उद्योग जगत की मांग, कर दर में होना चाहिए सुधार
- जुलाई 13, 2024
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तीन उद्योग निकायों - भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई), पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) और फेडरेशन ऑफ इंडियन चौंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) ने आगामी बजट में भारत की कर व्यवस्था में बदलाव का सुझाव दिया।
अपनी प्रस्तुति के दौरान, सीआईआई ने 20 लाख रुपये तक की कर योग्य आय के लिए आयकर में ‘‘मामूली राहत‘‘ मांगी है।
पीएचडीसीसीआई ने कहा कि 30 प्रतिशत आयकर स्लैब को बढ़ाकर 40 लाख रुपये और उससे अधिक की आय तक किया जाना चाहिए। निकाय ने कहा कि इससे कम आय पर कर की दर 20-25 प्रतिशत रखी जानी चाहिए।
पीएचडीसीसीआई ने कहा कि 30 प्रतिशत आयकर स्लैब को बढ़ाकर 40 लाख रुपये और उससे अधिक की आय तक किया जाना चाहिए। निकाय ने कहा कि इससे कम आय पर कर की दर 20-25 प्रतिशत रखी जानी चाहिए।
वर्तमान में, नई कर व्यवस्था के तहत, 15 लाख रुपये से अधिक आय वाले लोगों को 30 प्रतिशत का कर देना होगा। पुरानी व्यवस्था में, यह 10 लाख रुपये से अधिक आय वालों पर लागू था।
दूसरी ओर, फिक्की ने किसी छूट या रियायत की मांग नहीं की, बल्कि भारत में कर ढांचे को सरल बनाने का सुझाव दिया।
अपनी प्रस्तुति में, सीआईआई ने भारत में मौजूदा पूंजीगत लाभ कर ढांचे को ‘‘जटिल‘‘ भी कहा। इसने सुझाव दिया कि वित्तीय परिसंपत्तियों के लिए दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर की अवधि 12 महीने और अन्य परिसंपत्तियों के लिए 36 महीने रखी जाए।
अप्रत्यक्ष करों के लिए, सीआईआई ने जीएसटी के तहत कुछ प्रावधानों को गड़बड़ी की श्रेणी से बाहर करने की सिफारिश की और कहा कि इसे तीन-कर ढांचे के तहत लाया जाना चाहिए।
इसने कहा, ‘‘12 प्रतिशत स्लैब को 18 प्रतिशत स्लैब के साथ मिलाकर लगभग 14 या 15 प्रतिशत किया जा सकता है।‘‘
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