
जमीन (के सौदे)और रियल एस्टेट पर भी जीएसटी
- नवम्बर 14, 2024
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वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) वास्तव में एक परिवर्तनकारी कर सुधार व्यवस्था है। अब इसे आगे बढ़ने के लिए इसके दायरे का विस्तार करने और दरों को तर्कसंगत बनाने की आवश्यकता है।
रियल एस्टेट और जमीन के सौदे को भी अब जीएसटी के दायरे में लाया जा रहा है। भूमि और रियल एस्टेट पर जीएसटी ;स्।त्म्द्ध को लेकर बहुत अधिक बात नहीं की जा रही है, लेकिन जीएसटी राजस्व से परे जाकर इसका बहुत ही क्रांतिकारी प्रभाव हो सकता है। जीएसटी से रियल एस्टेट में किए जाने वाले लेन-देन में अधिक पारदर्शिता आएगी, आयकर के मामले में अधिक राजस्व प्राप्त होगा और आवासीय क्षेत्र में अधिक विदेशी निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे अधिक रोजगार पैदा होंगे।
वास्तव में जीएसटी को लागू करने से पहले ही इस पर व्यापक रूप से बहस हुई थी। जमीन और रियल एस्टेट में जीएसटी लगाने से राज्यों द्वारा स्टाम्प शुल्क लगाने या स्थानीय निकायों द्वारा संपत्ति कर लगाने पर रोक नहीं लगती है।
राज्य स्टाम्प शुल्क लगाना जारी रख सकते हैं, क्योंकि इन दोनों मामलों में कर का सिस्टम अलग-अलग है। कराधान के पहलू सिद्धांत को बरकरार रखते हुए सर्वाेच्च न्यायालय ने इस सिद्धांत को बरकरार रखा है।
जीएसटी लागू को सुचारू करने के लिए, इसमें भूमि विकास से लेकर कन्सट्रक्सन आवास विकसित करने तक के सारे खर्च से लेकर तैयार संपत्तियों की पहली बिक्री तक के सारे आंकड़े शामिल होंगे। यह कानूनी रूप से उचित है। भूमि की बिक्री को सेवा के रूप में भूमि के अधिकार की बिक्री के रूप में मान कर कर लगाया जा सकता है।
जीएसटी में आने से निर्माता स्वयं ही खर्च और आय की घोषणा करेगा। इस तरह से काले धन की आय को भी रोकेगा और गैर-कृषि भूमि को बेकार पड़े रहने देने के बजाय भूमि विकास को प्रोत्साहित किया जा सकता है। जीएसटी लागू होने से निर्माण सेवाओं और तैयार संपत्ति के बीच वर्तमान में किए गए अंतर भी समाप्त हो जाएगा, जिसमें पहली में कर लगाया जाता है जबकि बाद में छूट दी जाती है।
संपत्ति के खरीदार को जीएसटी औपचारिकताओं से दूर रखने के लिए, रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत सेवा प्रदाता (डेवलपर और बिल्डर) द्वारा जीएसटी भुगतान किया जा सकता है।
हालांकि इससे जीएसटी राजस्व में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं होगी, क्योंकि अंत में राजस्व में पूरी तरह से विभिन्न इनपुट जैसे लोहा और इस्पात, सीमेंट और निर्माण उद्योग में उपयोग किए जाने वाले अन्य निर्माण सामग्री पर लगाए गए कर की छूट समाहित हो जाएगी।
राजस्व में लाभ आय कर में परिलक्षित होगा, जहां उनके वास्तविक मूल्य पर लेनदेन होगा।