निर्यातकों को आ रही दिक्कतों को दूर करने की कोशिश में जुटी सरकार
- नवम्बर 15, 2024
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निर्यातकों को शुल्क के अलावा आने वाली अन्य बाधाओं अर्थात नॉन-टैरिफ बैरियर से होने वाली दिक्कतें दूर करने की कवायद कर रही है। इसके लिए एक समिति बनाने और पोर्टल शुरू करने की तैयारी में है, जो निर्यातकों के सामने आने वाली ऐसी समस्याएं दूर करने के लिए काम करेगा।
नॉन टैरिफ बैरियर व्यापार पर शुल्क के अलावा लगने वाली वे बंदिशें हैं, जो कई देश अपने आर्थिक लक्ष्यों को ध्यान में रखकर लगाते हैं।
निर्यातकों और आयातकों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में सिर्फ शुल्क की दिक्कत से ही नहीं जूझना पड़ता बल्कि इसके अलावा दूसरी दिक्कत जैसे दस्तावेज से संबंधित प्रक्रियाएं, वस्तुओं की जांच और प्रमाणन, गुणवत्ता, आयात संबंधी पाबंदियों, पर्यावरण शुल्क, टैरिफ कोटा या सार्वजनिक खरीद प्रणाली आदि भी उनके लिए बड़ी रुकावट बनते हैं।
नॉन टैरिफ बैरियर को आम तौर पर अनुचित और आयातकों से भेदभाव करने वाला माना जाता है। कई बार ऐसी बाधाओं में हमारी तरफ से कुछ सुधार या बदलाव की जरूरत होती है और कई बार व्यापारिक भागीदारों के साथ बातचीत करनी होती है। सरकार इस समस्या का समाधान करने के लिए श्रेष्ठ तरीका तलाशने का प्रयास कर रही है।
समिति विस्तृत विश्लेषण भी करेगी और यह समझने का प्रयास करेगी कि व्यापारिक भागीदारों द्वारा लागू किए गए अवरोध विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुरूप हैं या नहीं।
यह भी देखा जाएगा कि क्या भारत ने इस पर बीते समय में आपत्ति जताई है या नहीं। अगर नियम विश्व व्यापार संगठन के अनुरूप है और अन्य देश उसका पालन कर रहे हैं तो देखा जाएगा कि इस चुनौती से निपटने के लिए भारत अपनी प्रणाली में बदलाव कर सकता है या नहीं। इसके बाद यह देखा जाएगा कि यह किसी खास कंपनी की दिक्कत है या कई निर्यातकों को इससे जूझना पड़ रहा है। उसके बाद समिति उपायों पर विचार करेगी।
इससे उद्योग के समक्ष आने वाली द्विपक्षीय या क्षेत्रीय स्तर की चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी। सरकार व्यापार से आंकड़े जुटा रही है और अभी तक करीब 200 नॉन टैरिफ बैरियर की पहचान की है गई। सरकार की अगले कुछ महीनों में नॉन टैरिफ बैरियर से संबंधित एक ऑनलाइन पोर्टल भी लाने की योजना है। पोर्टल पर सभी निर्यातक नॉन टैरिफ बैरियर की शिकायत दर्ज कर सकेंगे।
आम तौर पर नॉन टैरिफ बैरियर दूर करने में कई साल लग जाते हैं। पोर्टल से यह भी पता चल सकेगा कि यह समस्या कितनी पुरानी है और इस पर व्यापारिक भागीदारों से कितनी बार चर्चा की गई।
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