Inderjeet Singh Sohal
- सितम्बर 5, 2022
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Inderjeet Singh Sohal
President
Punjab Plywood Manufacturers Associaton
From where MDF will Get the Timber, When we are Short on Firewood?
‘Future of Punjab plywood industry is dark because the timber is depleting fast. In fact, timber is not even available for fuel. Therefore, at this point, we cannot look forward to a promising future for plywood and MDF in Punjab.’ This is what Inderjit Sohal pointed out.
He expressed his views in a conversation with Ply Insight. Here are some highlights of his conversation.
What is being done to deal with this situation?
Actions are being taken ceaselessly in the field of agroforestry. We are making every effort to encourage plantation. It has also been noted that nowadays agroforestry farmers earn much more than traditional wheat and paddy crops. This is well understood by the farmers as well. At the same time, as the groundwater level in Punjab is constantly decreasing, the only solution to deal with it is to plant saplings. Farmers are also explained and they are understanding it. Plantation is on mass scale in Punjab but due to the high demand of timber, it does not seem that even these grown plants can meet the demand of the industry for the next 2-3 years.
What are you trying to do about it?
A plantation campaign is being undertaken in coordination with the Government of Punjab, the Department of Agriculture and the University. Farmers are being encouraged to plant only Poplar and Eucalyptus. The campaign is doing well. The Plywood Association is also contributing, due to which the green area in the Punjab is increasing satisfactorily.
What are your thoughts on the conflict between technical grade urea and agricultural urea?
More and more factories are now using phenol in the Punjab as it costs almost equal to urea resin. Even if someone wants to use urea, they are certainly using technical grade urea. Everyone has been advised not to use agricultural urea at all in the industry. 80% of our units have now switched to phenol. Even on the association level, we have decided to use only technical grade urea for plywood.
Small cart load has an increased risk of GST malpractices. What steps have been taken to prevent it?
We have informed the government and the GST department that any of our vehicles, be it heavy or light, will leave only after generating the e-way bill. We have taken this decision unanimously at the meeting of the association. So the issues that had been raised about GST tax evasion have been largely resolved in this way.
There is a common complaint of 303 or 710 marking in inferior products in the market.
We all have our morals. But this practice is a crime. Our association has decided that the actual grade of the product will only be marked. Nevertheless appropriate steps should be taken if anyone does this malpractice. By the way, most of the units in Punjab are marking the actual grade of the commodity.
Which is the effective marketplace for your product?
Everyone has his own market. For instance, rubber goods work well in the South while Eucalyptus and Poplar have good demand in Punjab. Phenol-made products are used in high humidity areas. Hence the demand varies from region to region.
What are the positive attributes of your products?
Be it Eucalyptus or Poplar, the timber from Punjab are the best and top in India. The quality of Punjab’s merchandise is excellent.
Where would you like to grow your business?
We are left with only one option, and i.e. export. We will be benefited if the government helps us in this. Opening the border of Pakistan would be appropriate as it can increase exports significantly. We can target Islamic countries through Pakistan. Pakistan is just a 2-hour drive away from here. It costs a lot of money to transport goods to a port, like Kandla, which makes exports expensive. Hence, the government should either offer an export subsidy or we need to talk about opening up the Pakistani border.
This will benefit the plywood producers of Punjab, Haryana and other northern states to a great extent. Anyway, there is a mammoth increase in the plywood production that goes beyond the demands of the local market. Hence, export is the only option left with us. The government ought to take relevant steps in this regard. In addition to subsidies, all other appropriate measures should also be taken in this direction.
What advice would you like to share with the industry and the dealer?
When production exceeds demand, payment issue arises. The payment problem is a major concern for us. Production gets interrupted in the absence of timely payment. This all depends upon the demand and supply. But, at present, things are going the other way around. Production is exceeding demand, result is most of the factories are running under loss. Therefore, unit owners are requested to pay attention towards their production. We also call on the government to pay attention to this issue. If not addressed timely, many units are likely to close in the near future.
बालन के लिए लकड़ी नहीं मिल रही,
एमडीएफ को लकड़ी कहां से मिलेगी?
पंजाब में प्लाईवुड इंडस्ट्री का भविष्य खराब है। क्योंकि लकड़ी तेजी से कम हो रही है। स्थिति यह है कि बालन के लिए भी लकड़ी नहीं मिल रही है। इसलिए फिलहाल पंजाब में प्लाइवुड और एमडीएफ का भविष्य बहुत अच्छा तो नहीं माना जा सकता। यह मानना है इंद्रजीत सोहल का। प्लाई इनसाइट से बातचीत में उन्होंने यह विचार व्यक्त किए। पेश है उनसे बातचीत के मुख्य अंश –
इस स्थिति से निपटने के लिए क्या किया जा रहा है?
एग्रोफोरेस्ट्री के क्षेत्र में लगातार काम किया जा रहा है। हम पौधा रोपण के प्रोत्साहन के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। यूं भी देखने में आया है कि इन दिनों एग्रोफोरेस्ट्री उत्पादक किसान पारंपरिक फसल गेहूं व धान से कई गुणा ज्यादा ही कमा रहे हैं। यह बात भी किसानों को समझाई जा रही है। इसके साथ ही जिस तरह से पंजाब का भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है, इससे निपटने का एक ही तरीका है, वह है पौधा रोपण। यह बात भी किसानों को समझाई गई है। किसान बात समझ रहे हैं। पंजाब में पौधा रोपण तो तेजी से हो रहा है। लेकिन लकड़ी की मांग ज्यादा होने की वजह से, लगता नहीं यह पौधे पेड़ बनने के बाद भी आने वाले दो तीन साल तक यहां के उद्योग की मांग को पूरा कर सके।
इसके लिए आप लोग किस तरह के प्रयास कर रहे हैं ?
