GST officers to get real-time data of commercial vehicles
- मई 20, 2021
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Goods and services tax (GST) officers have been armed with real-time data of commercial vehicle movement on highways with integration of the e-way bill system with FasTag and Radio-frequency identification (RFID), a move which will help in live vigilance of such vehicles and check GST evasion. Additional features have been added to the e-way bill mobile application of tax officers. Under the GST regime, e-way bills have been made mandatory for inter-state transportation of goods valued over Rs. 50,000 from April 2018.
जीएसटी चोरी को रोकने के लिए सरकार की सख्ती लगातार बढ़ रही है। अब ई-वे बिल से जुड़े सामानों की आवाजाही की रियल टाइम जानकारी जीएसटी अधिकारी रख पा रहे हैं। ईवे बिल को फास्टैग और रेडियो फ्रिक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन (आरएफआइडी) से जोड़ दिया गया है। इससे सामान ले जो वाले वाहनों पर निगरानी रखी जा रही है। इससे जीएसटी चोरी पर लगाम लगाना आसान हो गया है।
जानकारों के मुताबिक, ईवे बिल जनरेट करने के दौरान सामान ले जाने वाले वाहन की पूरी जानकारी देनी होती है। ई-वे बिल सिस्टम को जीएसटी अधिकारी के पास मौजूद मोबाइल एप् से जोड़ दिया गया है। ऐसे में वाहनों के नंबर को डालकर जीएसटी अधिकारी उस एप की मदद से आसानी से यह जान सकेंगे कि वह वाहन अभी कहां है और अपने गंतव्य तक पहुंचने में उसे कितना समय लगेगा।
फास्टैग से जुड़े होने के कारण वह वाहन ने कितने टोल प्लाजा को पार किया है, इसकी जानकारी रियल टाइम पर मिल रही है। सोने को छोड़ अन्य सभी वस्तुओं का मूल्य अगर 50,000 रुपये से अधिक है, तो अंतरराज्यीय स्तर पर उसकी ढुलाई के लिए ई-वे बिल अनिवार्य है।