India Requires More Natural Gas for Electricity Production

भारत सरकार ने बिजली उत्पादन में इकाइयों से कहा है कि अतिरिक्त मात्रा में प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल के साथ बिजली संयंत्रों के रखरखाव के काम में तेजी लाई जाए। एक सरकारी नोट में बिजली की कटौती को रोकने के आपातकालीन कदमों के तहत ये निर्देश दिए गए हैं।

आपात कानून में बिजली संयंत्रों को उत्पादन बढ़ाने के वास्ते आयातित कोयले से संयंत्र चलाने के लिए बाध्य किया गया है और यह कदम उसी नियम का विस्तार है। अगस्त में सूखा मौसम रहने के कारण बिजली की मांग रिकॉर्ड पर पहुंच गई। साथ ही पनबिजली, पवन ऊर्जा के उत्पादन में भी कमी आई है। इसके कारण देश में बिजली की कमी 16 माह के शीर्ष पर पहुंच गई है।

महामारी के बाद से भारत में बिजली की मांग तेजी से बढ़ी है। तेज आर्थिक वृद्धि के कारण फैक्टरियों की मांग बढ़ी है और गर्मी की वजह से परिवारों में बिजली की खपत बढ़ गई है। भारत के बिजली उत्पादन में कोयले से बिजली उत्पादन की हिस्सेदारी मार्च 2023 को समाप्त वर्ष में 73 प्रतिशत रही है। वहीं पवन और सौर ऊर्जा सहित अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी कुल उत्पादन का 11 प्रतिशत रही है।

इसमें कहा गया है कि बंद पड़ी इकाइयों को यथाशीघ्र चालू करने की कवायद की जाएगी। साथ ही यह भी कहा गया है कि राज्यों को नए अक्षय एवं ताप बिजली संयंत्रों को चालू करने के काम में तेजी लाने की कवायद करनी चाहिए।

इस कदम से प्राकृतिक गैस की मांग में तेजी आ सकती है और भारत को हाजिर बाजार से ज्यादा एलएनजी कार्गाे मंगाने पड़ सकते हैं। सरकार के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत का एलएनजी आयात लगातार 3 वित्त वर्षों से घटा है।

मंत्रालय ने कहा है कि आने वाले महीनों के दौरान ज्यादा खरीद की निविदाओं के साथ गेल के गैस आधारित बिजली संयंत्रों को चलाने के लिए अतिरिक्त गैस का इंतजाम करने की योजना बनाई गई है।

एलएनजी की कीमत ज्यादा होने के कारण भारत में गैस से चलने वाले बिजली संयंत्रों में आधे से ज्यादा करीब 25 गीगावॉट बिजली का उत्पादन नहीं हो पाता है। कुल उत्पादन से गैस से चलने वाले संयंत्रों की हिस्सेदारी पिछले एक दशक के 3 प्रतिशत की तुलना में इस समय घटकर 2 प्रतिशत रह गई है, जिसकी प्रमुख वजह एलएनजी की बढ़ी कीमत है।

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