Postponement of debt will increase the burden
- अगस्त 27, 2020
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Postponement of debt will increase the burden of outstanding installments
We are going through a period when there is uncertainty about the level of pressure due to epidemics and avoidance of debt.
Increase in debt is a matter related to economic activity. Economic activity is sluggish (at 40–50 per cent before Covid) and there is a debt flow on the same lines. But the emergency credit facility is increasing debt. No one knows the level of pressure, how long the installment will be deferred and how the new regulatory structure will be. Pressure will depend on how you deal with it. IBS has sought permission for a lump sum solution. Pressure may be reduced in some areas. But the bad phase will not end foreer.
Are you in favor of further debt deferment?
Postponing the installment is temporary work and the outstanding installments of 6 months will accumulate. It also has a limit. You cannot continue postponing the installment, otherwise this amount will be so large that it will be difficult to recover it according to the short duration. The payment of the existing loan installments can be rescheduled due to the postponement of the six-month installment, but if it is further deferred, its management will become difficult.
Now look at the postponement. Only 15 percent of large corporates opted for this and 85 percent tried to avoid this route. Only 20–30 percent chose this option in retail. Only 30 percent of the account holders in each sector have opted for this option. This option was available to everyone, but not everyone decided to adopt it.
कर्ज टालने से बकाया किस्तों का बढ़ेगा बोझ
हम ऐसे दौर से गुजर रहे हैं, जब महामारी और कर्ज टालने की वजह से दबाव के स्तर को लेकर अनिश्चितता है।
कर्ज में बढ़ोतरी आर्थिक गतिविधियों से जुड़ा मामला है। आर्थिक गतिविधियां सुस्त (कोविड के पहले के 40-50 प्रतिशत पर) हैं और उसी की तर्ज पर कर्ज का प्रवाह भी है। लेकिन आपातकालीन कर्ज सुविधा से कर्ज में बढ़ोतरी हो रही है। दबाव के स्तर का किसी को पता नहीं है कि किस्त कितने लंबे समय तक टाली जाएगी और नया नियामकीय ढांचा कैसा होगा। दबाव इस पर निर्भर होगा कि आप उससे कैसे निपटते हैं। आईबीएस ने एकमुश्त समाधान की अनुमति की मांग की है। कुछ क्षेत्रों में दबाव कम हो सकता है। लेकिन बुरा दौर हमेशा के लिए खत्म नहीं होगा
क्या आप कर्ज की किस्त आगे और टाले जाने के पक्ष में हैं?
किस्त टालना अस्थायी काम है और 6 महीने की बकाया किस्तें जमा हो जाएंगी। इसकी भी एक सीमा है। आप किस्त टालने को जारी नहीं रख सकते अन्यथा यह राशि इतनी बड़ी हो जाएगी कि कम अवधि के हिसाब से इसकी वसूली मुश्किल होगी। छह महीने की किस्त टाले जाने से मौजूदा कर्ज की किस्तों के भुगतान को फिर से निर्धारित किया जा सकता है, लेकिन इसे आगे और टाला जाता है तो इसका प्रबंधन मुश्किल हो जाएगा।
अब किस्त टालने की स्थिति को ही देख लें। सिर्फ 15 प्रतिशत बड़े कॉर्पोरेट्स ने यह विकल्प चुना और 85 प्रतिशत ने इस रास्ते से बचने की कोशिश की। खुदरा क्षेत्र में सिर्फ 20-30 प्रतिशत ने यह विकल्प चुना। हर क्षेत्र को मिलाकर सिर्फ 30 प्रतिशत खाताधारकों ने यह विकल्प चुना है। यह विकल्प सबके लिए उपलब्ध था, लेकिन सबने इसे अपनाने का फैसला नहीं किया।