केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड सीबीडीटी ने 6 लाख रुपये से अधिक की राशि विदेश भेजने वालों की व्यापक जांच और सत्यापन शुरू किया है, ताकि इस लेनदेन के डेटा में विसंगतियों और संभावित कर चोरी की पहचान की जा सके।

यह कदम ऐसे मामलों का पता लगाने के बाद उठाया गया है, जहां विदेशी लेनदेन और व्यय व्यक्तियों द्वारा घोषित आय के अनुरूप नहीं थे और स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) में चूक हुई थी।

बोर्ड ने क्षेत्रीय संरचनाओं को फॉर्म 15 सीसी की सत्यापन प्रक्रिया और जांच शुरू करने के लिए कहा है यह अधिकृत डीलरों द्वारा आयकर विभाग को दाखिल किए जाने वाले विदेशी धन का तिमाही का विवरण है। फॉर्म 15 सीसी डेटा 2016 से एकत्र और अलग किया जा रहा था और यह इस साल जांच के लिए उपलब्ध होगा।

इस कदम से सरकार को ऐसे मामलों की पहचान करने में मदद मिलेगी जहां धन भेजा गया था लेकिन करदाता ने अपने फॉर्म में इसकी सूचना नहीं दी।

विभाग ने इस छूट के संभावित दुरुपयोग के कुछ मामलों का पता लगाया है। बोर्ड 2020-21 से डेटा की जांच के आधार पर उच्च जोखिम वाले मामलों की सूची तैयार करेगा।

सरकार ने अघोषित आय वाले लोगों को पहला नोटिस भेजने के लिए 31 दिसंबर की समय सीमा तय की है।

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अनियमितताओं के बारे में विस्तार से बताते हुए, अधिकारियों ने कहा कि एक मामले में, 5 लाख रुपये की घोषित वार्षिक आय वाले एक व्यक्ति ने पिछले तीन वर्षों में तीन अलग-अलग डीलरों का उपयोग करके 15 लाख रुपये विदेश भेजे, ताकि वह कर के दायरे में आए बिना अनिवार्य टीसीएस से बचा रहे।

यदि विदेश भेजे जाने वाले वाला धन 7 लाख रुपये से अधिक है तो LRS के तहत इस पर 20 प्रतिशत TCS लिया जाता है। इसमें चिकित्सा और शिक्षा पर कुछ अलग छूट है।

फॉर्म 15सीसी के माध्यम से विदेशी में धन भेजते वक्त भेजने वाला यदि यह साबित कर दें कि उसने जो राशि विदेश में भेजी है, इस पर कर नहीं लगता तो उसे कोई और विवरण देने की आवश्यकता नहीं होती। उदाहरण के लिए, आयात कंपनियों द्वारा उनकी सहायक कंपनियों को भुगतान करते हैं, या गैर निवासीयों को कर्ज देने पर अब यह डेटा वार्षिक आय विवरण में दर्ज किया जा रहा है, जिसका उपयोग आयकर का आकलन करने के लिए किया जाता है।

सीबीडीटी ने बैंकों से क्रेडिट कार्ड खर्च सहित कुल विदेशी मुद्रा व्यय को एक अलग श्रेणी के रूप में रिपोर्ट करने के लिए कहा है, भले ही वे उनपर टीसीएस एकत्र नहीं कर रहे हों। यह डेटा वार्षिक आय विवरण में दर्ज किया जा रहा है, जिसका उपयोग आयकर का आकलन करने के लिए किया जाता है। सरकार ने 1 अक्टूबर 2023 से एलआरएस के तहत विदेशी प्रेषण पर टीसीएस को 5 प्रतिषत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया है।


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