Industry asks for incentive package
- सितम्बर 16, 2019
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Industry asks for incentive package
Finance Minister Nirmala Sitharaman has assured industry representatives that the penal provisions after the recent amendments to the Companies Act will not be applied to companies that do not meet Corporate Social Responsibility (CSR) standards. Penal provisions of the new law also include serving prison sentences.
Sitharaman has given this assurance in a meeting with members of industry organizations and other industrialists in the Finance Ministry. Industry representatives have demanded a ‘quick fix’ incentive package of ‘1 lakh crore from the government, so that demand and consumption can be restored as the economic growth rate has reached the lowest level under Narendra Modi’s tenure. .
Sitharaman told reporters, “First of all I would like to hear the representatives of all these areas. Like bankers, their challenges should be understood before them and appropriate and swift action should be taken, so that those areas can be helped. We will take the opinion of various areas and then take steps so that trust can be restored in those areas. ‘
As per the amendments to the Companies Act, which has been passed by Parliament, the company and defaulting officers can be fined between ‘50,000 and ‘25 lakh for violations of CSR standards and imprisonment of up to 3 years for the officials responsible for it.
Assocham President BK Goenka said that his group has sought a ‘quick fix’ incentive package to restore the investment cycle in view of the current slowdown in the domestic and global markets. He said, ‘There is a need for immediate intervention in the economy by introducing incentive package. We have suggested a package of over ‘1 lakh crore. ”Ajay Piramal of Piramal Enterprises said,“ The Finance Minister and all the officials of the Ministry listened very carefully to what the industry wanted to say. They were there for three hours. The main issue raised by us was the lack of cash in the system. This is not an issue of shortage of cash with banks, but the issue of not getting loans. As far as NBFCs are concerned, there is pressure on the economy and NBFCs are also impacting other industries, be it automobile, home loans or medium and small scale industries. ‘
Industry groups were unanimous in the meeting that banks are not giving the benefit of multiple rate cuts to customers. CII Vice President TV Narendran said, “In the last one year, there has been a total reduction of 75 basis points in the repo rate during February-June 2019, while the government banks’ medium marginal cost of lending rate (MCLR) has been reduced by 10 basis points.” CII has also advocated cutting small savings rates on the lines of market rates.
Vodafone Idea Chief Executive Balesh Sharma said that Sitharaman asked the secretaries to address the issues raised by various industry organizations, especially with a strong emphasis on the demand for GST refunds to be stuck.
उद्योग जगत ने मांगा प्रोत्साहन पैकेज
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उद्योग जगत के प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया है कि कंपनी अधिनियम में हाल में किए गए संशोधनों के बाद आए दंड प्रावधानों को उन कंपनियों पर लागू नहीं किया जाएगा, जो काॅर्पोरेट सोशल रिस्पाॅसिबिलटी (सीएसआर) मानकों को पूरा नहीं करतीं। नए कानून के दंड प्रावधानों में जेल की सजा देना भी शामिल है।
वित्त मंत्रालय में उद्योग संगठनों के सदस्यों व अन्य उद्योगपतियों के साथ हुई बैठक में सीतारमण ने यह आश्वासन दिया है। उद्योग के प्रतिनिधियों ने सरकार से 1 लाख करोड़ रुपये के ‘क्विक फिक्स’ प्रोत्साहन पैकेज की मांग की है, जिससे कि मांग व खपत बहाल की जा सके क्योंकि इस समय नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के तहत आर्थिक वृद्धि दर सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुकी है।
सीतारमण ने संवाददाताओं से कहा ‘सबसे पहले मैं इन सभी क्षेत्रों के प्रतिनिधियों की बात सुनना चाहूंगी। बैंकरों की ही तरह उनके सामने भी अपनी चुनौतियों को समझा जाए और उचित व तेजी से कार्रवाई की जाए, जिससे कि उन क्षेत्रों को मदद मिल सके। हम विभिन्न क्षेत्रों की राय लेंगे और उसके बाद कदम उठाएंगे जिससे कि उन क्षेत्रों में विश्वास बहाल किया जा सके।’
कंपनी अधिनियम में संशोधनों के मुताबिक, जिसे संसद ने पारित किया है, सीएसआर मानकों के उल्लंघन पर कंपनी व चूक करने वाले अधिकारियों पर 50,000 रुपये से 25 लाख रुपये तक जुर्माना और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों को 3 साल तक जेल की सजा हो सकती है।
एसोचैम के अध्यक्ष बीके गोयनका ने कहा कि उनके समूह ने घरेलू और वैश्विक बाजारों में मौजूदा मंदी को देखते हुए निवेश चक्र बहाल करने के लिए ‘क्विक फिक्स’ प्रोत्साहन पैकेज की मांग की है। उन्होंने कहा, ‘प्रोत्साहन पैकेज पेश कर अर्थव्यवस्था में तत्काल हस्तक्षेप किए जाने की जरूरत है। हमने 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के पैकेज का सुझाव दिया है।’ पीरामल इंटरप्राइजेज के अजय पीरामल ने कहा, ‘वित्त मंत्री व मंत्रालय के सभी अधिकारियों ने बहुत ध्यान से सुना कि उद्योग जगत क्या कहना चाहता है। वे तीन घंटे तक थे। हमारी तरफ से उठाया गया मुख्य मसला व्यवस्था में नकदी की कमी को लेकर था। यह बैंकों के पास नकदी की कमी का मसला नहीं, बल्कि कर्ज न मिलने का मसला है। जहां तक एनबीएफसी का सवाल है, अर्थव्यवस्था पर दबाव है और एनबीएफसी के कारण अन्य उद्योगों पर भी असर पड़ रहा है, चाहे वह ऑटोमोबाइल हो, होम लोन हो या मझोले व छोटे स्तर के उद्योग हों।’
बैठक में उद्योग समूह इस बात पर एकमत थे कि बैंक, दरों में कई बार कटौती होने का फायदा ग्राहकों को नहीं दे रहे हैं। सीआईआई के उपाध्यक्ष टीवी नरेंद्रन ने कहा, ‘पिछले एक साल में फरवरी-जून 2019 के दौरान रीपो रेट में कुल 75 आधार अंक की कटौती हुई है, जबकि सरकार बैंकों के मीडियम मार्जिनल काॅस्ट आफ लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) में 10 आधार अंक की कटौती हुई है।’ सीआईआई ने लघु बचत दरों में भी बाजार दरों की तर्ज पर कटौती करने की वकालत की है।
वोडाफोन आइडिया के मुख्य कार्यकारी बालेश शर्मा ने कहा कि सीतारमण ने सचिवों से कहा कि विभिन्न उद्योग संगठनों की ओर से उठाए गए मसलों का समाधान करें, खासकर जीएसटी रिफंड अटके होने की मांग पर खास जोर दिया।