सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) का प्रतिनिधित्व करने वाले औद्योगिक संगठन ने, सरकार से 5 करोड़ रुपये से कम टर्नओवर वाली एमएसएमई को बेवजह ऑडिट और जांच से छूट देने की मांग की है, जब तक कि बड़ी चूक या विसंगति सामने न आ जाएं।

देश में करीब 98,200 एमएसमई का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन ‘इंडिया एसएमई फोरम‘ ने कहा, ‘इसके अलावा बजट में एमएसएमई की ईमानदार गलतियों को नरमी से संभालने के लिए अनुपालन अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए ‘दिशा-निर्देश और धन की व्यवस्था‘ होनी चाहिए, जिससे एक मददगार नियामकीय वातावरण को बढ़ावा मिले।

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इस बार के बजट में एक व्यापक त्रुटि माफी कार्यक्रम की भी शुरूआत की जानी चाहिए। जिस में जीएसटी फाइलिंग की छोटी - मोटी खामियों या देरियों के लिए दंड माफी हो और न्यूनतम जुर्माने के साथ रद्द किए गए जीएसटी पंजीकरणों के लिए सरलीकृत बहाली प्रक्रिया प्रदान की जानी चाहिए।‘

इसके अलावा, पहली बार भारत के सेवा निर्यात ने, व्यापारिक निर्यात को पीछे छोड़ दिया है, जिससे माल निर्यातकों के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश पड़ता है, जहाँ एमएसएमई का योगदान लगभग 50 प्रतिशत है। प्रतिस्पर्धी दरों पर पर्याप्त ऋण, माल निर्यातकों के लिए अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर गुणवत्ता वाले कच्चे माल और इनपुट हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण है।


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