इसके लिए पंजाब सरकार, कृषि विभाग और यूनिवर्सिटी के साथ तालमेल कर पौधा रोपण अभियान चलाया जा रहा है। किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वह पॉपुलर और सफेदा ही रोपित करे। निश्चित ही इस अभियान में सफलता मिल रही है। प्लाइवुड एसोसिएशन भी इसमें मदद कर रही है। जिससे पंजाब में ग्रीन एरिया संतोष जनक बढ़ रहा है।
टेक्निकल ग्रेड यूरिया और कृषि योग्य यूरिया का जो विवाद है, इसे कैसे देखते हैं ?
हमारे पंजाब में तो अब अधिकतर फैक्टरी फिनोल का इस्तेमाल कर रहे हैं। क्योंकि यह लगभग यूरिया के रेट ही पड़ रहा है। इसके बाद भी यदि किसी को यूरिया का प्रयोग करना है तो वह निश्चित ही टेक्निकल ग्रेड यूरिया का इस्तेमाल कर रहा है। सभी को यह सलाह दी गई है कि वह कृषि यूरिया का इस्तेमाल कतई ना करें। हमारी 80 प्रतिशत यूनिट तो फिनोल पर आ गई है। एसोसिएशन के स्तर पर भी हमने यह निर्णय ले रखा है कि प्लाइवुड में सिर्फ टेक्निकल ग्रेड यूरिया ही इस्तेमाल होना चाहिए।
छोटी गाड़ी पर जीएसटी गड़बड़ी का खतरा बढ़ जाता है, इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं ?
हमने सरकार और जीएसटी विभाग को यह जानकारी दे दी है कि हमारी कोई भी गाड़ी इ-वे बिल कट कर ही बाहर जाएगी। चाहे वह छोटी हो या बड़ी हो। यह निर्णय भी हमने एसोसिएशन की बैठक में सर्वसम्मति से लिया है। इसलिए जीएसटी की कर चोरी को लेकर जो सवाल उठ रहे थे, इस समस्या का समाधान इस तरह से काफी हद तक कर लिया गया है।
जबड़ा पर 303 या 710 की मुहर लग रही है, यह बाजार में आम शिकायत है।
यह हर आदमी का अपना मोरल है। यह अपराध है। हमारी एसोसिएशन ने निर्णय लिया है कि जो ग्रेड है, वहीं अंकित किया जाएगा। इसके बाद भी यदि कोई ऐसा करता है तो उसके खिलाफ उचित कदम उठाए जाने चाहिए। वैसे पंजाब में ज्यादातर यूनिट वही ग्रेड अंकित कर रही है, जिस ग्रेड का माल है।
आपके उत्पाद का सबसे स्ट्रांग एरिया कहां है ?
हर आदमी के पास अपनी अपनी मार्केट है। साउथ में जैसे रबर का माल चलता है। पंजाब में युकेलिप्टिस और पॉपुलर का माल चलता है। जहां नमी ज्यादा है, वहां फिनोल से तैयार उत्पाद का प्रयोग होता है। इसलिए हर क्षेत्र की मांग अलग अलग है।
आपके माल का प्लस प्वाइंट क्या है?
हमारा माल जो कि पंजाब का है, वह सबसे बढ़िया है। पंजाब का वह चाहे पॉपुलर हो या सफेदा। देश में अव्वल है। हमारे पंजाब की क्वालिटी काफी अच्छी है।
आप किस एरिया में अपना बिजनेस बढ़ाना चाहते हैं ?
देखिए इसमें एक ही विकल्प बचा है, वह है एक्सपोर्ट। इसमें सरकार हमारी मदद करे, तो इसमें हमारा फायदा होगा। उचित तो यह रहेगा कि यदि पाकिस्तान का बॉर्डर खोल दे तो निर्यात काफी बढ़ सकता है। पाकिस्तान के रास्ते से मुस्लिम देशों को हम टारगेट कर सकते हैं। यहां से पाकिस्तान का दो घंटे का रास्ता है। कांदला जैसे बंदरगाह तक माल ले जाने में ही खर्च बहुत ज्यादा आ जाता है। इस स्थिति में निर्यात महंगा पड़ता है। इसलिए सरकार एक तो निर्यात पर अनुदान दे। दूसरा पाकिस्तान बॉर्डर खोला जाने की बात होनी चाहिए। इससे पंजाब व हरियाणा के प्लाईवुड उत्पादकों को काफी लाभ होगा। यूं भी अब प्लाईवुड यूनिट इतनी ज्यादा हो गई कि स्थानीय बाजार की मांग से ज्यादा उत्पादन हो रहा है। इसलिए अब निर्यात ही विकल्प बचता है। सरकार को इस दिशा में काम करना चाहिए। अनुदान देने के साथ साथ इस दिशा में जो भी उचित कदम है वह उठाने चाहिए।
इंडस्ट्री और डीलर को क्या सुझाव देना चाहेंगे ?
जब मांग से ज्यादा माल तैयार हो जाता है तो पेमेंट की दिक्कत आती है। इसलिए पेमेंट की समस्या हमारे लिए बड़ी है। क्योंकि यदि पेमेंट नहीं आएगी तो काम में रुकावट आती है। यह मांग और आपूर्ति पर निर्भर है। अभी उल्टा हो रहा है। मांग कम है, उत्पादन ज्यादा। इसलिए ज्यादातर फैक्ट्री नुकसान में हैं। इसलिए यूनिट संचालकों से निवेदन है कि वह उत्पादन की ओर ध्यान दें। इसके साथ ही सरकार से भी निवेदन है वह भी इस समस्या की ओर ध्यान दें। यदि इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में कई यूनिट पर बंद होने का खतरा मंडरा सकता है।