As the economic activities are affected during the Covid crisis, inflation is on new peak. This is happening when the purchasing power of the common man has decreased and there is less demand in the market. According to the classical theory of economics, inflation should have reduced due to decrease in demand, for example if there are less buyers in the market, then the prices start falling, but the opposite is happening. Demand is decline and inflation is rising.

One of the main reasons for this is the increased expenditure of the government at the time of Covid. Undoubtedly, in times of crisis, it is considered preferable to increase the expenditure by the government, by taking loans but it is also certain that it will have an effect in the Process. Just as a person becomes healthy by taking loan and getting treatment, but due to this the financial burden also increases on him. If has given impetus to inflation.

Another reason for the increase in inflation is related to environment or climate change. A few days ago, due to unseasonal rains, crops were affected in many growing areas. This caused damage to the tomato crop. Potato production also suffered. This tightened the supply of these products, which pushed up the prices.

The third reason for inflation seems to be the suspicion of the common man. The common man is apprehensive about the new Omicron variant of Covid and other crisis. People don’t want to spend. They want to keep their savings safe, so that it can be used in times of crisis. That’s why demand has come down.

Since it costs more to produce less quantity of goods, this is also a reason for increasing the price. The fourth reason for increasing inflation is the Kovid protocol, due to which the cost of many products and services has increased. These four factors are not only applicable to India, but dominate the whole world, that is why these days inflation is increasing all over the world. Prices of imported goods have increased in many countries.

Overall, the unproductive government spending in the Covid period, the impact of climate change, people’s doubts and the short-term aspects like the Covid protocol are at the root of the rise in inflation.

In this situation, the Reserve Bank has adopted the policy of low interest rates. Allegedly, this has been done to make it easier for the consumer and the investor to avail the loan. It was assumed that they will increase consumption and production by taking credit, which will restore the cycle of economic growth, but consumers are apprehensive and are not interested in taking credit for consumption. Therefore, entrepreneurs are also not ready to set up enterprises by taking loans. Thus, the chances of establishing an indicator of economic growth with a low interest rate are less visible. Yes, the harmful policy of the government to meet its expenses by taking progressive loans as in the past, will continue for a long time, which will cause more suffering in the long run.


महामारी के दौर में महंगाई की मार


कोविड संकट के दौरान आर्थिक गतिविधियों के प्रभावित होने के बाद अब महंगाई की मार पड़ रही है। यह तब है जब आम आदमी की क्रय शक्ति घटी है और बाजार में मांग कम हुई है। अर्थशास्त्र के शास्त्रीय सिद्धांत के अनुसार मांग घटने से तो महंगाई कम होनी चाहिए थी जैसे कि मंडी में खरीदार कम हों तो दाम गिरने लगते हैं, लेकिन इसका विपरीत हो रहा है। मांग घटने और महंगाई बढ़ने पर है।

इसका एक प्रमुख कारण कोविड के समय सरकार का बढ़ा हुआ खर्च दिखता है। निःसंदेह संकट के समय सरकार द्वारा ऋण लेकर खर्च बढ़ाने को श्रेयस्कर माना जाता है, लेकिन यह भी तय है कि आने वाले वक्त में उसका असर पड़ेगा। जैसे कोई व्यक्ति कर्ज लेकर इलाज से स्वस्थ तो हो जाता है, लेकिन इस कारण उस पर आर्थिक बोझ भी बढ़ता है, उसने मंहगाई को रफ्तार दी है।

मंहगाई बढ़ने का दूसरा कारम पर्यावरण या जलवायु परिवर्तन से जुड़ा है। कुछ दिन पहले बेमौसम बरसात के कारण कई उत्पादक क्षेत्रों में फसल प्रभावित हुई। इससे टमाटर की फसल को क्षति पहुंची। आलू उत्पादन को भी नुकसान हुआ। इससे इन उत्पादों की आपूर्ति तंग हुई, जिसने दाम बढ़ा दिए।

महंगाई का तीसरा कारण आम आदमी का संशकित होना लगता है। कोविड के नए प्रतिरूप ओमिक्रोन वैरिएंट और अन्य संकटों से आम आदमी सशंकित है। लोग खर्च नहीं करना चाहते हैं। वे अपनी बचत को सुरक्षित रखना चाहते हैं, ताकि वह संकट के समय काम आए। इससे भी मांग घटी है।

चूंकि कम मात्रा में माल उत्पादन में अधिक खर्च आता है तो यह भी दाम बढ़ने का एक कारण है। महंगाई बढ़ने का चैथा कारण कोविड प्रोटोकाल है, जिसके चलते कई उत्पादों एवं सेवाओं की लागत बढ़ गई हैं। ये चारों कारक केवल भारत पर ही लागू नहीं, बल्कि पूरे विश्व पर हावी हैं, इसीलिए दुनिया भर में इन दिनों महंगाई बढ़ रही है। कई देशों में आयातित माल के दाम में वृद्धि हुई है।

कुल मिलाकर कोविड काल में सरकारी अनुत्पादक खर्च, जलवायु परिवर्तन का प्रभाव, लोगों की शंका और कोविड प्रोटोकाल जैसे अल्पकालिक पहलू ही महंगाई बढ़ने के मूल में हैं।

इस स्थिति में रिजर्व बैंक ने न्यून ब्याज दरों की नीति अपनाई है। कथित रूप से यह इसलिए किया गया है कि उपभोक्ता और निवेशक के लिए ऋण लेना आसान हो जाएगा। वे ऋण लेकर खपत और उत्पादन बढ़ाएंगे जिससे आर्थिक विकास का सुचक्र पुनः स्थापित हो जाएगा, लेकिन उपभोक्ता आंशकित हैं और खपत के लिए ऋण लेने में रुचि नहीं ले रहे। इसलिए उद्यमी भी ऋण लेकर उद्यम स्थापित करने को तैयार नहीं हैं। इस प्रकार न्यून ब्याज दर से आर्थिक विकास का सुचक स्थापित होने के आसार कम ही दिखते हैं। हां, सरकार के लिए पूर्व की तरह उत्तरोत्तर ऋण लेकर अपने खर्चों को पोषित करने की हानिप्रद नीति काफी समय तक चलती रहेगी जो आगे चलकर और अधिक कष्ट देगी।