Pankaj Maheshwari
- मई 17, 2022
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- Wholesale inflation is 13.5 percent as per government figures. Whereas retail inflation has gone up to 6.5 percent.
- Many things like cement, iron, aluminum, brick, sand, wood, ply etc. have become expensive by 30 percent to 60 percent. Call it inflation or devaluation of the currency, everything is going costlier.
- The increasing material cost is reducing the construction activity. General customer is avoiding “not so necessary” new construction or repairing jobs expected that in next 2-3 months the demand may further drop.
- In such circumstances what will be the impact of extending the GST to 28% from 18% and not reducing it to 12%?
- The cost of manufacturing plywood has also gone up by 30 percent. The producers have been able to increase the rate by 20 percent only so far, due to which the producers are in loss.
- Despite distributors own expenses and 20% increase in plywood cost, the wholesale price is only increased by 15%.
- The retailer’s cost has increased by 15 percent but the selling price has not increased by even 10 percent.
- All sections of business class are in loss. The future strategy will have to be recalculated by business organizations.
- Increasing trend of cash transactions is a good sign in business for present and future. Maximum businessmen will be relieved.
- Complete closure of commission to middlemen is necessary to avoid additional expenses being included in the selling price.
- It is completely illegal to put a 710 seal on the ply of UF and UMF resin. Putting 710 without using Phenol Resin with false CML No. many a times is a very common practice.
- Working is tough. But for the reputation of the business, producers and sellers should avoid such practice.
- Trade will be as much only as there is demand, by doing such mal practices the market will not grow. But unethical activities will only increase business problems and mistrust among customers.
- थोक मंहगाई 13.5 प्रतिशत सरकारी आंकडें हैं। रिटेल मंहगाई 6.5 प्रतिशत हो गई है।
- सीमंट, लोहा, एल्यूमिनियम, इंट, रेत, लकडी, प्लाई आदि कई चीजें 30 प्रतिशत से 60 प्रतिशत तक मंहगी हुई हैं। इसे मंहगाई कहें या मुद्रा का अवमूल्यन, वस्तुओं की लागत बढ़ रही है।
- बढ़ी लागत निर्माण गतिविधी को घटा रहीं है। क्योंकि आम ग्राहक कम आवश्यक और गैर जरूरी कार्यों को टाल रहें हैं। 2-3 महीने में मांग और घट सकती है।
- ऐसी परिस्थिति में GST 18 प्रतिशत से कम करके 12 प्रतिशत तक करने की जगह 28 प्रतिशत तक बढ़ा देने से बाजार का क्या हाल होगा?
- प्लाईवुड की लागत भी 30 प्रतिशत तक बढ़ गयी है। उत्पादक अभी तक 20 प्रतिशत ही रेट बढ़ा पायें हैं इससे उत्पादक घाटे में हैं।
- वितरक के अपने खर्चे और प्लाईवुड की 20 प्रतिशत बढ़ी लागत के बावजूद थोक मुल्य 15 प्रतिशत ही बढ़ें।
- खुदरा विक्रेता की लागत 15 प्रतिशत बढ़ी लेकिन विक्रय मूल्य 10 प्रतिशत भी नहीं बढ़ पायी है।
- व्यापार से जुडें सभी वर्ग घाटे में है। व्यापार से जुड़ी संस्थाओं को भविष्य की रणनीति बनानी होगी।
- नगद में कारोबार का प्रचलन बढ़ना व्यापार के लिए सुखद अहसास है और भविष्य के लिए अच्छी खबर भी अधिकांश व्यापारियों को इससे बहुत राहत मिलेगी
- मध्य की कड़ियों को कमीसन बन्द होना एति आवश्यक है। ताकि ग्राहकों तक माल के पहुचने में अनावश्यक खर्च ना जुडें।
- UF और UMF रेसिन की प्लाई पर 710 की सील लगना पूरी तरह अवैधानिक है। Phenol Resin उपयोग किए बिना ही 710 की सील लग रही हैं जिसमें कई बार CML न. गलत होते हैं ।
- समय मुश्किल भरा है। लेकिन व्यापार की प्रतिष्ठा के लिए, उत्पादक एवं विक्रेताओं को इस तरह के कार्य नहीं करना चाहिए।
- व्यापार उतना ही होगा जितनी मांग होगी। ऐसा करके बाजार नहीं बढेंगा। लेकिन अनैतिक गतिविधियों से व्यापार में परेशानी और ग्राहकों में अविश्वास ही बढेगा।