How to Attract New Farmers Twards Agro-Forestry
- जनवरी 8, 2024
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जितनी बड़ी संख्या में उतपादन क्षमता बढ़ी उसके मुकाबले कृषि वाणिकी का रकबा नही बढा। जो किसान नियमित तौर पर कृषि वाणिकी में थे, उनके अलावा नए किसानों को प्रोत्साहित नही किया जा सका।
सन 1996 के उत्तर-पूर्व की इकाइयों के बंद होने के बाद, काष्ठ आधारित उद्योग का संपूर्ण भारत में उदय हुआ। पोपलर और यूक्लिपटस, जो उत्तर भारत में कृषि वाणिकी में पर्दापित हुए थे, ने इस उद्योग के लिए कच्चेमाल के रूप में भरपायी की। उद्योग बढ़ते चले गए और किसान भी उत्साहित होकर इस बढ़ी हुई मांग की आपूर्ति में सहायक बने। प्लाईउड बाजार के उतार चढ़ाव ने दो दशकों में कई बार इन प्रजातियों की कीमतों को झटका दिया। इसके बावजुद किसान और उद्योग दोनों ही संभल गए और कृषि वाणिकी भी बदस्तूर जारी रही।
पंजाब, हरियाणा और उत्तरप्रदेश में नवीन लायसेंस जारी होने पर उत्पादन क्षमता में कई गुणा इजाफा होने के बाद, यह तालमेल गड़बड़ाने लगा। जितनी बड़ी संख्या में उतपादन क्षमता बढ़ी उसके मुकाबले कृषि वाणिकी का रकबा नही बढा। जो किसान नियमित तौर पर कृषि वाणिकी में थे, उनके अलावा नए किसानों को प्रोत्साहित नहीे किया जा सका। अर्थात लकड़ी का उत्पादन जितनी फैक्ट्रियों की उत्पादन क्षमता बढ़ने के हिसाब से बढ़नी चाहिए थी, उतनी नहीं बढ़ी। नतीजा हुआ कच्चेमाल की आपूर्ति कम होते जाने से कीमतों में इजाफा।
कभी किसान बैकफुट पर थे तो अब उद्योग बैकफुट पर है। लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि किसान के पास वैकल्पिक फसलें है, लेकिन उद्योग को कच्चे माल के लिए कृषि वाणिकी की लकड़ी पर निर्भर रहना ही होगा। उद्योग को अपनी बढ़ाई हुई क्षमता इस्तेमाल करने के लिए, कच्चे माल की उपलब्धता, सही कीमतों पर, पूरी मिलती रहे, इसकी व्यवस्था करना आवश्यक है।
यहां ध्यान रखने वाला तथ्य यह भी है कि व्यवसाय मे Ego का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। अगर उद्योग उत्साहित होकर आमदनी करते हुए चलते रहेंगे, तो यह उद्योग और किसान दोनों के लिए हितकर भी होगा और उन्नति में भी सहायक होगा।
सरकार द्वारा पिछले कई सालों में घोषित “न्यूनतम समर्थन मूल्य या उचित एवं लाभकारी मूल्य“ पर नजर डालें:
MSP or Fair & Remunerative price:
2004-05 | 2016-17 | 2023-24 | |
Wheat | 640 | 1625 | 2125 |
Paddy | 560 | 1470 | 2183 |
Cotton | 1960 | 4160 | 6620 |
Sugar cane | 75 | 230 | 315 |
उपरोक्त तालिका किसानों की प्रति एकड़ उपज में हुई वृद्धि को दिखाता है। हम यह भी जानते हैं कि उपजाऊ जमीन और सरकार की फसल खरीद नीति का आपस में तालमेल है। अतः किसानों को कृषि वाणिकी की ओर आकर्षित करने के लिए उद्योग को भी सामंजस्य बैठाना पड़ेगा। कच्चे माल की कीमतों को संतुलित रखना ही पड़ेगा।
इसके अलावा सरकार से खाली पडी (सरकारी, वन या पंचायती) जमीनों में पेड़ लगवाने का और भावंतर योजना में पोपुलर और सफेदा को शामिल करने का आग्रह करना भी आवश्यक है।
सुरेश बाहेती
9050800888