‘Increased criticism for promoting domestic industries’
- अगस्त 27, 2020
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Increased criticism for promoting domestic industries
Speaking at the inaugural session of the India Virtual FMCG Supply Chain Expo 2020 organized by the Federation of Indian Commerce and Industry (FICCI), Goyal said that there was a need for a fair and interconnected approach to Indian goods and that businesses should be among the equals. .
He said, ‘Nowadays whenever I promote domestic industry, it is heard that we are moving towards the days of License Raj. For so many years I had been hearing that there is a lack of equal opportunity between local and global companies. Now when we are trying to improve this situation, our criticism is increasing.
India is increasing restrictions on the import of products and parts, especially from China, as part of its self-reliance program.
The new ban on imports has been imposed after the decision of mandatory approval of the government prior to foreign investments from border sharing countries with India including China. Goyal, said the government was reviewing all free trade agreements between 2009 and 2011 and found most of them to be odd. He said, ‘Our assessment is that in the free trade agreements earlier, foreign goods have been allowed to enter the country easily. But the entry of Indian goods into another country is not allowed in the same way. This system cannot last long. Countries should understand that if they want access to a market with a population of 130 crores, then they too have to provide access to their market for us.
He said, “This is the time for India to focus on India where nationalization is being taken seriously rather than import of parts for assembly or semi-knocked down unit. The quality standard of Indian goods also needs to be improved.
बराबर वालों में होना चाहिए कारोबार
भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) की ओर से आयोजित इंडिया वर्चुअल एफएमसीजी सप्लाई चेन एक्सपो 2020 के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए गोयल ने कहा कि भारतीय सामान के लिए उचित और परस्पर लेनदेन वाली दृष्टिकोण की जरूरत थी और कारोबार बराबर वालों के बीच होना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘आजकल जब कभी मैं घरेलू उद्योग को बढ़ावा देता हूं तो सुनने में आता है कि हम लाइसेंस राज के दिनों की ओर बढ़ रहे हैं। इतने वर्षों से मैं यह सुनता आ रहा था कि स्थानीय और वैश्विक कंपनियों के बीच एक समान अवसर का अभाव है। अब जब हम इस स्थिति में सुधार करने का प्रयास कर रहे हैं तो हमारी आलोचना बढ़ रही है।’
भारत अपने आत्मनिर्भर कार्यक्रम के हिस्से के तौर पर उत्पादों और पुर्जों के आयात विशेष तौर पर चीन से आयात पर प्रतिबंध बढ़ा रहा है।
आयातों पर नई रोक चीन सहित भारत के साथ सीमा साझा करने वाले देशों से विदेशी निवेशों से पहले सरकार की मंजूरी लेने की अनिवार्यता के निर्णय के बाद लगाई गई है।
सरकार 2009 और 2011 के बीच हुए सभी मुक्त व्यापार समझौतों की समीक्षा कर रही थी और इनमें से अधिकांश को विषमतापूर्ण पाया है। उन्होंने कहा, ‘हमारा आकलन है कि पहले हुए मुक्त व्यापार समझौतों में देश में विदेशी सामानों के आसानी से प्रवेश की अनुमति दी गई है। लेकिन भारतीय सामानों के दूसरे देश में प्रवेश को वैसी ही अनुमति नहीं मिली है। यह व्यवस्था लंबे वक्त तक नहीं चल सकती है। देशों को समझना चाहिए यदि वे 130 करोड़ की आबादी वाले बाजार तक पहुंच चाहते हैं तो उन्हें भी हमारे लिए अपने बाजार तक पहुंच मुहैया करानी होगी।’
उन्होंने कहा, ‘यह समय भारत के लिए भारत पर ध्यान देने का है जहां असेंबली के लिए पुर्जों के आयात या सेमी नॉक्ड डाउन इकाई की बजाय देशीकरण को गंभीरता से लिया जा रहा है। भारतीय सामानों के गुणवत्ता मानक में भी सुधार किए जाने की जरूरत है।’