आईडब्ल्यूएसटी में औद्योगिक मीट में क्यूसीओ पर चर्चा की गई। आईडब्ल्यूएसटी के सेवा निवृत निदेशक डॉ. एमपी सिंह के सम्मान में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था।

कार्यक्रम में वक्ताओं ने डा. एमपी सिंह के कार्यकाल की सराहना करते हुए बताया कि किस तरह से उन्होंने कृषि वानिकी, तकनीक, गुणवत्ता व उद्योग को एक मंच पर लाते हुए लकड़ी उद्योग को नई उंचाई प्रदान की है।

चुनौतियां तो हैं, रास्ता भी यही से निकलेगाः सज्जन भजनका, चेयरमेन, सेंचुरी प्लाईबोर्ड

फिलहाल हम कच्चे माल की समस्या से जूझ रहे हैं। लकड़ी की कीमतें पिछले 2-3 सालों में दोगुने से अधिक हो गए हैं। उद्योग ने भी अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ा दी है। अब न तो बाजार में आवाश्यक मांग है, न कच्चा माल उपलब्ध हैं।

ऐसे कठिन समय में तैयार माल के लिए बाजार की पहचान करना एक चैलेंज है। इन तमाम हालातों में भी मैं सकारात्मक सोच रखता हूं। मेरा मानना है कि आने वाले दिनों में मांग बढे़गी, पैनल में भी और फर्निचर में भी।

भारत में फर्नीचर की मांग बढ़ रही है। पिछले दस सालों में फर्नीचर का बाजार लगातार बढ़ रहा है। उसी अनुपात में पैनल उद्योग भी बढ़ रहा है।

हमारा उद्योग अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है: डॉ एमपी सिंह

यहां हर श्रेणी की प्लाई उपलब्ध है। हमारे पास विश्व की सर्वश्रेष्ठ तकनीक है। हमारी तकनीक सक्षम है कि हम BIS के मानकों के अनुरूप लकड़ी के उत्पाद तैयार कर सके। जहां तक कच्चे माल का सवाल है, बहुत से उद्योगपतियों ने इस दिशा में काफी काम करना शुरू कर दिया है। सरकार भी इस दिशा में सोच रही हैं। जिससे उद्योगपतियों के साथ मिल कर अधिक से अधिक पौधा रोपण कराया जा सके। पेपर उद्योग की तरह प्लाई इंडस्ट्री में भी इस तरह का सफल प्रयास संभव है।

हम बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं: जयदीप चितलांगिया, एम डी, ड्यूरो प्लाई इन्डस्ट्रीज लिमिटेड

हम अभी बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि उद्योग इन चैलेंज को अपनाते हुए विकास के रास्ते पर अग्रसर होगा। क्यूसीओ पर डा. एमपी सिंह ने बहुत काम किया है। उद्योग की ओर से जो बदलाव प्रस्तावित किए गए, उन्होंने उसे अमली जामा पहनाया। कृशि वाणिकी पर उद्योग ने काम करना शुरू कर दिया है। बीआईएस को जोर शोर से जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।

देश में अभी तीन हजार से 35 सौ तक उत्पादक है। आठ सौ उद्योगपतियों के पास ही लाइसेंस है। यह बड़ा चैलेंज है कि सभी उद्योगपति लाइसेंस के दायरे में आए इसके बारे में जागरूकता लायी जाए।

फर्नीचर व पैनल उद्योग एक दूसरे पर निर्भर हैः राजेश मित्तल, चेयरमेन, ग्रीन प्लाई इन्डस्ट्रीज लिमिटेड

फर्नीचर व पैनल उद्योग एक दूसरे पर निर्भर है। जहां तक कच्चे माल के तौर पर पौधा रोपण की बात है, यह निश्चित ही बड़ा मसला है। हम दो तीन साल से किसानों के साथ मिल कर लगातार पौधा रोपण अभियान चलाए हुए हैं। क्योंकि हमारा उद्योग पूरी तरह से कृषि वानिकी पर टिका हुआ है।

हमारी सबसे बड़ी समस्या कम गुणवत्ता के आयात होने वाले पैनल उत्पाद हैं। हमारी दूसरी बड़ी समस्या कम गुणवत्ता के आयात होने वाला फर्निचर है। क्यूसीओ भारत में कम गुणवत्ता के आयात होने वाले लकड़ी उत्पाद पर रोक लगाने की दिशा में काम करेगा। इससे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।

क्वालिटी कंट्रोल मानक देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदमः मोहम्मद इसरार अली, डायरेक्टर DPIIT

