The commerce ministry has recommended imposition of countervailing duty (CVD) on fibreboard imported from five countries, including Vietnam, Malaysia and Thailand, for five years to guard domestic players from subsidised inbound shipments, according to a notification.

Fiberboard is a type of engineered wood product that is made out of wood fibres. It is used in building and construction, furniture, industrial, and handicrafts purposes.

Following a complaint by domestic manufacturers, the ministry”s investigation arm Directorate General of Trade Remedies (DGTR) conducted a probe and has recommended the duty on fibreboards exported to India from Indonesia, Malaysia, Sri Lanka, Thailand and Vietnam at subsidised prices.

“The authority recommends imposition of definitive countervailing duty equal to the lesser of margin of subsidy and margin of injury for a period of five years…so as to remove the injury to the domestic industry,” the DGTR has said in a notification.

The finance ministry takes the final decision to impose the duty. The recommended duty is in the range of 8.29 per cent to 27.52 per cent on the CIF (cost, insurance, freight) value of the product. In its final findings, the DGTR has concluded that the Domestic Industry has suffered material injury and the imports have increased significantly in absolute terms.

“The imports are undercutting the prices of the domestic industry and have had a suppressing and depressing effect on the prices of the domestic industry…The domestic industry has suffered injury due to subsidisation of the subject goods,” it added.

Greenply Industries Ltd/ Greenpanel Industries Ltd, Century Plyboards (India) Ltd. and Rushil Decor Ltd have filed the application for imposition of the duty on the imports.

Under the global trade rules of the World Trade Organisation (WTO), a member country is allowed to impose anti-subsidy to countervailing duty if a product is subsidised by the government of its trading partner. These duties are trade remedies to protect domestic industry. Subsidy on a product makes it competitive in price terms in other markets. Countries provide this to boost their exports.


पांच देशों से आयातित फाइबरबोर्ड पर प्रतिबंध की सिफारिश


वाणिज्य मंत्रालय ने वियतनाम, मलेशिया और थाइलैंड समेत पांच देशों से आयातित फाइबरबोर्ड पर पांच साल के लिए प्रतिपूर्ति शुल्क (सीवीडी) लगाने की सिफारिश की है। इस बारे में जारी अधिसूचना में कहा गया है कि सब्सिडी युक्त आयात से घरेलू कंपनियों के हितों पर बुरा असर पड़ रहा है। उनके हितों की रक्षा के लिए यह कदम उठाया गया है।

फाइरबोर्ड एक प्रकार की लकड़ी का उत्पाद है। यह लकड़ी के फाइबर से बना होता है। इसका उपयोग भवन और निर्माण, फनीर्चर, औद्योगिक और हस्तशिल्प जैसे क्षेत्रों में किया जाता है। घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों की शिकायत के बाद मंत्रालय की जांच इकाई व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने जांच की। इस जांच के बाद डीजीटीआर ने इंडोनेशिया, मलेशिया, श्रीलंका, थाइलैंड और वियतनाम से आयातित फाइबरबोर्ड पर आयात शुल्क लगाने की सिफारिश की।

डीजीटीआर ने अधिसूचना में कहा कि सब्सिडी मार्जिन और घरेलू कंपनियों को हो रहे नुकसान के बराबर सीवीडी लगाने की सिफारिश की गई है। प्राधिकरण ने सीआइएफ (लागत, बीमा और माल ढुलाई) के 8.29-27.52 फीसद तक शुल्क लगाने की सिफारिश की है। डीजीटीआर ने अपनी जांच में पाया कि इन देशों से होने वाले सस्ते आयात से घरेलू उद्योग को नुकसान हुआ है और आयात काफी बढ़ा है। डब्ल्यूटीओ के नियमों के मुताबिक सदस्य देशों को परिस्थितिजन्य फैसला लेते हुए इस तरह के शुल्क लगाने और बढ़ाने का अधिकार है।

ग्रीनप्लाई इंडस्ट्रीज लि./ग्रीनपैनल इंडस्ट्रीज लि., सेंचुरी प्लाईबोर्ड (इंडिया) लि. और रूशील डेकोर लि. ने सस्ते आयात पर शुल्क लगाने के लिए आवेदन दिए थे।


   



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