इस बार बजट में रोजगार, कृषि और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है। एक तरह से यह मान लिया गया कि रोजगार और कृषि से जुड़े मसलों ने हाल के लोक सभा चुनावों के नतीजों को काफी प्रभावित किया है। वैसे तो चुनी हुई सरकार से यह अपेक्षा की जाती है कि वह अपनी कार्य शैली लगातार सुधारे, फिर भी इस बदलाव का आर्थिक पहलु भी है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में बेरोजगारी दर में कमी आई है लेकिन रोजगार की गुणवत्ता अब भी चिंता की बात बनी हुई है।

रोजगार का सृजन निजी क्षेत्र में किया जाना है। इसलिए वित्त मंत्री ने बजट में ऐसे कई ऐलान किए हैं जिनसे औपचारिक क्षेत्र में नौकरियों को प्रोत्साहन मिले। उदाहरण के लिए, कार्यबल में पहली बार शामिल होने वाले लोगों को एक माह की पगार देना और विनिर्माण क्षेत्र में कर्मचारी भविष्य निधि में योगदान के लिए सहयोग करना। इसके अलावा सरकार, देश की शीर्ष 500 कंपनियों में युवाओं की इंटर्नशिप के कार्यकम के लिए मदद देगी जिससे अगले पांच साल में करीब एक करोड़ युवाओं को फायदा होगा।

नई सरकार के पहले बजट से भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए मध्यम अवधि का एक खाका मिलने की उम्मीद भी की जा रही थी। वित्त मंत्री ने इस मामले में निराश नहीं किया है। बजट ने नौ अहम क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया है जिनमें शहरी विकास, ऊर्जा सुरक्षा, बुनियादी ढांचा विकास, नवाचार आदि शामिल हैं। इन क्षेत्रों के लिए केंद्र सरकार अगले दिनों में विस्तार से ऐलान कर सकती है जिससे देश में तरक्की और विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।

अहम बात यह भी है कि अब सरकार का जोर अगली पीढ़ी के सुधारों पर है। वित्त मंत्री ने कहा, ष्हम आर्थिक विकास के लिए समग्र दृष्टिकोण को रेखांकित करने हेतु आर्थिक नीति ढांचा तैयार करेंगे और अगली पीढ़ी के सुधारों के लिए गुंजाइश तैयार करेंगे ताकि रोजगार के अवसर बढ़ें और लगातार ऊंची बढ़त होती रहे।श्

  • केंद्र राज्य सरकार सहयोग

अगली पीढ़ी के सुधारों में उत्पादन के सभी कारकों को शामिल किया जाएगा। ऐसे कुछ सुधारों को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए केंद्र सरकार को राज्यों के सहयोग की जरूरत होगी। इस लिहाज से देखें तो सुधारों को लागू करने में राज्यों को प्रोत्साहित करने के लिए 50 साल के ब्याज मुक्त कर्ज देने की बात कही गई है। मौजूदा साल में ही केंद्र सरकार राज्यों को करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये के दीर्घकालिक ब्याज मुक्त कर्ज देगी। इसी तरह, भूमि और श्रम सुधारों से देश में कारोबारी सुगमता बढ़ेगी।

  • सीमा शुल्क

एक और अहम ऐलान करते हुए वित्त मंत्री ने अगले छह महीनों में सीमा शुल्क ढांचे की व्यापक समीक्षा का प्रस्ताव रखा है। इसके पीछे सोच यह है कि सीमा शुल्क का तर्कसंगत और सरल ढांचा होए कारोबारी सुगमता बढ़े, विवाद कम हों और करों के उलटे ढांचे को दूर किया जाए। इस तरह की समीक्षा की लंबे समय से प्रतीक्षा की जा रही थी। ऊंचे कर और जटिल शुल्क संरचना को व्यापार के लिए सबसे बड़ा अवरोध माना जाता है, जो सीधे भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धा को प्रभावित करता है। इस तरह की व्यापक समीक्षा से भारत के शुल्क ढांचे को बदलती वैश्विक आर्थिक हकीकत के अनुरूप बनाया जा सकेगा।

  • उर्वरक सब्सिडी

उर्वरक सब्सिडी के मामले में विशेषज्ञों का कहना है कि वास्तविक सब्सिडी व्यय 2022-23 से लगातार घट रहा है। इसकी वजह अंतरराष्ट्रीय गैस (एलएनजी) के दाम कम होना है, जिसकी यूरिया उत्पादन की लागत में 80 से 85 फीसदी हिस्सेदारी है। इस गैस के दाम अपने उच्चतम स्तर 30 से 35 से घटकर 15 से 16 एमएमबीटीयू रह गए हैं। गैस के दाम कम होने से यूरिया उत्पादन की लागत भी घटी है। जिससे सरकार के लिए सब्सिडी व्यय में कमी आई है।

  • उद्योग में इंटर्नशिप भत्ता

उद्योग और शिक्षण संस्थानों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए वित्त मंत्री ने 63 हजार करोड़ रूपये की इंटर्नशिप योजना की भी घोषणा की है। अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने पांच साल की अवधि में 500 शीर्ष कंपनियों में एक करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप के अवसर प्रदान करने के लिए इस महत्वकांक्षी योजना शुरू करने का प्रस्ताव रखा। वित्त मंत्री ने कहा, ‘प्रशिक्षुओं को 12 महीने वास्तविक कारोबारी माहौल में रहने का अनुभव मिलेगा और उनके लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। प्रशिक्षुओं को हर महीने 5,000 रूपये का इंटर्नशिप भत्ता मिलेगा और एकमुश्त 6,000 रूपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। कंपनियों को प्रशिक्षण का खर्च उठाना होगा और 10 फीसदी उनके सीएस आर कोश से खर्च करने की सुविधा होगी।’

