कई वियतनामी कंपनियां कई महीनों से भारतीय मानक ब्यूरो से प्रमाण पत्र का इंतजार कर रही हैं।

वियतनाम के व्यापार मंत्रालय ने अपनी कंपनियों के लिए क्यूसीओ प्रमाणन में तेजी लाने के लिए नई दिल्ली को पत्र भी लिखा है। इन कंपनियों में अधिकतर जूते और स्टील के व्यापार में लगी हुई हैं। इस तरह के उत्पादों में पहले से क्यूसीओ लागू हो चुका हैं।

यद्यपि अन्य देशों के निर्माताओं को भी यह प्रमाण पत्र लेने में देरी का सामना करना पड़ रहा है, खासकर चीन की कंपनियों को।

नई दिल्ली द्वारा गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों में वृद्धि के बाद देश और विदेश से क्यूसीओ प्रमाणन के लिए आवेदनों में वृद्धि हुई है। क्यू सी ओ का उद्देश्य घटिया आयातों पर अंकुश लगाना तथा घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना है।

क्यूसीओ के अनुसार भारतीय व्यापारियों को माल आयात करते समय उत्पाद की गुणवत्ता को लेकर एक प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा। अन्यथा उन्हें जुर्माना देना पड़ सकता है।

आसियान देशों के साथ भारत के मुक्त व्यापार समझौते के कारण, व्यापार को संतुलित करने के लिए टैरिफ नहीं लगाए जा सकते। ऐसे में बीआईएस के मानक महत्वपूर्ण हो जाते हैं। क्योंकि इससे इन देशों से आने वाले सस्ते व कम गुणवत्ता के आयातित माल पर रोक लगाना संभव हो सकता है।

इससे निश्चित ही भारतीय उद्योग को लाभ होगा। क्योंकि इस स्थिति में कीमतों को लेकर बाजार में जो अनिश्चिता बनी रहती है, इस पर रोक लग सकती है। हाल के वर्षों में क्यूसीओ की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है - 2014 में 106 उत्पादों को कवर करने वाले 14 ऐसे आदेशों से वर्तमान में 672 उत्पादों को कवर करने वाले 156 आदेश जारी किए गए हैं।

गुणवत्ता मानक संबंधित मंत्रालयों द्वारा जारी किए जाते हैं तथा उत्पादों के मानक भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा तैयार किए जाते हैं। जो उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय का एक अंग है।

घरेलू निर्माता भी चीन की कंपनियों से चिंतित हैं, जो दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (जिसका वियतनाम सदस्य है) के साथ नई दिल्ली के मुक्त व्यापार समझौते का लाभ उठाकर अपने उत्पादों को भारत में भेजने के लिए वियतनाम और अन्य देशों का इस्तेमाल कर रही हैं।

भारत क्योंकि वैश्विक स्तर पर अपनी बढ़ती मांग से एक बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है। जिस वजह से हर देश भारत में अपना माल निर्यात करने के लिए उत्सुक है।

ऐसे में यदि सरकार क्यूसीओ जैसे सुरक्षात्मक उपाय नहीं करती है, तो वियतनाम, चीन और अन्य आसियान देश कम गुणवत्ता का सस्ता माल हमारे बाजार में उतार सकते हैं। जिससे स्थानीय निर्माताओं के सामने बाजार की समस्या पैदा हो सकती है, जो संयत्रों में अपना निवेश बढ़ा रही हैं। इसके अलावा, चीन मुक्त व्यापार समझौते का लाभ उठाने के लिए वियतनाम में अपने संयत्र स्थापित कर सकता है।

कुल वैश्विक उत्पादन में चीन का तकरीबन आधा हिस्सा है। लेकिन चीन चूंकि घरेलू रियल एस्टेट क्षेत्र में चुनौतियों से जूझ रहा है। इसलिए वहां उत्पादित स्टील, प्लाईवुड और अन्य लकड़ी आधारित उत्पाद घरेलु स्तर पर बिक नहीं पा रहे हैं। जिसे बेचने के लिए उन्हें बाजार चाहिए।

हाल के वर्षों में चीन के कारखानों ने इन उत्पादों को वैश्विक बाजारों में भर दिया है, जिससे कीमतें काफी नीचे आ गई हैं।


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