INDRAVADAN THAKKAR – Kalp Plywood Pvt. Ltd.
- जनवरी 11, 2023
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Attraction for MDF and ACP is increasing
How is the market
Festival of Diwali came after the rainy season. We were busy in elections for more than a month after that. That’s why, for the last four-five months there was a kind of revelry in Gujarat. Business turned out to be negligible. Now, after the elections, there has been an obsession to speed up the work again, so we are feeling a little bit of a clumsy atmosphere. People are scary and hesitant to work freely due to the fear of covid and recession.
Where is the problem
We are mainly identified with the goods of North India. With the rates of popular timber going up these days, the economic range has become quite costly. And got out of competition. Which effected a lot in our turnover, because the economic range holds 40 – 50% of the entire turnover. There was no changes in the movement of quality products and established brands. This segment is doing smooth working.
How do you manage Economical Range?
Due to the proximity of Hazira and Mundra port, goods from South India are reaching Gujarat in abundance through containers. The economic range of Northern India has now completely shifted to South India competitively. We are not able to work with them because somewhere there is a problem with GST or billing. Because of which it is being sold in Gujarat at a very low margin.
How are you managing?
We have a wide range of products like MDF, Decorative, and ACP etc. in our business. Apart from the economical range in Plywood, customers of good quality material are also we connected with us. Because of this we could tolerate these setbacks. We have now realized the benefits of diversification in business.
Market Scope of MDF
The market of MDF and ACP is also becoming very strong gradually. We exactly cannot say that it is replacing plywood. But the attraction for them has increased among the people and now they demand it. In the near future, we may see more growth in this sector. ACP, which was confined to commercial complexes is now consumed aggressively in residential houses.
Hurdles in smooth functioning of business
Due to the recession in the market, the factory owners started offering goods in small towns at the same rate at which they were giving to the big wholesalers. In the immediate term, the producers will definitely get the benefit of this. But later due to the weakening of the important link in the middle, ultimately they may also have to bear the loss. Something similar had happened in the past as well, in which huge amount of producers got trapped in these shopkeepers, which they had to lay off as bad debts.
Revision of prices in North India
The rate hike announced by the producers of northern India can be implemented only when either the producers of other states also increase their rates. Or the demand situation in the market will improve. Right now, such a situation is not visible for the next two-three months.
MDF और ACP के प्रति लोगों का आकर्शण बढ़ा है
बाजार कैसा है?
बारिश के मौसम के बाद दिवाली आ गई। फिर हम एक डेढ़ महीने चुनाव में व्यस्त रहे। जिससे पिछले चार-पांच महीनों से गुजरात में एक तरह से मौज मस्ती का आलम रहा। काम नहीं के बराबर हुआ। अब चुनाव के बाद में धीरे-धीरे फिर से काम को तेज करने का जुनून सवार हुआ है, तो थोड़ी सी दिक्कत महसूस हो रही है। बाजार में कोरोना और मंदी को लेकर एक भय फैला हुआ है। जिससे लोग खुलकर काम करने से हिचक रहे हैं।
क्या दिक्कत आ रही है?
हमारी मुख्य रुप से पहचान उत्तरी भारत के माल से ही है। इन दिनों में पॉपुलर टिंबर के रेट बढ़ जाने से, इकोनॉमिकल रेंज काफी महंगा हो गया। और पड़ते से बाहर हो गया। जिसका हमारे टर्नओवर में काफी नुकसान हुआ, क्योंकि इकोनॉमिकल रेंज पूरे टर्नओवर में 40 – 50 प्रतिशत होता है। गुणवत्ता वाले माल में और स्थापित ब्रांड में यह दिक्कत नहीं आई। इस सेग्मेंट में काम पहले की तरह ही चल रहा है।
किफायती माल की आपूर्ति कैसे हो रही है?
हजीरा और मुंद्रा पोर्ट नजदीक होने से दक्षिण भारत का माल, कंटेनर के द्वारा गुजरात में बहुतायत में पहुंच रहा है। उत्तरी भारत का इकोनॉमिकल रेंज अब पूरी तरीके से दक्षिण भारत में शिफ्ट हो गया है। हम इसमें काम नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि कहीं ना कहीं इसमें जीएसटी या बिलिंग में कोई दिक्कत है। जिसकी वजह से यह बहुत कम मार्जिन पर गुजरात में बिक रहा है।
कैसे मैनेज कर रहें हैं?
हमारे व्यापार में एमडीएफ, डेकोरेटिव, एसीपी इत्यादि कई रेंज है। प्लाइवुड में इकोनॉमिकल रेंज के अलावा अच्छे माल के भी ग्राहक जुड़े हुए हैं। इस वजह से हम यह झटके बर्दाश्त कर सके। व्यापार में विविधीकरण का फायदा हमने अब महसूस किया।
एमडीएफ का बाजार विस्तार
एमडीएफ और एसीपी का बाजार भी धीरे-धीरे काफी मजबूत होता जा रहा है। हम यह तो नहीं कह सकते की यह प्लाईवुड को रिप्लेस कर रहा है। लेकिन लोगों में इनके लिए आकर्षण बढ़ा है और अब इसकी मांग करते हैं। निकट भविष्य में हमें इसमें और भी बढ़त देखने को मिल सकती है। एसीपी जो पहले सिर्फ व्यवसायिक उपक्रमों में लगाई जाती थी रिहायसी मकानों में भी इसके प्रति रूझान बढ़ने लगे हैं।
व्यापार करने में दिक्कत
बाजार में मंदी की वजह से फैक्ट्री वालों ने छोटे शहरों में भी उसी भाव में माल ऑफर करना शुरू कर दिया, जिस भाव में वह बड़े होलसेलर को दे रहे थे। तत्काल में तो इसका फायदा उत्पादकों को जरूर मिलेगा। लेकिन बाद में बीच की महत्वपूर्ण कड़ी के कमजोर हो जाने से, अंततः उन्हें नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। ऐसा ही कुछ समय पहले भी हुआ था, जिसमें उत्पादकों की बहुत बड़ी रकम इन दुकानदारों में फस गई थी जो उन्हें अंत में भुगताना ही पड़ा था।
उत्तरी भारत में रेट की बढ़ोत्तरी
उत्तरी भारत के उत्पादकों ने जो रेट बढ़ाने की घोषणा की है, उस पर अमल तभी हो सकता है, जब या तो दूसरे प्रांतों के उत्पादक भी अपना रेट बढ़ाएं। या बाजार में मांग की स्थिति में सुधार हो अभी तत्काल दो-तीन महीने तो ऐसी स्थिति नजर नहीं आ रही है।