MASTERING IS 303: STRATEGIC INSIGHTS INTO Plywood Testing, Standards, and Industry Impact (Part-3)
- सितम्बर 9, 2024
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डॉ आनंद नंदनवार
99 प्रतिशत प्लाईवुड अब E2 हतंकम और नए मानकों में पास हो सकती है:
BIS में Plywood की Specifications इससे पहले 1989 में बनी थी जिसमें अब 2024 में बदलाव किए गए हैं।
IS 303 में अब BWP ग्रेड को शामिल कर लिया गया है। इसका मुख्य कारण था कि इंटिरियर के लिए भी IS 710 या IS 4990 का उपयोग किया जाने लगा था। जबकि इन ग्रेड कों मेरीन या शटरिंग में उपयोग के लिए बनाया गया है, जहां High value की strength चाहिए होती है। IS 303 में BWP को शामिल करने से अब इसे नमी या कठोर असुरक्षित वातावरण वाले स्थानों पर भी उपयोग किया जा सकेगा।
MoR और MoE में Along the grain की वैल्यु 15 प्रतिशत घटाई गई हैं, जिसकी पूर्त्ति करने के लिए Across the grain की वैल्यु बढ़ाई गई हैं। ताकि अंतिम उपयोग क्षेत्र में अधिक समझौता ना करना पड़े।
तीसरा, हमने इसमें Emission के लिए E1 और E2 ग्रेड को शामिल किया है। मेरा विश्वास है कि 99 प्रतिशत प्लाईवुड E2 ग्रेड में पास हो सकती है।
इस तरह से 2024 के ये बदलाव अब और भी निर्माता अनुकूल हो गए हैं।
सरफेश में पहले सिर्फ A और B टाइप, जिसमें Knots या क्रेक आदि defects की limitation होती थी, के अलावा अब C टाइप भी शामिल किया गया है। इसमें उत्पादक और क्रेता की सहमति से defects की संख्या की बाध्यता समाप्त कर दी गई है।
इसके अलावा, एक बहुत बड़ा बदलाव, जिसे समझने में भी लोगों को दिक्कत आ रही है, अब 303 की कैटेगरी को हमने एक रेंज में ला दिया है। पहले एक Minimum Quality requirement थी, जिसे achieve करना ही होता था। अब इसे 10 से 50 की रेंज तक में बांट दिया गया है। अब आप जिस रेंज की ply बनाना चाहे, उस रेंज में मार्किंग कर उसे पास करवा सकते हैं। क्योंकि आप जिस रेंज की भी प्लाई बना रहें हो, वो स्ट्रेंथ के मामले में अब फेल नहीं हो सकता है, बशर्त्ते आपने वही डिक्लेयर किया है।
इंजीनीयरींग में मोडूलस आफ रपचर को F से नोट किया जाता है और मोडूलस आफ ईलास्टीसीटी को E बोलते है। अब अगर आपके प्लाई की MoR वेल्यू 10 और 20 के बिच में (मान लीजिए 15) है तो उसे F10 कहेंगे। इसी तरह MoE की वेल्यू 10-20 के बिच में है तो उसे E10 कहेंगें।
अब आप अपने प्लाई की स्ट्रेंथ के अनुसार F10 E10 या F10 E20 लिख और बेच सकते है। हालांकि यह एकदम निम्नतम है। इससे निचे तो प्लाईवुड बन ही नहीं सकती।
अब आप किसी भी स्ट्रेंथ की प्लाई बनाइए आप उसको बाजार में आसानी से BIS मार्किंग सहित बेच सकेंगें। आपको सिर्फ डिक्लेयर (मार्किेग) करना पड़ेगा कि यह किस रेंज में पास की गई है। इसमें F50 E50 सबसे उत्तम रेंज होगी।
इसी तर्ज पर IS 710 और 4990 में भी MoE MoE में बदलाव किया गया है। जो भी स्टेंडर्ड बनाए जाते हैं उसमें उत्पादक तकनीशीयन और उपभोक्ता तीनों की आवश्यकताओं का समन्वय मान्य होता है।
स्टेंडर्ड कभी एकदम पत्थर की लकीर नही होता। यह हमेशा बदलते रहें हैं आगे भी बदलते रहेंगें। बाजार की जरूरतें, कच्चे माल की परिस्थितीयों के हिसाब से इनमें बदलाव की आवश्यकता होती हैं। लेकिन मुख्य उद्देश्य होता है उपभोक्ता को एक गुणवत्ता पूर्ण उत्पाद मिले।
BIS की मार्किंग से एक आम उपभोक्ता को, जिसे उस उत्पाद की जानकारी नहीं भी हो, एक गुणवत्ता पूर्ण उत्पाद का भरोसा मिलता हैं। यही भरोसा BIS की गरिमा है।
इसके अलावा IWST में ब्लाक बोर्ड और Preservative Chemicals के उपर शोध चल रहा है। जिसे उचित समय पर प्रकाशित किया जाएगा।
- सुरेश बाहेती
इसे हम साबुन के उदाहरण से शायद बेहतर समझ सकते है। इसमें पहले Bath और Toilet Soap का वर्गीकरण है। जिसके बाद ग्रेड 1-2 या 3 है और अंत में TFM (Total Fatty matters) जो प्रतिशत में लिखा जाता है। ग्रेड 1 में निम्नतम TFM 76 प्रतिशत ग्रेड 2 में 70 प्रतिशत और ग्रेड 3 में 60 प्रतिशत होना चाहिए। अब इसमें ग्रेड 3 में TFM 60 प्रतिशत भी हो सकता है और 65 या उससे अधिक भी। बाजार में उपलब्ध प्रायः सभी साबुन के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि अमुमन सभी के TFM के परिणाम उनके द्वारा घोषित TFM से अधिक ही थे।
- डॉ आनंद नंनदवार
मार्किंग में स्पेसीफिकेसन (plywood for general purpose) के अलावा, ग्रेड; (MR या BWP) और MOR/MOE की वेल्यू लिखनी पड़ेगी।
- मनोज ग्वारी
IS 303 का नया स्पेसिफिकेशन आया है इसे अब तीन श्रेणी में बांटा गया हैं पहले एमआर और बीडब्ल्यूआर दो थे, अब तीसरा बीडब्ल्यूपी भी आ गया। इसी तरह से फेस वीनियर ए और बी होता था अब सी भी आ गया।
एमओआर एमओई में 10 से 50 की जो श्रेणी बनायी, इससे फाइव इनटू फाइव कुल 25 नयी श्रेणी बन गयी।
यह तो बहुत ही भ्रम में डालने वाली स्थिति बन गयी है। इस फाइव इनटू फाइव कंबो में दिक्कत आएगी। अगर किसी ने गलती से या जानबुझ कर F20 या F30 के माल पर, (बाजार की मांग पर) F50 लगाकर बेचा तो अब यहां पर स्टाप मार्किंग वाला क्लाज लागू हो जाएगा। इस तरह से यह देखना होगा कि यह हमें हलके माल की वर्गीकरण में तो बचाएगा, लेकिन बीआईएस के दृष्टिकोण से सेंपलींग में परेशानी पैदा कर सकता है।
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