केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार केंद्रीय बजट 2024-25 में कहा था कि केंद्र सरकार शीर्ष 500 कंपनियों में युवाओं को इंटर्नशिप का अवसर देने के लिए योजना लाएगी। कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय औद्योगिक कोशल प्रशिक्षण के लिए संसाधानों को लगाने हेतु इन कंपनियों के साथ तालमेल करेगा।

प्रशिक्षुओं को हर महीने 5,000 रूपये भत्ता और 6,000 रूपये की एकमुश्त सहायता मिलेगी। कंपनियां कॉपोरेट सामाजिक दायित्व के धन का इस्तेमाल कर इन प्रशिक्षुओं के प्रशिक्षण का खर्च वहन करेंगी। कंपनियां इस योजना को स्वैच्छिक आधार पर अपना सकती है।

इंटर्नशिप की पेशकश शीर्ष 500 कंपनियों के आपूर्तिकर्ता या मूल्य श्रृंखला साझेदार के माध्यम से की जाएगी। अप्रेंटिसशिप के विपरीत इसमें कंपनियों के ऊपर प्रशिक्षुओं को स्थायी रूप से भर्ती करने की बाध्यता नहीं होगी।

इस योजना का मकसद कंपनियों को ऐसे व्यक्तियों को नौकरी पर रखने के लिए प्रोत्साहित करना है जिन्हें वे आमतौर पर सब्सिडी के बिना नौकरी पर नहीं रखतीं। प्रशिक्षु भत्ते में से 90 फीसदी राशि (₹4500) का भुगतान सरकार करेगी जबकि कंपनियां शेष 10 फीसदी (₹500) राशि का भुगतान करेंगी। साथ ही कंपनियां प्रशिक्षण लागत को भी वहन करेंगी।

वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने कहा कि सरकार शैक्षणिक संस्थान स्थापित कर सकती है और शैक्षणिक विषयों के लिए अध्यापकों की नियुक्ति कर सकती है, लेकिन उसे किसी खास उद्योग के लिए जरूरी कौशल सिखाना पड़ता है। उन्होंने बताया कि सरकार की नई इंटर्नशिप योजना का उद्देष्य शिक्षा और उद्योग की जरूरतों के बीच आने वाले कौशल की खाई को दूर करना है।

कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय अंतिम योजना का मसौदा इस तरह से तैयार कर रहा कि इसमें संतुलन बन सके और पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।

कंपनी अधिनियम के तहत कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व अनिवार्य व संवैधानिक बाध्यता बनाई गई है और भारत ऐसा करने वाले कुछ देशों में शामिल है। वैश्विक रूप से ज्यादातर देशो ने सीएसआर व्यय में स्वैच्छिक तरीका अपनाया है। विश्व के तमाम देश जैसे नॉर्वे और स्वीडन में अब स्वैच्छिक सीएसआर है, जिसे उन्होंने शुरूआत में अनिवार्य प्रावधान बनाया था।