Positive Economic Reform
- नवम्बर 16, 2020
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After a long wait of seven months, positive news has started coming. New cases of daily exposure to Kovid-19 infection have started to decline and overall active cases have declined sharply. There has also been a decline in death cases. The sudden enforced lockdown affected economic activity at a nationwide level and millions of people were in trouble due to it. Economic activity is improving in various regions.
Let us assume that the decline in the economy does not end until the low base effect begins. The improvement of the pre-Kovid level will only be possible by 2021. Many areas remain in deep crisis. For example, the financial system and the tourism business. The full level of business failure will not be revealed for some time. Despite this, the business results for the July-September quarter will surely improve compared to the previous quarter and positive news will improve the business mood.
The texture of the human brain is such that it remembers suffering, although the body gets immediate relief after the pain ends. If the business improves and the jobs are returned, the memory will still remain intact: sudden income and loss of employment have been jolted, people have returned to homes in a footsteps for months, projections have been cut for the future And workers working in affluent cities have to work under MNREGA in rural areas. When savings overtake the pace of investment, the trend of saving among consumers will increase and there will be a surplus of current account. Banks will also avoid taking risks. On the other hand, many people are getting old livelihoods back and some companies are offering incentives to call old employees.
Talking about the government, it was busy with long term issues. It prepared a self-sufficiency package, encouraged production and set protective tariff rates. This stance is against the experiences of different countries and the theory that has proved to be better. There is always some scope for import substitution. In such a situation, good news is also coming in between the decrease in investment. Factories are coming from China to India. Samsung is an example of companies losing their trust. He moved to Vietnam by consolidating business from India and started exporting to India from there. Now it is coming back.
There are opportunities in announcements made regarding agricultural marketing and working conditions. Mining and defence manufacturing policies have changed while regulations are also being made for the digital economy. These are important policy and legislative steps taken by the Modi government on the economy front after the first round of downtrodden. There will be uncertainty about the results as much depends on the processes but we should expect the best.
सकारात्मक आर्थिक सुधार
सात महीनों के लंबे इंतजार के बाद सकारात्मक खबरें आनी शुरू हो गई हैं। कोविड-19 संक्रमण के दौरान रोजाना सामने आने वाले नए मामलों में गिरावट आनी शुरू हुई है और कुल सक्रिय मामलों में तेजी से कमी आई है। मृत्यु के मामलों में भी गिरावट देखने को मिली है। अचानक लागू किए गए लाॅकडाउन ने देशव्यापी स्तर पर आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित किया था और लाखों लोग इसके कारण परेशानी में पड़े। विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों में लगातार सुधार हो रहा है।
मान लेते हैं कि अर्थव्यवस्था में गिरावट तब तक समाप्त नहीं होती है जब तक निम्र आधार प्रभाव शुरू नहीं होता। कोविड पूर्व के स्तर का सुधार 2021 तक ही आ पाएगा। कई क्षेत्रों में गहन संकट बरकरार है। मिसाल के तौर पर वित्तीय तंत्र और पर्यटन कारोबार। कारोबारी जगत की नाकामी का पूरा स्तर अभी कुछ समय तक सामने नहीं आएगा। इसके बावजूद जुलाई-सितंबर तिमाही के कारोबारी नतीजों में यकीनन पिछली तिमाही की तुलना में सुधार नजर आएगा और सकारात्मक खबरों से कारोबारी मिजाज में सुधार आएगा।
मानव मस्तिष्क की बनावट ऐसी है कि वह कष्ट को याद रखता है, हालांकि दर्द खत्म होने पर शरीर को तत्काल आराम मिल जाता है। यदि कारोबार में सुधार होता है और रोजगार वापस आ जाते हैं तो भी स्मृति में घाव बरकरार रहेंगेः अचानक आय और रोजगार जाने से जो झटका लगा है, लोग महीनों पैदल चलकर बेबसी में घरों को लौटे हैं, भविष्य को लेकर अनुमानों में कटौती की गई है और समृद्ध शहरों में काम करने वाले श्रमिकों को शायद ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत काम करना पड़ रहा है। बचत जब निवेश की गति को पीछे छोड़ देगी तो उपभोक्ताओं में बचत की प्रवृत्ति बढ़ेगी और चालू खाते का अधिशेष होगा। बैंक भी जोखिम उठाने में बचेंगे। दूसरी ओर, कई लोगों को पुरानी आजीविका वापस मिल रही है और कुछ कंपनियां पुराने कर्मचारियों को बुलाने के लिए प्रोत्साहन की पेशकश कर रही है।
सरकार की बात करें तो वह दीर्घावधि के मुद्दों में व्यस्त रही। उसने आत्मनिर्भरता पैकेज तैयार किया, उत्पादन को प्रोत्साहन दिया और संरक्षणात्मक शुल्क दरें तय कीं। यह रुख विभिन्न देशों के अनुभवों और उस सिद्धांत के खिलाफ है जो बेहतर साबित हुआ है। आयात प्रतिस्थापन के लिए हमेशा कुछ गुंजाइश रहती है। ऐसे में निवेश में कमी के बीच अच्छी खबरें भी आ रही हैं। फैक्टरियां चीन से भारत आ रही है। सैमसंग कंपनियों को भरोसा टूटने का उदाहरण है। उसने भारत से कारोबार समेटकर वियतनाम का रुख किया था और वहां से भारत को निर्यात आरंभ किया था। अब वह वापस आ रही है।
कृषि विपणन और कार्य परिस्थितियों को लेकर की गई घोषणाओं में अवसर हैं। खनन और रक्षा विनिर्माण नीतियां बदली गई हैं जबकि डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए भी नियम बनाए जा रहे हैं। पहले दौर के दुस्साहसों के बाद ये मोदी सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था के मार्चे पर उठाए गए अहम नीतिगत और विधायी कदम हैं। नतीजों को लेकर अनिश्चितता रहेगी क्योंकि काफी कुछ प्रक्रियाओं पर निर्भर करता है लेकिन हमें सर्वश्रेष्ठ की आशा करनी चाहिए।