Plywood Manufacturers Harassed by Officer in an Attempt to Increase Income by Market Committee
- दिसम्बर 30, 2021
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The Mandi Committee wrote a letter to the CM regarding the sale of safeda and poplar through the market committee. After this letter, now the headquarters has formed five teams. The team will include officials from the Excise and Taxation Department and Chandigarh. The team has been formed after the permission of the CM. Gaurav Arya, Secretary, Yamuna Nagar Market Committee said that the revenue is continuously decreasing because timber is being sold in Yamunanagar and Jagadhri without being registered in the market. This decision has been taken only to increase the revenue.
The plywood manufacturers say that such efforts are just an attempt to harass them. Now when the plywood industry is coming back on track after facing lots of problem. Some officials are misguiding the government and making such rhetorical system.
Due to such activities the problems of plywood industry increases, along with this, the officers also get a chance to do arbitrariness.
Two timber markets have been built in Yamunanagar. One in Mandoli and the other in Manakpur. Yamuna Nagar district is famous for plywood business in different states of the country as well as abroad. There are 350 plywood factories, 290 peeling, 70 chippers and more than 550 saw mills in the district. In both the mandis, six hundred people have license to buy and sell wood. According to the records of the Forest Department, 2.5 lakh quintals of raw material is consumed per day. The department had got its survey done before issuing the license. Most of the raw material poplar and safeda comes from Uttar Pradesh. Every third person of the district is directly and indirectly connected with plywood industry. More than one lakh people from other states work in this industry.
Plywood manufacturers say that they are not being given any facility from the government. On the contrary, they are trying to harass them. this is wrong. This will harm the plywood industry.
Most of the industrialists also said that wood should be exempted from mandi tax. Because plywood comes under the purview of GST. This will not only benefit the industry, but the farmers of the state will also benefit. On the one hand, it is repeatedly claimed by the government that the income of farmers will be doubled.
Agroforestry is a great way to increase income. The government should increase this sector. But some officials are creating confusion by giving wrong information to the government. This will harm both the industry and the farmer.
So this arrangement is not correct. It should be stopped. Plywood industrialist also alleged that setting up such a team simply means promoting the Inspectory Raj. This will definitely cause problems to the plywood industry and farmers. He also said that the government should reconsider this.
मार्केट कमेटी द्वारा आय बढ़ाने की कोशिश में प्लाइवुड संचालकों को तंग कर रहे अधिकारी
सफेदे और पॉपलर की लकड़ी की बिक्री मार्केट कमेटी के माध्यम से कराने को लेकर मंडी कमेटी ने एक पत्र सीएम को लिखा। इस पत्र के बाद अब मुख्यालय ने पांच टीमों का गठन किया है। टीम में आबकारी व कराधान विभाग और चंडीगढ़ के अधिकारी शामिल होंगे। सीएम की अनुमति के बाद टीम का गठन किया गया है। यमुना नगर मार्केट कमेटी सचिव गौरव आर्य ने बताया कि क्योंकि यमुनानगर और जगाधरी में लकड़ी मंडी में रजिस्टर्ड हुए बिना बिक रही है, इसलिए रेवेन्यू लगातार कम हो रहा है। रेवेन्यू बढ़ाने के लिए ही यह निर्णय लिया गया है।
इधर प्लाइवुड संचालकों का कहना है कि इस तरह के प्रयास सिर्फ उन्हें तंग करने की कोशिश भर है। बड़ी मुश्किल से इन दिनों प्लाइवुड इंडस्ट्री दोबारा से पटरी पर आ रही है। लेकिन कुछ अधिकारी सरकार को मिस गाइड कर अनाप-शनाप व्यवस्था बना रहे है।
जिससे प्लाइवुड संचालकों की दिक्कत तो बढ़ ही रही है, इसके साथ ही अधिकारियों को मनमानी करने का मौका भी मिल जाता है।
यमुनानगर में दो लकड़ी मंडी बनाई गई है। एक मंडोली तो दूसरी मानकपुर में। प्लाईवुड के कारोबार में यमुना नगर जिला देश के विभिन्न राज्यों के अलावा विदेशों तक मशहूर है। जिले में 350 प्लाईवुड फैक्ट्री, 290 पीलिंग, 70 चीपर और 550 से अधिक आरा मशीनें हैं। दोनों मंडियों में सवा छह सौ लोगों के पास लक्कड़ खरीदने व बेचने का लाइसेंस है। वन विभाग के रिकार्ड के मुताबिक प्रतिदिन ढाई लाख क्विंटल कच्चे माल की खपत है। विभाग ने लाइसेंस जारी करने से पहले इसका सर्वे करवाया था। अधिकतर कच्चा माल पॉपलर व सफेदा उत्तर प्रदेश से आता है। प्लाईवुड इंडस्ट्री से जिले का हर तीसरा व्यक्ति प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़ा हुआ है। एक लाख से अधिक अन्य राज्यों के लोग इस इंडस्ट्री में काम करते हैं।
प्लाइवुड संचालकों का कहना है कि उन्हें सरकार की ओर कोई सुविधा तो दी नहीं जा रही है। उलटा उन्हें तंग करने की कोशिश हो रही है। यह गलत है। इससे तो प्लाइवुड उद्योग का नुकसान होगा।
अधिकतर उद्योगपतियों ने यह भी कहा कि लकड़ी को तो मंडी कर से मुक्त कर देना चाहिए। क्योंकि जीएसटी के दायरे में प्लाइवुड आती है। इससे न सिर्फ इंडस्ट्री का फायदा होगा, बल्कि प्रदेश के किसानों को भी लाभ होगा। एक ओर तो सरकार की ओर से बार बार दावा किया जाता है कि किसानों की आय डबल की जाएगी।
एग्रोफॉरेस्ट्री आय बढ़ाने का बड़ा माध्यम है। इस क्षेत्र को सरकार को बढ़ाना चाहिए। लेकिन कुछ अधिकारी सरकार को गलत जानकारी देकर भ्रम की स्थिति पैदा कर रहे है। इससे इंडस्ट्री और किसान दोनों का नुकसान होगा।
इसलिए यह व्यवस्था सही नहीं है। इसे रोका जाना चाहिए। प्लाइवुड निर्माताओं का यह भी कहना है कि टीम गठित करने का सीधा मतलब है इंस्पेक्टरी राज को बढ़ावा देना। इससे निश्चित ही प्लाइवुड इंडस्ट्री व किसानों को दिक्कत आएगी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को इस पर दोबारा से विचार करना चाहिए।
ःःः मनोज ठाकुरःःः