Prepare to Grab the Upcoming Demand

तो क्या हम भारतीय इस मौके का फायदा उठाने से चुक जाएंगे? ऐसा तभी हो सकता है अगर हम सिर्फ निम्न स्तर के माल का निर्माण करते रहें। इससे मध्यम और उच्च गुणवत्ता के माल की भागीदारी हम खो सकते हैं।

भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ते हुए विश्व की तिसरी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। इसके पीछे दो पहलु हैं। पहला है अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाया जाना। जिसके तहत जी एस टी और डीजीटल रूपान्तरण की अहम भूमिका है। इसके तहत अर्थव्यवस्था का एक हिस्सा अब कारोबारी लेन-देन में प्रत्यक्ष नजर आ रहा है। जो कि पहले दृष्टि गोचर नहीं होता था।

विश्व की संपूर्ण जनसंख्या का लगभग बीस प्रतिशत भारत में है। हालांकि, इसके कई दुष्परिणाम हैं, लेकिन उसके साथ ही यह दुनिया के लिए आर्कषण का केन्द्र भी है।

आज भारत का बाजार अपने आप में बहुत बड़ा है, जिसमें हल्के, मध्यम और उत्तम, सभी किस्म के माल को खपत करने की क्षमता है। और इसी को समझ कर विश्व के बड़े औद्योगिक संस्थान यहां निवेश करने के लिए मजबुर हैं।

लेकिन यह भी सत्य है कि WTO के माध्यम से बहुत सारे कानून ऐसे बनवाए गए जिसमें निर्यातक देशों को भारत में इम्पोर्ट डयूटी से छूट मिल जाती हैं। ई कामर्स इसका बहुत बड़ा उदाहरण हैं।

तो क्या हम भारतीय इस मौके का फायदा उठाने से चुक जाएंगे? ऐसा तभी हो सकता है अगर हम सिर्फ निम्न स्तर के माल का निर्माण करते रहें। इससे मध्यम और उच्च गुणवत्ता के माल की भागीदारी हम खो सकते हैं।

आज की भारत सरकार वैश्विक व्यवस्था को बदलने की हर संभव कोशिस कर रही है। जिसमें G20 को WTO के समकक्ष खड़ा करना भी है। दशकों से चली आ रही व्यवस्था में बदलाव एकदम से करना कभी संभव नहीं होता। देश और विदेश दोनों को समझाना एक टेढ़ी खीर ही होता है।

पारंपरिक तरिके से काम करना आसान तो होता है, लेकिन इसमें चंूकि प्रतियोगिता नहीं करनी पड़ती, तो वत्र्तमान तो सुरक्षित रहता है लेकिन भविष्य नहीं। इसलिए हमारी सोच में तकनीक के साथ साथ उत्पादकता को बेहतर करते चले जाना अति आवश्यक है।

वैश्विक स्तर पर कई भू राजनीतिक घटनाएं हो रही है, जिसका असर भारत की घरेलु मांग पर भी पड़ रहा है। लेकिन समय के अंतराल में जब हालात सुधरेंगे, उस समय क्या हम तब की बढ़ी हुई मांग की आपूत्र्ति को पूरी कर सकने में सक्षम होंगे? क्या हमें अपने आपको तब के लिए तैयार करके नहीं रखना है?

सुरेश बाहेती

9050800888


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