Makhan Gattani – Gattani Industries
- अगस्त 27, 2020
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कोरोना के साथ साथ अब बाढ़ भी परेशान कर रही है
कोराना के साथ ही अब असम में बाढ़ की समस्या भी प्लाइवुड उद्योगपतियों को परेशान कर रही है। क्योंकि बाढ़ की वजह से नेशनल हाइवे 37 बंद हो जाते हैं। इस वजह से आवागमन में खासी दिक्कत आती है। द प्लाई इनसाइट कोरोना के संकट के बीच प्लाइवुड उद्योगपति,व्यापारी और विशेषज्ञ से लगातार बात कर, उनके विचार साझा कर रहे है।आपको जानकारी हैरानी होगी कि 1996 तक असम से प्लाइवुड का हिस्सा देश में 80 प्रतिशत था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद में हरियाणा-पंजाब – उत्तर प्रदेश ने इस उद्योग में अपना वर्चस्व कायम कर लिया। इस वजह से असम प्लाइवुड के क्षेत्र में तेजी से पिछड़ता चला गया। टॉक टू? कार्यक्रम के तहत इस बार श्री माखन गट्टानी से विशेष बातचीत
मौजूदा हालात का आंकलन कैसे कर रहे हैं?
नेशनल हाइवे से ट्रक का आवागमन चालु है। इस पर कोई रोक नहीं है। आने जाने में कोई समस्या नहीं है। तैयार माल भी भेजा जा सकता है। लेकिन दिक्कत यह है कि अभी मांग फिर से कम है। इस वजह से परेशानी आ रही है।
वर्तमान में असम में कौन सी लकड़ इस्तेमाल हो रही है?
मेघालय से पाइन आती है जो ब्लाक बोर्ड के लिए फिलर के काम आती है। बोर्ड के लिए वही लकड़ अच्छी रहती है जो सुखने के बाद हल्की और मजबुत हो। उसी हिसाब से यहां पाइन एक बहुत अच्छा विकल्प है। उत्तर भारत में भी पोपुलर के मुकाबले पाइन अधिक आकर्षक माना जाता है। कोर के लिए नागालैंड से हार्डउड की लकड़ आती है, उसकी डेन्सीटी आदि ज्यादा बेहतर है। क्योंकि इसकी मोटाई और उम्र अधिक होती है-पोपुलर सफेदा के मुकाबले। हम अभी भी गर्व कर सकते हैं कि मूल आसाम का उत्पाद हमारे यहां बनता है।
और फेस भीनीयर?
भारत में दिखने में आया है कि ग्राहक और बिक्रेता दुकानदार जब तक किसी किस्म के माल की उपलब्धता है तब नक नये विकल्प की और जल्दी नहीं मुड़ते हैं। इसलिए भी नये उत्पाद बहुत मुश्किल से अपनी जगह बना पाते हैं फेस में हम मनीपुर आदि से उपलब्ध होलिंग का फेस इस्तेमाल करते हैं।
कच्चे माल को लेकर क्या स्थिति है?
फोर्मालीन के रेट में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। यहां थोड़ा महंगा पड़ता है। इसके रेट थोड़ा कम हो जाए तो काफी राहत उद्योगपतियों को मिल सकती है।
नार्थ इंडिया में आप कहां कहां मार्केट देख रहे हैं?
यूपी बिहार, झारखंड और आस पास के इलाकों में तो सप्लाई है। भारत के अन्य हिस्सों में प्रतिस्पर्धा अधिक है। इसकी वजह यह है कि यहां से वहां तक भाड़ा ही ज्यादा हो जाता है। इस वजह से इधर सप्लाई नहीं कर पा रहे हैं।