  • कृषि शोध

कृषि शोध की समीक्षा में उत्पादकता बढ़ाने और जलवायु प्रतिरोधी बीज किस्मों के विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिसके लिए निजी क्षेत्र को भी वित्त पोषण उपलब्ध कराया जाएगा तथा विशेषज्ञ इस अनुसंधान के संचालन की देखरेख करेंगें।

  • पूंजीगत लाभ

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विभिन्न संपत्तियों पर पूंजीगत लाभ कर व्यवस्था में बड़े बदलावों की घोषणा की है। इनमें इक्विटी पर कम अवधि और दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर शामिल हैं। सभी वित्तीय और गैर वित्तीय संपत्तियों से दीर्घावधि पूंजी लाभ एलटीसीजी पर कर की दरें अब 12.5 प्रतिशत होंगी। शेयर और इक्विटी म्युचुअल फंडों से हुए कम अवधि के पूंजीगत लाभ एसटीसीजी पर कर 20 प्रतिशत होगा जो पहले 15 प्रतिशत था।

प्रॉपर्टी जैसी गैर-वित्तीय परिसंपत्तियों पर एलटीसीजी के मामले में भी 12.5 प्रतिशत की दर से कर लगेगा। पहले 3 वर्ष से अधिक अवधि तक रखने पर इंडेक्सेशन के बाद 20 प्रतिशत कर लगता था। बजट में इंडेक्सेशन लाभ खत्म करने का प्रस्ताव किया गया है जो प्रॉपर्टी सहित दीर्घावधि परिसंपत्तियों पर मिलता था।

  • रियल एस्टेट

केंद्र सरकार द्वारा शहरी आवास योजना के लिए आवंटन में इजाफे का ऐलान किए जाने लेकिन संपत्ति की बिक्री पर इंडेक्सेशन लाभ वापस लिए जाने के बाद रियल एस्टेट क्षेत्र को बजट 2024 से मिले जुले संकेत मिले हैं।

ग्रामीण क्षेत्र के लिए, वित्त वर्ष 2025 के बजट में अगले पांच साल के दौरान 2 करोड़ नए मकान बनाने की अंतरिम बजट की घोषणा भी दोहराई गई हैं। इसमें आवंटन मौजूदा 120,000 रूपये प्रति मकान से बढ़ाकर 200,000 रूपये किया गया है, जो करीब 67 प्रतिशत की शानदार वृद्धि है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अगले पांच साल के दौरान शहरों के एक करोड़ गरीब और मध्य वर्ग के परिवारों की आवास जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के लिए 2.2 लाख करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता समेत 10 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।

अगले पांच वर्षों में एक करोड़ परिवारों को घर उपलब्ध कराने के लक्ष्य वाली इस पहल से सालाना तकरीबन 20 लाख मकान बनेंगे, जो पिछली योजना से काफी ज्यादा हैं।

निर्माण गतिविधि में इस उछाल से निर्माण सामग्री की मांग में वृद्धि तथा सीमेंट, इस्पात घरेलू उपकरणों और प्लाईवुड, एमडीएफ और अन्य लकड़ी के उत्पाद जैसे संबंधित उद्योगों में सक्रियता आने की उम्मीद है।

  • एंजेल कर की समाप्ति

आम बजट 2024 में देश की स्टार्टअप कंपनियों और उनके निवेशकों के लिए कई तरह के कर लाभों का ऐलान किया गया है, जिसमें सभी वर्ग के निवेशकों के लिए विवादस्पद ऐंजल कर खत्म करना तथा सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध इक्विटी के बीच पूंजीगत लाभ दरों में एक रूपता शामिल है।

ऐंजल कर, जो आधिकारिक तौर पर आयकर अधिनियम में धारा 56 (2) (7बी) है, देश की उन गैर- सूचीबद्ध पर तब लागु होता है, जब वे किसी कंपनी के उचित बाजार मूल्य से अधिक की कीमत पर निवेशकों को शेयर जारी करके पूंजी जुटाती है। इस अतिरिक्त राशि को आय के रूप में माना जाता है और उस पर 30.9 प्रतिशत की दर कर लगाया जाता हैं।

साल 2012 में शुरू किए गए ऐंजल कर के इस प्रावधान की उद्देश्य कर से बचने और फंड का दुरूपयोग रोकना था। इसे ऐंजल कर इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह स्टार्टअप में ऐंजल निवेश को खासा प्रभावित करता है। शुरू में यह स्थानिय निवेशकों के लिए लागु किया था, लेकिन बाद में इसका दायरा बढ़ा दिया गया।

ऐंजल कर के अलावा बजट में वित्तीय परिसंपत्तियों के लिए दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर की दर में भी बदलाव का ऐलान किया गया है, जिसे पहले के 20 प्रतिशत से घटाकर 12.50 प्रतिशत कर दिया गया है। इस कदम का देश की स्टार्टअप और निवेशकों ने समान रूप से स्वागत किया है।


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