लेकिन सबसे जरूरी बात "Recycling of Wastage" जो उद्योग की Economy का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अभी तक जो मानक बने हुए हैं, उनके अनुसार इनका उत्पादन और विक्रय गैर कानूनी हो जाएगा। समय रहते BIS के मानक में इन्हें शामिल करवाना आवश्यक है।



भारत सरकार ने अनेकों वस्तुओं पर गुणवत्ता नियंत्रण आदेश लगाएं हैं और भविश्य में ऐसा नियंत्रण और भी वस्तुओं पर लाया जा सकता हैं। इन आदेशों का क्या औचित्य हैं?

जहां एक ओर सरकार की कोशिस है कि भारतीय नागरिकों को स्वास्थ्य और गुणवत्ता पूर्ण पर्यावरण सुरक्षित उत्पाद मिले, और अनुचित व्यापार पर नियंत्रण हो सकें। वहीं दुसरी और सस्ते आयातित उत्पादों को प्रतिबंधित कर सके जो कि FTA के कारण सीधे-सीधे रोके नहीं जा सकते।

गु.नि.आ लागू होने पर भारतीय आयातक सिर्फ उन्हीं निर्माताओं से माल ला पाएंगे, जो BIS का लायसेंस ले लें। हालांकि पड़ोसी देशों के उद्योग इसे आसानी से हासिल कर पाएंगे। लेकिन वियतनाम जैसें दूर दराज के उत्पादकों के लिए थोड़ी परेशानी हो सकती है (असंभव नहीं)।

हालांकि इस चुनौती ने उद्योग के लिए एक अवसर भी प्रदान किया है। अब जबकि प्लाईउड सहित सभी काश्ठ आधारित उद्योग इस दायरे में आ जायेंगे, तो क्या प्लाईउड निर्माता अपनी ‘ट्रैडिंग मानसिकता‘ से बाहर निकल कर ‘इन्डस्ट्री मांइड सेट‘ में आ पायेंगे? क्या नई पीढ़़ी इस अवसर का लाभ ले पाएगी?

निश्चीत ही उद्योग में कई अभूतपूर्व बाधाएं मुंह बाए खड़ी है, जिसने उद्योग के सुचारू संचालन और Comfort Zone में सेंध लगा रखी है। BIS का क्वालिटी मापदंड, लकड़ी की कम और महंगी आवक को संभालने के लिए - वृक्षारोपण अभियान में मन-प्राण से लगना, यूरिया फ्री रेजीन पर शोध और परीक्षण, प्रतिद्वंदिता में अनुचित व्यापार (जिसका लाभ भी उद्योग को ना मिले), मंदी का बहाना लेकर भुगतान में अनुचित देर करना - इस जैसी और भी कई दिक्कते।

लेकिन सबसे जरूरी बात "Recycling of Wastage" जो उद्योग की Economy का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अभी तक जो मानक बने हुए हैं, उनके अनुसार इनका उत्पादन और विक्रय गैर कानूनी हो जाएगा। समय रहते BIS के मानक में इन्हें शामिल करवाना आवश्यक है।
और एक शंका भी है, कि, क्या BIS के पास इतने संसाधन हैं कि संस्थान अनुचित व्यापार पर रोक लगा पाएगा? कहीं यह कवायद नौकरशाही के जाल में तो फंसकर नहीं रह जायेगी?

अंत में AIPLI को शुभकामनाएं। आशा करनी चाहिए कि FIPPI, AIPMA, ILMA और सभी राज्य के संगठनों के साथ मिलकर AIPLI काश्ठ आधारित उद्योगों की समस्याओं के समाधान के लिए जीवंत और सतत् प्रयास कर पाएगी।

सुरेश बाहेती
9050800888

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