Vivek Devroy, chairman of the Economic Advisory Council to the Prime Minister (EACPM), has claimed that if India’s GDP grows at a relatively conventional rate of 7 to 7.5 percent for the next 25 years, then by 2047, India will be an upper middle-income country.

If this happens, then the size of India’s economy will be $ 20 trillion and its per capita income will be around $ 10,000, when the country will be celebrating its 100th anniversary of independence.

While the target of 7 to 7.5 per cent growth may not seem like a big deal, it is a difficult target to sustain it for 25 years, as the data shows. India’s average annual GDP growth rate from 1997-98 to 2021-22 has been 6 percent.

In fact, the growth rate of the country’s GDP has been 7 percent or above for 5 consecutive years only once in 30 years. Or say that this has happened only once after the economy was opened in 1991-92.

It may be argued that the average annual growth does not mean that the growth rate is 7 to 7.5 per cent every year. Some years it may have higher growth rates and some years lower growth rates, but the average rate may remain within this range.

But this has not happened in the economy during the last 25 years and the annual growth rate has averaged 6 percent since 1998. It can also be said that there is not much difference between 6% and 7.5% growth. But if we look at the rate of continuous growth of 25 years, then it is looks more tough to achieve.


2047 तक भारत उच्च मध्य आय वाला देश बन जायेगा


प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसीपीएम) के चेयरमैन विवके देवरॉय ने दावा किया कि अगर भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपीद)  तुलनात्मक रूप से परंपरागत रफ्तार 7 से 7.5 प्रतिशत की दर से भी अगले 25 साल बढ़ता हैं तो 2047 तक भारत उच्च मध्य आय वाला देश बन जाएगा।

अगर ऐसा होता है तो भारत की अर्थव्यवस्था का आकार 20 लाख करोड़ डॉलर होगा और इसकी प्रति व्यक्ति आमदनी करीब 10,000 डॉलर होगी, जब देश अपनी स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ मना रहा होगा।

हालांकि 7 से 7.5 प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य बहुत ज्यादा नजर नहीं आता, लेकिन इसे 25 साल तक बरकरार रखना कठिन लक्ष्य है, जैसे कि आकड़ों से पता चलता है। वित वर्ष 1997-98 से 2021-22 तक भारत की औसत सालाना जीडीपी वृद्धि दर 6 प्रतिशत रही है।

दरअसल देश की जीडीपी की वृद्धि दर लगातार 5 साल तक 7 प्रतिषत या इससे ऊपर सिर्फ 30 वर्षों में एक बार रही हैं। या कहें कि 1991-92 में अर्थव्यवस्था खोले जाने के बाद सिर्फ एक बार ऐसा हुआ है।

यह तर्क सामने आ सकता है कि औसत सालाना वृद्धि का यह मतलब नहीं है कि हर साल वृद्धि दर 7 से 7.5 प्रतिषत रहे। कुछ वर्षों में इससे ज्यादा वृद्धि दर और कुछ वर्षों में कम वृद्धि दर रह सकती है, लेकिन औसत दर इस सीमा के भीतर रह सकती है।

लेकिन पिछले 25 साल के दौरान अर्थव्यवस्था में ऐसा नहीं हुआ और सालना वृद्धि दर वित वर्ष 1998 से औसत 6 प्रतिषत रही । यह भी कहा जा सकता है कि 6 प्रतिशत और 7.5 प्रतिशत वृद्धि में ज्यादा अंतर नहीं है। लेकिन अगर 25 साल की लगातार वृद्धि दर के हिसाब से देखें तो यह ज्यादा नजर आती हैं।