जहां कमजोरियां है, उनमें सुधार करने व उनके बारे में सचेत रहने की आवश्यकता भी है।