मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के तहत आयात को आसान बनाने के लिए, सरकार ने उत्पादों के निर्माण की प्रमाणिकता को साबित करने के लिए स्व-प्रमाणन का प्रस्ताव दिया है। अभी तक आयात में कस्टम विलयरेंस और कर निर्धारण के लिए उत्पाद के मूल स्त्रोत का प्रमाणित दस्तावेज लगाना अनिवार्य था। इस पर ही सीमा शुल्क व अन्य भुगतान तय होते हैं।

वित्त वर्ष 2025 के बजट में सीमा शुल्क अधिनियम में ‘‘प्रमाण पत्र‘‘ शब्द को ‘‘प्रमाण‘‘ से संशोधित किया गया है। बजट दस्तावेजों के अनुसार, निर्माण के प्रमाण का अर्थ है एक व्यापार समझौते के अनुसार जारी किया गया प्रमाण पत्र या घोषणा जो यह प्रमाणित या घोषित करता है कि उत्पाद के लिए जो मापदंड तय है, उसके अनुसार ही तैयार किया गया है। इस उत्पाद के गुणवत्ता व उपयोगिता भी तय मानकों के अनुसार है।

सीमा शुल्क अधिनियम की धारा 28डीए में संशोधन व्यापार समझौतों में प्रदान किए गए मूल प्रमाण के विभिन्न प्रकारों को स्वीकार करने में सक्षम करेगा ताकि प्रावधान को नए व्यापार समझौतों के साथ लागू किया जा सके जो स्व-प्रमाणन प्रदान करते हैं।

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एक अधिकारी ने कहा, ‘‘चीन के साथ हमारे मुद्दों के बाद, मूल प्रमाण पत्र की कड़ी जांच की जा रही थी। अब, इसे प्रमाण में बदल दिया गया है, जो व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देगा।‘‘

मानदंडों में सरलीकरण उद्योग, विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र द्वारा एक आसान घोषणा प्रक्रिया की मांग के बाद किया गया है। लेकिन नीति निर्धारकों को एक डर भी सता रहा है। वह डर है चीन से

क्योंकि चीन उन देशों के माध्यम से अपना माल भारत में भेज सकता है, जिन देशों के साथ भारत का एफटीए हैं। इसे कैसे रोका जाए, इस पर नीति निर्धारक मनन कर रहे हैं। नए संशोधन के अनुसार, स्वयं प्रमाण जारी करने वाले प्राधिकरण का अर्थ है एक व्यापार समझौते के तहत मूल प्रमाण जारी करने के प्रयोजनों के लिए नामित एक प्राधिकरण या व्यक्ति से हैं।

उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2024 में भारत का कुल माल आयात 675.4 बिलियन डॉलर था, जबकि वित्त वर्ष 2023 में 437.11 बिलियन डॉलर था।


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