Major Changes in the Contract Labor System
- अक्टूबर 4, 2020
- 0
Major Changes in the Contract Labor System
The National Democratic Alliance (NDA) government has recently introduced the Labor Code in Parliament to liberalize the contractual (contract) labor system in the country, under which companies will be free to appoint such workers.
The proposed OSH Code states that ‘it is prohibited to employ workers on contract for core activities in any establishment.’ The main activity is called the establishment for which the purpose is established and any such activity which is necessary. But sanitation, security service, canteen, horticulture, housekeeping etc. will not be considered as main activity if it is not the main business of the concerned establishment.
For example, Maruti Suzuki cannot employ contract labor to produce cars, as it is its main business. But contract workers for canteens, housekeeping or security services will be allowed to be appointed.
But a careful reading of the proposed OSH Code shows that even for core activities, firms will be free to hire workers on contract if they use contractors for this. Even on the sudden increase of work, companies can hire workers on contract for core activities.
Confederation of Indian Industry, said, “The proposed bill is designed in such a way that companies have equal expertise for all kind of work to run their operations smoothly.” There will be more efficiency. Some activities have to be outsourced and many countries have this type of system. In today’s time, companies need to focus on their core business.
The current contract labor law of the country is known as the Contract Labor (Regulation and Abolition) Act, 1970. Under this, permanent employees have been encouraged and emphasis has been laid on ending the system of hiring workers on contract. Under this, all companies employ at least 20 contract workers. Under the proposed code, companies can hire at least 50 contract workers. This meant that many companies would fall outside the purview of the labor law.
The government has proposed that an authority be appointed which will decide whether the related activities are salient or not. If the companies have any objection to the decision of the authority, then it can inform the government.
CA Neeraj Garg said that in the name of ease of doing business, proposals are being made to legalize more and more companies out of the purview of the labor law by the OSH Bill Code in the name of ease of doing business. In many cases, the government has also allowed contract workers to be employed in core activities.
ठेका श्रमिक व्यवस्था में व्यापक बदलाव
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने देश में अनुबंधित (ठेका) श्रमिक प्रणाली को उदार बनाने के लिए 19 सितंबर को संसद में श्रम संहिता पेश की, जिसके तहत कंपनियों को ऐसे श्रमिकों को नियुक्त करने की आजादी होगी।
प्रस्तावित ओएसएच संहिता में कहा गया है कि ‘किसी भी प्रतिष्ठान में मुख्य गतिविधियों के लिए ठेके पर श्रमिकों को नियुक्त करना प्रतिबंधित है।’ मुख्य गतिविधि उसे कहा गया है जिसके मकसद के लिए प्रतिष्ठान स्थापित किया गया है औ ऐसी कोई भी गतिविधि जो आवश्यक है। लेकिन साफ-सफाई, सुरक्षा सेवा, कैंटीन, बागवानी, हाउसकीपिंग आदि को मुख्य गतिविधि नहीं माना जाएगा, अगर संबंधित प्रतिष्ठान का यह मुख्य कारोबार न हो।
उदाहरण के लिए मारूति सुजूकी कारों के उत्पादन के लिए ठेके पर श्रमिक नियुक्त नहीं कर सकती हैं, क्योंकि वह उसका मुख्य कारोबार है। लेकिन कैंटिन, हाउसकीपिंग या सुरक्षा सेवा के लिए ठेके पर श्रमिकों को नियुक्त करने की अनुमति होगी।
लेकिन प्रस्तावित ओएसएच संहिता को ध्यान से पढ़ने पर पता चलता है कि मुख्य गतिविधियों के लिए भी फर्में ठेके पर श्रमिकों को नियुक्त करने के लिए स्वतंत्र होंगी अगर वे इसके लिए ठेकेदारों का इस्तेमाल करती हैं। यहां तक कि अचानक काम बढ़ने पर कंपनियां मुख्य गतिविधियों के लिए ठेके पर श्रमिकों को नियुक्त कर सकती हैं।
भारतीय उद्योग परिसंघ ने कहा, ‘प्रस्तावित विधेयक को इस तरह से बनाया गया है कि कंपनियों के पास अपने परिचालन को सुचारू तरीके से चलाने के लिए सभी तरह के कामों के लिए समान रूप से विशेषज्ञता और दक्षता होगी। कुछ गतिविधियों को आउट्सोर्स कराना होता है और कई देशों में इस तरह की व्यवस्था है। आज के समय में कंपनियों को अपने मुख्य कारोबार पर ध्यान देने की जरूरत है।’
देश का मौजूदा अनुबंध श्रमिक कानून को अनुबंद श्रमिक (नियमन और उन्मूलन) अधिनियम, 1970 के नाम से जाना जाता है। इसके तहत स्थायी कर्मचारियों को प्रोत्साहित किया गया है और ठेके पर श्रमिकों को रखने की व्यवस्था खत्म करने पर जोर दिया गया है। इसके तहत सभी कंपनियां कम से कम 20 ठेका श्रमिकों को नियुक्त करती है। प्रस्तावित संहिता के तहत कंपनियां कम से कम 50 ठेका कर्मचारियों को नियुक्त कर सकती है। इसका मतलब हुआ कि कई कंपनियां श्रम कानून के दायरे से बाहर हो जाएंगी।
सरकार ने प्रस्ताव किया है कि प्राधिकारण नियुक्त किया जाएगा जो यह तय करेगा कि संबंधित गतिविधियां मुख्य हैं या नहीं। कंपनियों को अगर प्राधिकरण के निर्णय पर कोई आपत्ति हो तो वह सरकार को इससे अवगत करा सकती है।
सीए नीरज गर्ग ने कहा कि कारोबार सुगमता के नाम पर ओएसएच विधेयक संहिता के जरिये करीब दर्जन भी राज्यों द्वारा अधिक से अधिक कंपनियों को श्रम कानून के दायरे से बाहर करने के प्रस्तावों को कानूनी रूप दिया जा रहा है। कई मामलों में सरकार ने मुख्य गतिविधियों में भी ठेका कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति दी है।