
नये आयकर विधेयक में अधिकारियों को सर्च और सर्वे के दौरान इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर एक्सेेस का अधिकार
- अप्रैल 9, 2025
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आयकर विधेयक, 2025 कर अधिकारियों को यह अधिकार देता है कि वे सर्वे और जांच के दौरान इलेक्ट्रॅानिक सिस्टम का एक्सेस कोड मांग सकें। विधेयक की धारा 247 आय कर अधिकारियों की खोज और जब्ती के अधिकार को व्यापक बनाते हुए, उसके दायरे को भौतिक और स्थानीय परिसंपत्तियों से आगे बढ़ाते हुए, डिजिटल रिकॅार्ड के एक्सेस कोड को प्राप्त करने का कानूनी अधिकार देता है।
धारा 253 कर अधिकारियों की इजाजत देती है, कि वे सर्वे के दौरान ‘ऐक्सेस कोड सहित तकनीकी तथा अन्य सहायता‘ मांग सकें। ऐसे में करदाताओं को अनिवार्य तौर पर क्लाउड स्पेस, कंप्यूटर और इलेक्टॅªानिक रिकार्ड की पूर्ण और समस्त जानकारी देनी होगी। धारा 253 के अनुसार एक आयकर अधिकारी कारोबारियों से ‘जरूरी तकनीकी और अन्य सहायता (ऐक्सेस कोड सहित) मांग सकता है, ताकि ऐसे खातों या अन्य दस्तावेज की जांच कर सके। या फिर कंप्यूटर सिस्टम अथवा अन्य वर्चुअल डिजिटल क्षेत्रों की जानकारी भी जरूरत के हिसाब से मांगी जा सकती है।‘
इससे पहले आय कर अधिनियम, 1961 की धारा 132 के तहत तलाशी की इजाजत थी, जिसमें भौतिक तथा डिजिटल दस्तावेज, नकदी तथा परिसंपत्तियों का प्रावधान था। धारा 133(6) के तहत सूचना मांगी जा सकती थी और 133ए के तहत सर्वे करने वाले अधिकारी सूचनाएं चाह सकते थे, लेकिन इनमें डिजिटल पहुंच शामिल नहीं थी। विशेषज्ञों के अनुसार नया विधेयक डिजिटल डेटा तक पहुंच देने को अनिवार्य बनाता है।
आधुनिक कारोबार और करदाता इलेक्ट्रानिक्स तरीके से बही खातों का और दूसरा रिकार्ड रखते हैं। इस हकीकत को देखते हुए यह जरूरी था कि कर अधिकारियों के पास ऐसे रिकार्ड तक पहुंच का कानूनी आधार हो। हालांकि, मौजूद आयकर 1961 अधिनियम के तहत भी यह अधिकार - किसी तरह से उपलब्ध करवाने का है, लेकिन 2025 का प्रस्ताव इसे कानूनी आधार देता है।
किप्टो तथा दूसरी वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्तियों का इस्तेमाल करके, कर वंचना के उदाहरणों को देखते हुए, प्रवर्तन एजेंसियों के लिए ये अधिकार जरूरी हो गए थे।
इसके अलावा, 253(5)(इ), कर अधिकारियों को, किसी व्यक्ति का स्टेटमेंट, शपथ पूर्वक लेने का अधिकार प्रदान करता है, जो अब साक्ष्य मानना जाएगा।
अभी तक सेक्सन 133। (3)(iii) के तहत मौके पर लिए गए स्टेटमेंट का कोर्ट में साक्ष्यात्मक मूल्य नहीं होता है।