Industrial output grew : retail inflation falls

Industrial output not only grew at a faster clip at 11.0 per cent in August it also rose 3.9 per cent, compared to pre-pandemic levels, revealed the data released by the ministry of statistics and programme implementation.

Driven by the positive impact of a subdued rainfall on mining and electricity, even as manufacturing growth moderated.

“Encouragingly, the IIP rose 3.9 per cent in “August, relative to the pre-pandemic levels of August 2019, led by all categories, except consumer durables, highlighting the enduring impact of the pandemic on big-ticket demand,”

The Consumer Price Index (CPI) based inflation rate fell to a five month low of 4.35 per cent in September, from 5.59 per cent in the previous month.

This justified the accommodative stance of the Reserve Bank of India’s monetary policy committee (MPC).

Chief economists said, “overall, we expect elevated global commodity prices to continue to exert upward pressure on India’s import basket, which in turn, will gradually spill over into CPI inflation in the months to come.”


औद्योगिक उत्पादन बढ़ा : खुदरा महंगाई में कमी

अगस्त में औद्योगिक उत्पादन न सिर्फ 11.9 प्रतिशत की तेज गति से बढ़ा है, बल्कि यह कोविड-19 के पहले के स्तर की तुलना में भी 3.9 प्रतिशत बढ़ा है। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों से यह पता चलता है।

खनन और बिजली पर बारिश कम होने का सकारात्मक असर पड़ा है, यहां तक कि विनिर्माण की वृद्धि दर भी सुधरी है।

यह उत्साहजनक है कि अगस्त, 2021 में आईआईपी कोविड के पहले के अगस्त, 2019 की तुलना में 3.9 प्रतिशत बढ़ा है, जिसमें उपभोक्ता वस्तुओं को छोड़कर सभी श्रेणियों ने अहम भूमिका ऩिभाई है। इससे महामारी से उबरकर मांग बढ़ने के संकेत मिलते हैं।

उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति की दर सितंबर महीने में घटकर 4.35 फीसदी पर आ गई जो कि पांच महीनों का निचला स्तर है। इससे पिछले महीने यह 5.59 फीसदी पर रही थी।

मुद्रास्फीति की इस रुख ने भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के उदार रुख को न्यायोचित ठहराया है।

अर्थशास्त्रीयों ने कहा, कुल मिलाकर हम उम्मीद कर रहे हैं कि वैश्विक जिंस कीमतों की बढ़ी हुई कीमत भारत के आयातों पर दबाव डालता रहेगा जिससे आगामी महीनों में धीरे धीरे इसका असर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति में फैलता हुआ नजर आएगा।


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