संरक्षण की मांग से बेपटरी हो सकती है व्यापार वार्ता
- अगस्त 3, 2024
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वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भारतीय उद्योगों को आयात शुल्क रियायतों के मामले में अनिच्छा को लेकर आगाह करते हुए कहा कि इससे ब्रिटेन (यूके) और यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है, जो कि हमेशा द्विपक्षीय होता है।
गोयल ने कहा, ‘’उद्योग जगत अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंच चाहता है, लेकिन जिस भी उद्योग से हम बात करते हैं, वे संरक्षण चाहते हैं। उन वस्तुओं को भारत में नहीं आना चाहिए। घरेलु उद्योग एफटीए में शुल्क रियायतें चाहते हैं, लेकिन वे दुसरे देशों को बाजार पहुंच देने के लिए तैयार नहीं हैं।
ऐसे में हम ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौता कैसे करेंगे? उद्योग जगत भारत द्वारा दी जा रही शुल्क रियायतों के पक्ष में नहीं है, लेकिन खुद हर चीज पर शून्य शुल्क चाहता है। क्या इस तरह से एफटीए होगाघ् आपकी तरफ से क्या सहयोग मिल रहा है?
केंद्रीय बजट 2024-25 के बाद उद्योग संगठन सीआईआई की ओर से आम बजट के बाद आयोजित सम्मेलन में बोलते हुए गोयल ने यह कहा।
भारत और ब्रिटेन ढाई साल से ज्यादा समय से व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। इसी तरह से 27 देशों वाले यूरोपीय संघ के साथ एफटीए वार्ता शुरू हुए 2 साल से ज्यादा वक्त हो चुका है, लेकिन इसकी रफ्तार बहुत धीमी है। प्रस्तावित एफटीए पर अगले दौर की वार्ता सितंबर में होने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि जापान, कोरिया और आसियान के साथ लागू किए गए एफटीए की समीक्षा के लिए बातचीत धीमी गति से चल रही है, लेकिन भारत उन वार्ताओं को आगे बढ़ा रहा है। मंत्री ने कहा, “मै असहाय हूं क्योंकि वे समझौते हमारे सत्ता में आने से पहले ही UPA सरकार के शाषण काल में समझौते के बाद लागू हो गए थे। जब तक हम समझौता पूर्ण नहीं कर लेते, मैं इसे बदलने में असमर्थ हूं।“
मंत्री ने एफटीए में तेजी लाने के लिए उद्योगों के सहयोग का अनुरोध किया और कहा कि वे गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) का इस्तेमाल अपने लाभ के लिए करें और साथ ही अपने मानक बढ़ाएं।
उन्होंने यह भी कहा कि उद्योग को इस बात की चिंता नहीं है कि भारत की विदेशी मुद्रा का कितना इस्तेमाल किया जा रहा है और उन्होंने उद्योग से चीजों को बदलने में उनके योगदान के बारे में पूछा, उन्होंने कहा कि सरकारी बैठकों में उद्योग की भागीदारी कम है।
गोयल ने कहा, “जब मैं आपसे भारतीय फर्मों द्वारा बनाए गए सामान खरीदने की अपील करता हूं, तो आप (उद्योग) कहते हैं कि आप आयात से पैसे बचाते हैं।“ उन्होंने कहा कि उद्योग भारत के विदेशी मुद्रा भंडार के बारे में नहीं सोचता है, जैसे कि यह सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक की एकमात्र जिम्मेदारी है।
मंत्री ने उद्योग से आगे बढ़कर स्टार्टअप को वित्त पोषण में समर्थन देने का भी आग्रह किया ताकि उन्हें “कुछ डॉलर” के लिए अपने विचार बेचने की जरूरत न पड़े।
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