Proposed changes to curb fake Billing

चालु वित्त वर्ष के दौरान वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था में व्यापक बदलाव दिख सकता है। इसके तहत जीएसटी ढांचे को मौजूदा चार स्लैब वाले ढांचे में बदला जा सकता है।

जीएसटी परिषद् के तहत केंद्र एवं राज्यों के अधिकारियों वाली फिटमेंट कमेटी ने राजस्व तटस्थ ढांचा तैयार करने के लिए जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने की प्रक्रिया पर नए सिरे से काम शुरू कर दिया है। इसमें कुछ दरों और विशेष तौर पर 12 फीसदी दर को हटाने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। मौजूदा दर ढांचे में 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी की मानक दरें और 28 फीसदी की अधिकतम दर शामिल है। इसके अलावा इसमें कुछ वस्तुओं एवं सेवाओं के लिए शून्य और विशेष दरें भी हैं।

फिटमेंट कमेटी ने इस मुद्दे पर बैठक करना शुरू कर दिया है। स्रमिति कर की दरों और उसमें संभावित सुधार के लिए इनपुट तैयार कर रही है। इसे जीएसटी दरों में बदलाव का सुझाव देने के लिए जीएसटी परिषद् द्वारा गठित मंत्रियों के समूह के समक्ष जुलाई में प्रस्तुत किया जाएगा। राजस्व विभाग ने उम्मीद जताई है कि जीएसटी की संषोधित दरें चालु वित्त वर्ष में ही लागु हो जाएंगी।

यह पहल ऐसे समय में की जा रही हैं जब जीएसटी संग्रह अप्रैल में 2 लाख करोड़ रूप्ये के पार पहुंच गया था। साल के दौरान मासिक जीएसटी संग्रह 1.7 से 1.8 लाख करोड़ रूपये रहने उम्मीद है।

दरों को तर्कसंगत बनाना पहली प्राथमिकता है क्योंकि कुछ कमियों को दुर करने के लिए मौजुदा कर ढांचे को उपयुक्त बनाने की जरूरत हैं।

हालांकि दरों को तर्कसंगत बनाए जाने से सभी स्लैब में चीजें बदल सकती हैं। इसलिए इस मुद्दे पर कोई भी निर्णय व्यापक विचार-विमर्श के बाद ही लिया जाएगा।

हालांकि, कुछ सामान शून्य दरों के अंतर्गत आते हैं, अधिकांश राजस्व 18 प्रतिशत जीएसटी स्लैब से आता है, उसके बाद 28 प्रतिशत जीएसटी स्लैब है जो कुल जीएसटी राजस्व का 16 प्रतिशत जोड़ता है। शेष 5 और 12 प्रतिशत स्लैब से है।

विशेषज्ञों ने कहा कि बेहतर राजस्व वृद्धि के लिए कर ढांचे को सुव्यवस्थित करना उचित है।

जीएसटी के तहत मुकदमेबाजी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा आपूर्ति के वर्गीकरण और लागू जीएसटी दरों से संबंधित है। एक सरलीकृत दर संरचना स्वचालित रूप से लगाए गए करों पर संभावित विवादों को कम कर देगी, क्योंकि अधिकांश मिलते जुलते सामान एक ही जीएसटी दर के अंतर्गत आएंगे।

दरों को तर्कसंगत बनाने के लिए राज्यों के मंत्रियों के सात सदस्यीय समिति का नेतृत्व उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना कर रहें हैं। इस समिति में गोवा, केरल, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और बिहार के वित्त मंत्री शामिल हैं।