क्वालिटी कंट्रोल मानक देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। इससे कम गुणवत्ता के लकड़ी उत्पादों को भारत में आने से रोका जा सकता है। अगले साल फरवरी से क्यूसीओ अनिवार्य हो जाएगा। इससे भारत लकड़ी के उद्योग को सुरक्षा मिलेगी, इसके साथ ही गुणवत्ता में सुधार होगा। क्योंकि जब गुणवत्ता में सुधार होगा तो हमारे उत्पाद का विश्व में हर जगह स्वागत होगा।

बीआईएस को लेकर कुछ बदलाव के विचार आए हैं। उन्हें विचार विमर्श कर अमल में लाया जा रहा है। पिछले माह की बैठक में भी कुछ शंकाएं आई थी, इसमें मुख्यतः फीस और सैंपल का मामला था। हमें विश्वास है कि बीआईएस इन सभी बातों की ओर ध्यान देकर इनके निवारण की दिशा में कदम उठाएगा।

क्यूसीओ लागू हो रहा है, यह तय है। इसलिए अब उद्योग को चाहिए कि वह स्वयं आगे आकर BIS लायसेंस लें।

क्यूसीओ को लेकर जागरूक कर रहे हैं: नरेंद्र रेडी, डायरेक्टर BIS

बीआईएस अब अनिवार्य हो गया है। यह गुणवत्ता का तकनीकी मानक है। जिससे उद्योग को बढ़ावा मिल सके। यह न सिर्फ देश के स्थानीय बाजार में बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी हमारी पहुंच बढ़ाएगा।

एमेसेमी को मदद करने के लिए उन्हें छह माह का अतिरिक्त समय दिया गया है। यह बहुत ही महत्वपूर्ण है। इससे एमेसेमी खुद को मानकों के अनुरूप तैयार कर सकती है। मानक मंथन कार्यक्रम से जागरूकता लाने की दिशा में काम चल रहा है। स्टैडर्ड को लेकर छोटे कोर्स भी आयोजित किए जा रहे हैं। उद्योगपति अपनी प्रयोगशाला विकसित करें। क्यूसीओ मानक लागू होने के बाद इन मानकों के अनुरूप ही माल आयात करना होगा।

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हमें अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता के साथ ही वाजिब दाम भी चाहिएः अमन बरोटा, फर्नीचर उत्पादक

मैं निर्यात करता हूं। क्या अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता का माल भारत में बनाया जा सकता है, और उसी रेट पर मिल सकता है? क्या हमें अपने फर्नीचर के लिए आयात होने वाले माल की कीमतों के अनुरूप माल मिल पाएगा? अगर आप इस मानको के अनुसार हमें माल दे पाते हैं तो हम आपसे माल खरीदेंगे। आयात के मुकाबले भारतीय माल यदि आठ दस प्रतिशत अतिरिक्त में मिले तो भी चल सकता है। लेकिन रेट का अंतर यदि इससे ज्यादा होगा तो फिर कस्टमर को समस्या आएगी। वह आयात के माल की तुलना में स्थानीय माल का ज्यादा भुगतान करने की स्थिति में नहीं है।

अभी क्यूसीओ के दायरे में लेमिनेटेड प्लाई भी आ रही है। उसमें एक चैलेंज है, यह मुड़ जाता है। तो मेरा डीपीआईआईटी से अनुरोध है कि भारतीय उत्पादक व आयातक व निर्यातकों की एक बैठक बुला कर इस पर बातचीत करनी चाहिए।

बीआईएस को लेकर कई तरह की शंकाएं है। लेकिन यह कह सकते हैं कि यह हमारे हित में हैं। हम चाहते है कि भारत से निर्यात हो, आयात नहीं।

राजेश मित्तल एमडीएफ निर्माता आज भारत सबसे बेहतर गुणवत्ता का उत्पाद वाजिब दाम पर देने की स्थिति में हैं। हमारे पास अच्छी मशीन है, बेहतर तकनीक है।

एसएन चमरिया, एक्जीम कोर्प इंडिया प्राइवेट लिमिटेड

थर्ड पार्टी सर्टिफिकेशन क्यों नहीं है। बीआईएस ने मानक बना दिए है, काफी है, अब प्रमाण पत्र देने वाली एजेंसी अलग होनी चाहिए।

अच्छी गुणवत्ता के लिए प्रशिक्षित लोग चाहिएः जिकेश ठक्कर, एक्जी. डायरेक्टर AIPM & ILMA

हमें आज उद्योग के लिए प्रशिक्षित लोगों की जरूरत है। एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है।

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