सरकारी स्वामित्व वाली इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनैंस कंपनी लिमिटेड (आईआईएफसीएल) सस्ते मकान के क्षेत्र में उतरने की योजना बना रही है। इससे रियल एस्टेट क्षेत्र के इस हिस्से को बढ़ावा मिलेगा।

आईआईएफसीएल की स्थापना 2006 में भारत सरकार के पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी के रूप में हुई थी। वह स्कीम फॉर फाइनैंसिंग वायबल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स (एसआईएफटीआई) के तहत व्यवहार्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को लंबे समय के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। कंपनी सितंबर 2013 से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की निगरानी में एक पंजीकृत एनबीएफसी के रूप में काम करती है, मगर वह नकद जमा स्वीकार नहीं करती है।

अफोर्डेबल हाउसिंग में अभी तक पब्लिक प्राइवेट भागीदारी नहीं हुई थी। इसलिए एनबीएफसी की यह पहल और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है।

एनारॉक रिसर्च के आंकड़ों के अनुसारए 40 लाख कीमत की श्रेणी के सस्ते मकानों की बिक्री 2024 की पहली तिमाही में घटकर करीब 20 फीसदी रह गई है। कोविड से पहले यह बिक्री 38 फीसदी से अधिक थी।

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नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल का मानना है कि सस्ते मकान वाली परियोजनाओं में बिल्डर आमतौर पर ज्यादा रुचि नहीं लेते हैं।

यह समस्या मुख्य रूप से फंड की कमी से पैदा होती है। क्योंकि किफायती आवास परियोजनाओं के लिए पर्याप्त फंड का अभाव है। इसके अतिरिक्त, किफायती आवास के लिए जमीन भी बड़ी चुनौती है। इस श्रेणी के मकानों के लिए जमीन आमतौर पर निजी बिल्डरों को मुश्किल से मिलती है।

ऐसे में अब आईआईएफसीएल का किफायती घर परियोजनाओं में शामिल होना एक सकारात्मक कदम माना जा सकता है।


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