कहते हैं कि आप अपनी बेहतरीन जिंदगी से केवल एक विकल्प दूर होते हैं। बेहतर विकल्प चुनेंगे तो जिंदगी में भी नया पन आएगा। निर्णय करना और उसे सफल करने का प्रयास करना हमें शक्ति देता हैं। जिम्मेदारी लेने का अहसास दिलाता है।

हम आपने सामान्य जीवन को जीते हुए हर दिन कई फैसले लेते हैं, लेकिन ना तो इस पर ध्यान देते है ना ही इसके नतीजे पर। ऐसे कई निर्णय तो इतने सामान्य और छोटे होते हैं कि हम उसे कोई निर्णय मानते ही नहीं है।

जैसे हमें सादगी पूर्ण सुपाचय पौष्टिक भोजन लेना है या गरिष्ठ भोजन। निर्णय करना हमारा अधिकार हैं। जैसा अन्न लेने का हम निर्णय करेंगें वही हमारे स्वास्थ्य का आधार बनेगा।

जैसे सुबह अलार्म बन्द करने के कितने देर बाद उठेंगें। उठने के बाद आप व्यायाम या सैर करेंगें या उससे बचने के बहाने बताएंगे। है तो यह भी एक छोटा सा निर्णय। लेकिन यह भी आपके दिन भर ऊर्जा वान रहने को प्रभावित करता हैं।

इसी तरह कुछ काम दिखने में बहुत आसान लगते हैं, और हम मान लेते हैं कि इसे हम कल परसों कभी भी पूरा कर लेंगें। और उन्हें टालते चले जाते हैं। परंतु टालते चले जाने से, धीरे धीरे यही छोटा सा काम इतना बड़ा बन जाता है कि अंततः इसको शुरू करना ही पहाड़ लगने लगता है।

एम डी एफ में कच्चे माल की अधिक खपत उच्च पुंजी और निवेश से सहज इन इकाइयों ने व्यक्तिगत तौर पर कृषि वाणिकी क्षेत्र में निवेश में रूचि लेकर इसे प्रोत्साहित किया हैं।

प्लाइवुड और पार्टिकल बोर्ड में मध्यम और छोटी स्तर की इकाइयां अधिक होने से इस क्षेत्र द्वारा कृषि वाणिकी में आवष्यक निवेश नहीं हो पाया है।LRB GIF

जहां अधिकतर उद्योगपति संगठन के भरोसे हैं, जहां संख्या की बहुलता की वजह से एकमत होकर ऐसे निर्णय कार्यान्वित करना काफी जटिल हो जाता हैं। कुछ उत्साही उद्योगपति व्यक्तिगत तौर पर सराहनीय प्रयास कर रहें हैं। लेकिन इस तरह के प्रयासों की क्षमता सीमित होती हैं। इसे हम ‘उंट के मुंह में जीरा’ कहावत से भी उल्लिखित कर सकते हैं।

एक कृषि अर्थिक विशेषज्ञ द्वारा सुझाया गया यह माडल जमीन से जुड़ा हुआ लग रहा हैंः-

  • समान विचार धारा वाले 5-10 उद्योगपति जिनके दो से अधिक प्रेस हों अपना एक (संगठन) कंपनी बनाएं
  • 10 लाख या अधिक की पुंजी प्रत्येक इसमें लगाएं
  • बाकायदा एक कृषि वाणिकी विशेषज्ञ (सलाहकार) को नियुक्त करें
  • कंपनी का उदेष्य कृषि वाणिकी को हर संभव तरीके से बढ़ावा देना होना चाहिए जो इसके हितधारकों के लिए भविष्य में कच्चा माल उपलब्ध कराए।
  • इस तरह के माडल से उद्योगपतियों की व्यक्तिगत जिम्मेदारी उनसे हटकर विशेषज्ञ के उपर स्थानांतरित हो जाती हैं।

कंपनी और कृषि विशेषज्ञ की एकात्मकता से ये लाभ प्राप्त किये जा सकते हैंः-

  • किसानों के लिए तकनीक, प्रजाति के चयन और प्रबंधन प्रथाओं पर प्रशिक्षण शिवीर आयोजित करना
  • स्थानिय क्षेत्र की मिट्टी, जल की उपलब्धता पहचान कर उपयुक्त वृक्ष प्रजाति की पहचान करने में किसानों की सहायता
  • उपयुक्त वृक्ष प्रजाति की उन्नत किस्मों की पौध और बीज को विश्वासी और प्रतिष्ठित नर्सरी या संस्थानों से उपलब्ध करवाना
  • किसानों को सब्सीडी, ऋण आदि वित्तीय प्रोत्साहन तक पहुंच को आसान बनाना
  • खेती योग्य खाली पडी या अनुपजाऊ सरकारी जमीनों की पहचान कर उसे उद्योग के लिए आवंटित करवाने की कोशिस करना
  • विभिन्न कार्यों का विवरण बनाकर कृषि वाणिकी की प्रगति और परिणामों को सूचित करना
  • अंततः सरकार से कार्बन डेटींग का भी लाभ लेना

सुरेश बाहेती

9050800888


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